यहूदी और कुरानी खुदाओ के आदेश
यहूदी धर्म की पुस्तक तौरेत जिसे कुरानी खुदा ने खुदाई किताब का दर्जा दिया है, तथा कुरान में कई जगहों पर खुदाई घोषित किया हैं उसमें व्यवस्था विवरण वाले प्रकरण के न० २४ में लिखा है की-
(१) यदि कोई पुरुष किसी स्त्री को ब्याह ले और उसके बाद उसमें कुछ लज्जा की बात पाकर उससे अप्रसन्न हो, तो वह उसके लिए त्यागपत्र लिख कर और उस त्याग पत्र को उसके हाथ में देकर उसको अपने घर से निकाल दे |
(२) और जब वह उसके घर से निकल जाए तो तभी वह औरत किसी दुसरे पुरुष की हो सकती है |
(३) परन्तु यदि वह औरत उस दुसरे पुरुष को भी अप्रिय लगे, और वह उसके लिए त्याग पत्र लिख कर उसके हाथ में देकर उसे अपने घर से निकाल दे या वह दुसरा पुरुष जिसने उसको अपनी स्त्री कर लिया था, वह मर जाए |
(४) तो उसका पहिला पति जिसने उसको निकाल दिया था उसके अशुद्ध होने के बाद भी उसे अपनी पत्नी न बनाए, क्योंकि यह यहोवा (खुदा) के सम्मुख घृणित बात है |
इस प्रकार तू उस देश को जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तेरा भाग (हिस्सा) करके तुझे देता है उसे पापी न बनाना |
यहूदी खुदा की इस पहिली खुदाई किताब में लिखा है की-
“गैर से सम्भोग करा लेने पर पहिला पति उस स्त्री को कदापि स्वीकार न करे”|
यह आदेश है परन्तु कुरानी अरबी खुदा की पहली शर्त ये है की—
“पूर्व पति द्वारा तलाकशुदा पत्नी को पुन: लेने की शर्त ही यह है की वह किसी दुसरे पुरुष से निकाह करने के बाद सम्भोग कराकर आने के बाद ही उसे वापिस ले सकता है”|
भाइयों ! यह समझ में नहीं आता की दोनों खुदाओ के हुक्मों में से कौन सा हुक्म ठीक हैं ? मुस्लिम विद्वानों को विचार करके स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना चाहिए की इस विषय में दोनों खुदाई आदेशों में विरोध होने का वैज्ञानिक रहस्य क्या है ?
कुरान की एक व्यवस्था व्यभिचार के समर्थन में और भी देखने लायक है, ज़रा गौर फरमायें—
……. और तुम्हारी लोंडिया (रखैल) जो पाक रहना चाहती हैं उनको दुनिया की जिन्दगी के फायदे की गरज से हरामकारी पर मजबूर न करो, और जो उनको मजबूर करेगा तो अल्लाह उनके मजबूर किये जाने के पीछे सबको क्षमा करने वाला मेहरबान और दयावान है |
(कुरान पारा १२ सुरह नूर रुकू ४१ आयत ३३)
लोंडियों को जब मजबूर करने पर और व्यभिचार कर लेने पर अरबी खुदा व्यभिचारी मुसलमान को माफ़ कर देगा तो फिर व्यभिचार जुर्म कहाँ रहा ? इसका अर्थ है की खुदा और उसकी अरबी किताब व्यभिचार के खुले समर्थक हैं |
इस्लाम (सुन्नी सम्प्रदाय) की मान्य अन्य पुस्तकों में तो व्यभिचार का बहुत ही खुला समर्थन किया हुआ मिलता है, देखिये-
“अगर कोई रोजादार ने किसी दीवानी औरत से सम्भोग कर डाला हो तो दोनों पर कोई पाप या प्रायश्चित लागू नहीं है|”
(फताबी काजीखां जिल्द अव्वल हदीस १०१)
“अगर कोई रोजादार शख्स चौपाये या ठण्डी (बिना आसक्ति वाली) औरत या छोटी बच्ची से बदफैली (सम्भोग) करे और उसका इंजाल (वीर्यपात) न हुआ हो तो उसका रोजा नहीं टूटता, और उस पर गुसल भी वाजिब अर्थात लागू नहीं होता” |
(फताबी काजीखां जिल्द १ सफा १००)
अत: मुसलमानों का इस्लाम में ब्रह्माचर्य की बात कहना उसकी हंसी उडाना है, और लोगों को संयम के नाम पर गुमराह करना है |
इस्लाम के अन्दर कुरान का निम्न आदेश भी देखने के काबिल है-
“ऐ ईमान वालो (मुसलमानों) जो लोग मारे जावें, उनमे तुमको (जाने के) बदले जान का हुक्म दिया जाता है | आजाद के बदले आजाद और गुलाम के बदले गुलाम तथा औरत के बदले औरत …………….. का हुक्म दिया जाता है” |
(कुरान सुरह बकर रुकू २२ आयत १७८)
इसमें खुदा ने हुक्म दिया है की-
“अगर कोई गुंडा किसी भले आदमी की औरत से जीना बिलजब्र (बलात्कार) कर डाले तो उस शरीफ आदमी को भी चाहिए की वह भी उस गुंडे की शरीफ औरत से बलात्कार करे”|
क्या यही खुदाई इन्साफ है ? की बुराई करने वाले को दंड न देकर उसकी निर्दोष बीबी पर वैसा गुण्डापन करे ? क्या बुराई का बदला बुराई दुनिया में कोई शराफत का कानून है ?
औरतो की गुंडों से रक्षा क्या ऐसे ही इस्लाम में होती है ? क्या शरीफ औरतों की यही इज्जत अर्थात अस्मत इस्लाम में कायम है ?
कुरान का एक आदेश और भी देखने योग्य है देखिये कुरान में खुदा का आदेश है की-
“तुम्हारी बीबियाँ तुम्हारी खेतियाँ हैं अपनी खेती में जिस तरह चाहो जाओ और अपने लिए आइन्दा का भी बन्दोबस्त रखो |
और अल्लाह से डरो और जाने रहो की (तुम्हे) उसके सामने हाजिर होना है | ऐ पैगम्बर ! सभी ईमान वालों को यह खुशखबरी सूना दो” |
(कुरान पारा २ सुरह बकर रुकू २८ आयत २२३)
इसमें औरत से चाहे जिस तरह चाहे जिस और से चित या पट्ट वाली स्थिति में सम्भोग करने को खुशखबरी बताया गया है |
इस आयत पर कुरान के मशहूर तजुर्माकार शाहअब्दुल कादरी साहब देहलवी ने हाशिये पर हदीस दी है की यह आयत क्यों बनी है ? (देखो दिल्ली का छपा कुरान) वहां लिखा है की-
“यहूदी लोग कहते थे की यदि कोई शख्स औरत से इस तरह जमाव (सम्भोग) करे की औरत की पुष्ट (पीठ) मर्द के मुहँ की जानिब (तरफ) हो तो बच्चा जौल यानी भेंगा पैदा होता है | एक बार हजरत ऊमर राजी उल्लाह अन्स से ऐसा हुआ तो उन्होंने हजरत सलाल्लेहू वलैही असल्लम (मौहम्मद साहब) से अर्ज किया तो यह आयत नाजिल हुई की-“यानी अपनी बीबी से हर तरह जमाअ (सम्भोग) दुरुस्त है”|
कुरान की इस आयत के सम्बन्ध में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “हफवातुल मुसलमीन” में मौलाना शहजादा मिर्जा अहमद सुलतान साहब मुस्वफवी चिश्ती “खाबर गुडगांवा निवासी” ने सफा ४० व् ४१ पर निम्न प्रकार लिखा है-
एक दिन जनाब उमर फारुख रसुलल्लाह के पास हाजिर हुवे, और अर्ज किया की- या रसूलअल्लाह ! में हलाक हो गया |
हुजुर ने फरमाया की- तुम्हे किस चीज ने हलाक किया ?
उसने (मुहम्मद साहब से) अर्ज किया की- “रात मेने अपनी सवारी को औंधा कर लिया था”|
इब्नअब्बास कहते है की-
रसूलअल्लाह यह सुन कर चुप रह गए | बस ! अल्लाह ताला ने “वही” भेज दी रसूलअल्लाह की तरफ |
नोट:- यहाँ वही अर्थात- उसी आयत का जिकर है जो ऊपर कुरान पारा २ सूरते बकर की आयत न० २२३ पर लिखी है की-
“तुम्हारी बीबियाँ तुम्हारी खेतियाँ हैं वास्ते तुम्हारे जाओ अपने खेत में और जिधर से चाहो और नफस का चाहना करो | बस! अल्लाह से डरो और उसकी सुनो”|
इसमें औरत से गुदा मैथुन की बात बिलकुल स्पष्ट रूप से खरी साबित हो गई जो कोई भी औरत अपने मुह से ऐसी बात कह नहीं सकती है |
आगे देखिये कुरान का फरमान-
“तुम्हारे लिए रोजों की रात में भी अपनी औरत से हम बिस्तरी (सम्भोग) करना हलाल है”|
(कुरान पारा २ सुरह बकर रुकू २३ आयत १८७)
एक रवायत में हजरत इब्नअब्बास फरमाते हैं की—
……………………………………………..“चौपाये के साथ बुरा फ़ैल (कर्म) करे तो उस पर अहद (जुर्म) लागू नहीं होता”|
(तिरमिजी शरीफ सफा २९० हिस्सा १ हदीस १२९४)
हमारे विचार से यह रवायत कुछ ज्यादा ही सही हैं क्योंकि इसमें कुछ जुर्रत से ज्यादा ही हिम्मत से काम लिया गया है |
आगे देखिये-
“हजरत आयशा रजीउल्लाह अंस से रवायत है की नबीसलालेहु वलैही अस्लम (हजरत मौहम्मद साहब) ने मुझसे उस वक्त निकाह किया की जब मेरी उम्र सिर्फ ६ साल की थी”|
(बुखारी शरीफ हिस्सा दूसरा सफा १७८ हदीस ४११)
आगे देखिये कुरान के आदेश-
…………………………………………………………………..और वह लोग जो अपनी शर्मगाहो की हिफाजत करते हैं ||५||
……………………………………………………………….मगर अपनी बीबियों और बंदियों के बारे में इल्जाम नहीं है ||६||
(कुरान पारा २ सुरह मोमिनून आयत ५ व् ६)
इससे प्रकट है की-
“इस्लाम में नारी जाती को माता-पुत्री के रूप में नहीं वरन केवल विषयभोग के लिए पत्नी के ही रूप में (मर्दों की अय्याशी के साधन के रूप में) देखा व् व्यवहार में लाया जाता है |
इस्लाम में उसकी इसके आलावा अन्य कोई स्थिति नहीं है | मर्द जब भी चाहे उसे तलाक दे देवे या बदल ले अथवा उससे जैसा चाहे वैसा व्यवहार करे, इस्लामी कानून या मान्यताएं औरत को कोई हक़ प्रदान नहीं करती, सिवाय इसके की वह जिन्दगी भर मर्द की गुलामी करती रहे | और उसे खुश रखे”
भाइयो ! यह तो इस दुनियां का हाल रहा, अब जरा खुदा के घर “जन्नत” में भी औरतों की दशा को देख लेवें- कुरान में जन्न्र का हाल बयान करते हुए जन्नती मुसलमानों के लिए लिखा है की-
“उसके पास नीची नजर वाली हरें होंगी और हमउम्र होंगी”| (कुरान पारा २३, सुरह साद, आयत ५२)
…………………………………………………………उनके पास नीची नजर वाली बड़ी-बड़ी आँखों वाली औरतें होंगी ||४८||
……………………………………………………………………………………………………..गोया वहां छिपे अंडे रखे हैं ||४९||
(कुरान सुरह साफ़फात आयत ४८ व् ४९)
…………………………………………………….“ऐसा ही होगा बड़ी-बड़ी आँखों वाली हूरो से हम उनका विवाह कर देंगे” |
(कुरान सुरह दुखान आयत ५४)
इनमे पाक हूरें होंगी जो आँख उठा कर भी नहीं देखेंगी और जन्नतवासियों से पहिले न तो किसी आदमी ने उन पर हाथ डाला होगा और न जिन्न ने” ||५६||
“………………………………………………………………………………वह हूरें पेश की जायेंगी जो खीमें में बन्द हैं” ||७२||
(कुरान सुरह रहमाना)
………………………………………………………………जन्न्तियों के लिए हमने हूरों की एक ख़ास सृष्टि बनाई है ||३५||
…………………………………………………………………………………………………….फिर इनकी क्वारी बनाया है ||३६||
(कुरान सुरह वाकिया)
…………………………………………………………………………………………………………..नौजवान औरतें हमउम्र ||३३||
……………………………………………………………………………………………अछूती हूरें और छलकते हुए प्याले ||३४||
(कुरान सुरह नहल आयत ३५,३६,३७,३३,३४)
कुरानी खुदा के उक्त वर्णन के समर्थन में “मिर्जा हैरत देहलवी” ने अपनी किताब मुकद्द्माये तफसीरुल्कुरान में पृष्ठ ८३ पर इस्लामी बहिश्त का हाल लिखा है (जिसे शायद वे वहां जाकर देख भी आये हैं) वे लिखते हैं की हजरत अब्दुल्ला बिन उमर ने फरमाया है की-
“जन्नत अर्थात स्वर्ग में रहने वालों में सबसे छोटे दर्जे का वह आदमी होगा की उसके पास ६०,००० सेवक होंगे और हर सेवक का काम अलग-अलग होगा | हजरत ने फरमाया की हर व्यक्ति (मुसलमान) ५०० हूरों, ४,००० क्वारी औरतों और ८,००० शादीशुदा औरतों से ब्याह करेगा”|
नोट- जब छोटे दर्जे के लोगों का यह हाल है तो फिर हम जानना चाहेंगे की बड़े दर्जे के लोगों का भी खुलासा कर देते तो अच्छा रहता |
(इतनी अय्याशी के अलावा भी) स्वर्ग में एक बाजार है जहाँ पुरुषों और औरतों के हुश्न का व्यापार होता है | बस! जब कोई व्यक्ति किसी सुन्दर स्त्री की ख्वाहिश करेगा तो वह उस बाजार में आवेगा जहाँ बड़ी बड़ी आँखों वाली हूरें जमा है और वे हूरें व्यक्ति से कहेंगी की-
“मुबारक है वह शख्स जो हमारा हो और हम उसकी हों |
इसी मजमून पर हजरत अंस ने फरमाया की-
“हूरें कहती हैं की हम सुन्दर दासियाँ हैं, हम प्रतिष्ठित पुरुषों के लिए ही सुरक्षित हैं” |
इससे तो यहीं मालुम होता है की-
“जन्नत में भी रंडियों के चकले चलते है”
यह यहाँ पर इन उपरोक्त वाक्यों से बिलकुल स्पष्ट है |
भाइयों ! ये है जन्नत के नज़ारे ! इस लोक में भी औरतों से ब्याभिचार और मरने के बाद अल्लाह मियाँ के पास बहिश्त में भी हजारो औरतों से जिना (सम्भोग) होगा |
क्या इससे यह साबित नहीं हैं की इस्लाम में जिनाखोरी ही जीवन का मुख्य व अंतिम उद्देश्य है ? यहाँ भी और अरबी खुदा के घर जन्नत में भी | कुरानी जन्नत में औलाद चाहने पर कुरान हमल रह जावेगा और फ़ौरन औलाद होकर जवान बन जावेगी | यह सब कुछ सिर्फ एक घंटे में ही हो जावेगा |
खुदा की जादूगरी का यह करिश्मा सिर्फ वहीँ जन्नत में देखने को मिलेगा | न औरतों को नौ महीनों तक तकलीफ भोगनी पड़ेगी न वहाँ पैदा शुदा औलाद को पालना पड़ेगा |
(तिरमिजी शरीफ, हदीस ७२९ जिल्द दोयम)
इस्लामी जन्नत में सिवाय औरतों से अय्याशी करने और शराब… पीने के अलावा मुसलामानों को और कोई काम धंधा नहीं होगा, कुरान में जन्नत का हाल ब्यान करते हुए लिखा गया है की –
“यही लोग है जिनके रहने के लिए (जन्नत में) बाग़ हैं | इनके मकानों के नीचे नहरें बह रही होंगी | वहां सोने के कंकन पहिनाए जायेंगे और वह महीन और मोटे रेशमी हरे कपडे पहिनेंगे, वह तख्तों पर तकिया लगाए हुए बैठेंगे | अच्छा बदला है क्या खूब आराम है खुदाई जन्नत में ?”
(कुरान पारा १६ सुरह कहफ़ ४ आयत ३१)
………………………………………….यहाँ तुमको (जन्नत में) ऐसा आराम है की न तो तुम भूखे रहोगे न नंगे ||११८||
…………………………………………………………….और यहाँ न तुम प्यासे ही होवोगे और न ही धुप में रहोगे ||११९||
(कुरान पारा १६ सुरह ताहाल आयत ११८-११९)
……….……………………………………………………………………..……सफ़ेद रंग (शराब) पीने वालों को मजा देगी ||46||
…………………………………………………………………………………………...न उससे सर घूमते हैं और न उससे बकते हैं ||४७||
………………………………………………………उनके पास नीची निगाह वाली बड़ी आँखों वाली औरतें (हुरें) होंगी ||४८||
(कुरान पारा २३ सुरह साफ़फात रुकू २)
…………………………………………………………….वहां जन्नत में नौकरों से बहुत से मेवे और शराब मंगवाएंगे ||५१||
………………………………………………..इनके पास नीची नजर वाली हूरें (बीबियाँ) होंगी और जो हमउम्र होंगी ||५२||
(कुरान पारा १८ सुरह साद)
आगे देखिये कुरान में खुदा ने कहा है की-
………………………………………………..“ऐसा ही होगा बड़ी-बड़ी आँखों वाली हूरों से हम उनका ब्याह कर देंगे” ||४७||
(कुरान सुरह दुखान आयत ५४)
……………………………………………………………………………उनके पास लौंडे हैं जो हमेशा लौंडे ही बने रहेंगे ||१८||
(कुरान पारा २७ सुरह वाकिया)
……………………………..उन पर चांदी के गिलास और बर्तनों का दौर चलता होगा की वह शीशे की तरह होंगे ||१५||
………………………………………………………….और वहां उनको प्याले पिलाए जायेंगे जिनमें सौंठ मिली होगी ||१७||
(कुरान पारा २९ सुरह दहर)
……………………………………………………………………………………..उनके नजदीक नौजवान लड़के फिरते हैं ||१९||
………………………………………………………………………………उनका परवरदिगार उन्हें पाक शराब पिलावेगा ||२१||
(कुरान पारा ३० सुरह ततफीफ)
……………………………………………………………………………………………………उनमें कपूर की मिलावट होगी ||५||
(कुरान सुरह दहर आयत ५)
…………………………………………………………………………………….”जन्नत में इगलामबाजी लौंडे बाजी होगी” ||६||
(दरमुख्तार जिल्द ३ सफा १७१)
…………………………………………क्या खुबसूरत गिलमों (लौंडों) का जन्नत में इसी प्रकार इस्तेमाल किया जाएगा ?
“लाइलाहइल्लिल्लाह……..”- कहने वाला चोरी और जिना (व्यभिचार) भी करे तो भी जन्नत में ही दाखिल होगा” |
(मिश्कात किताबुलईमान जिल्द १ सफा १२,१३ हदीस न० २४)
हजरत तलक बिन अली फरमाते हैं की नबी करीम सलेअल्लाहु वलैहि असल्लम ने फरमाया की-
“जब मर्द अपनी बीबी को अपनी हाजत (सम्भोग) के लिए बुलाये तो औरत उसके पास चली जावे ख्वाह्तनूर पर ही क्यों न हो” |
(तिरमिजी शरीफ हिस्सा १ सफा २३२ (१०२२ हदीस))
मतलब तो यह है की ख्वाह वह किसी भी काम में मशगुल हो उसका छोड़ कर चली आये और उसकी ख्वाहिश को पामाल न करे अर्थात ठुकरावे नहीं |