श्रद्धेय आचार्य डॉ धर्मवीर को प्रथम पुण्य तिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि
भला समय बीतते भी कहीं समय लगता है? विश्वास नहीं होता कि डॉ. धर्मवीर जी को पार्थिवता से मुक्त हुये एक वर्ष हो गया। हो भी कैसे? एक दिन की …. है जो हमारे हृदय पटल पर उस दिव्य मूर्ति का सौम्य स्वरूप न प्रकट हुआ हो, जो हमारी सांसों के स्पन्दन में भीगी हुयी करुणा न छायी हो, जो हमारे कण्ठ ने फफक-फफक कर आहें न भरी हों, जो इन शुष्क आखों ने यह जानते हुये कि यह सम्भव नहीं है राह तकते-तकते तनिक आराम की ख्वाहिश की हो। पर समय पर जोर किसका? वह तो यूँ भी बीतेगा और यूँ भी। हाय रे! निष्ठुर हृदय, निष्ठुरता पर आश्चर्य है। इतने संताप को तू सह कैसे गया? हे आचार्य! … Continue reading श्रद्धेय आचार्य डॉ धर्मवीर को प्रथम पुण्य तिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि