श्रद्धेय आचार्य डॉ धर्मवीर को प्रथम पुण्य तिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि

भला समय बीतते भी कहीं समय लगता है? विश्वास नहीं होता कि डॉ. धर्मवीर जी को पार्थिवता से मुक्त हुये एक वर्ष हो गया। हो भी कैसे? एक दिन की …. है जो हमारे हृदय पटल पर उस दिव्य मूर्ति का सौम्य स्वरूप न प्रकट हुआ हो, जो हमारी सांसों के स्पन्दन में भीगी हुयी करुणा न छायी हो, जो हमारे कण्ठ ने फफक-फफक कर आहें न भरी हों, जो इन शुष्क आखों ने यह जानते हुये कि यह सम्भव नहीं है राह तकते-तकते तनिक आराम की ख्वाहिश की हो। पर समय पर जोर किसका? वह तो यूँ भी बीतेगा और यूँ भी। हाय रे! निष्ठुर हृदय, निष्ठुरता पर आश्चर्य है। इतने संताप को तू सह कैसे गया? हे आचार्य! … Continue reading श्रद्धेय आचार्य डॉ धर्मवीर को प्रथम पुण्य तिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि

क्या आर्य बाहर से आये थे : प्रा राजेन्द्र जिज्ञासु

गुरुकुल काँगड़ी से एक भावनाशील युवक ने दो बार चलभाष पर ‘आर्यों का आदि देश’ विषय पर लेखक से चर्चा करते हुए यह पूछा कि कोई ऐसी पुस्तक बतायें, जिसमें ‘आर्यों का आदि देश आर्यावत्र्त है’ इस विषय में अकाट्य तर्क प्रमाण दिये गये हों। उनका प्रश्र हमारे लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसलिये इसे परोपकारी द्वारा मुखरित किया जा रहा है। हम यदा-कदा अपनी पुस्तकों में तथा इस स्तम्भ में एतद्विषयक प्रबल तर्क व प्रमाण देते चले आ रहे हैं। प्रबुद्ध पाठक सूझबूझ से इनको व्याख्यानों व लेखों में देकर मिथ्या मतवादियों के दुष्प्रचार का निराकरण किया करें। जो लोग थोड़ा गुड़ डालकर अधिक मीठा चाहें, वे पं. भगवद्दत्त जी की पुस्तक ‘भारतीय संस्कृति का इतिहास’ पढ़ें। मेरे द्वारा लिखित … Continue reading क्या आर्य बाहर से आये थे : प्रा राजेन्द्र जिज्ञासु

३३कोटि देवताको रहश्य के हो ?

ओ३म्.. तेत्तिस कोटि देव: हिन्दु समाजमा देवहरुको वर्णन निक्कै रोचक छ| देवहरुको संख्या तेत्तिस करोड भनिएको छ र यसमा नदी, रुख-वृक्ष, पर्वत, पशु तथा पंक्षी पनि सम्मिलित गरिएको छ| यस्तो स्तिथिमा सत्य शास्त्रहरुको मान्यता अनुसार चल्नु तथा मान्नु अति आवश्यक छ र देवहरुको बारेमा वास्तविक शिक्षालाई नै जीवनमा धारण गरिनु पर्छ| देव को हुन्: ‘देव’ शब्दले अनेक अर्थ जनाउँछ – ” देवो दानाद् वा, दीपनाद् वा, द्योतनाद् वा, द्युस्थानो भवतीति वा|” (निरुक्त: ७/१५) तदनुसार ‘देव’ को लक्षण हो ‘दान’ अर्थात दिनु| जसले सबैको हितार्थ आफ्नो प्रिय भन्दा प्रिय वस्तु र प्राण पनि देओस्, त्यो देव हो| देवको गुण ‘दीपन’ अर्थात प्रकाश गर्नु हो| सूर्य, चन्द्रमा र अग्निले ताप र प्रकाश दिने हुनाले देव भनिन्छ| देवको कर्म ‘द्योतन’ अर्थात सत्योपदेश गर्नु … Continue reading ३३कोटि देवताको रहश्य के हो ?

नकली भगवान्: डॉ धर्मवीर

नकली भगवान् पाठकगण! इससे पूर्व के अंक में सम्पादकीय को अन्तिम कहकर प्रकाशित किया गया था, परन्तु जब विश्व पुस्तक मेले के लिये श्रीमती ज्योत्स्ना जी दिल्ली गईं, तो उन्हें दिल्ली स्थित आश्रम के डॉ. धर्मवीर जी के कक्ष से यह लेख प्राप्त हुआ, जो कि सम्पादकीय के रूप में ही लिखा गया था। -सम्पादक किसी भी चित्र को देखकर उसे पहचान लेते हैं, तो यह कलाकार की सफलता है। यदि हम एक चित्र को देखें, उसे कोई दूसरे नाम से पुकारे और किसी अन्य चित्र को किसी और नाम से, तो निश्चय ही नाम और आकृति की भिन्नता से वे दोनों चित्र दो भिन्न व्यक्तियों के होंगे। हम मन्दिर में राम की मूत्र्ति को देखकर उसे भगवान् की मूर्ति … Continue reading नकली भगवान्: डॉ धर्मवीर

गुणका खानी- महर्षि दयानन्द सरस्वती

ओ३म्.. गुणका खानि- महर्षि दयानन्द सरस्वती.. कुनै प्रभु-भक्त त छ तर विद्वान् छैन, कुनै विद्वान् त छ तर योगी छैन, कुनै योगी त छ तर सुधारक छैन, कुनै सुधारक त छ तर शूरवीर छैन, कुनै शूरवीर त छ तर ब्रह्मचारी छैन, कुनै ब्रह्मचारी त छ तर वक्ता छैन, कुनै वक्ता त छ तर लेखक छैन, कुनै लेखक त छ तर सदाचारी छैन , कुनै सदाचारी त छ तर परोपकारी छैन, कुनै परोपकारी त छ तर कर्मठ छैन, कुनै कर्मठ त छ तर त्यागी छैन, कुनै त्यागी त छ तर देशभक्त छैन, कुनै देशभक्त त छ तर वेदभक्त छैन, कुनै वेदभक्त त छ तर उदार छैन, कुनै उदार त छ तर शुद्धाहारी छैन, कुनै शुद्धाहारी त छ तर योद्धा छैन, कुनै … Continue reading गुणका खानी- महर्षि दयानन्द सरस्वती

नेपाल आर्यसमाज

ओ३म् नेपाल आर्यसमाज   कृर्ण्वन्तो विश्वमार्यम्! राष्ट्रदेवो भव नेपाल आर्यसमाज, केन्द्रीय कार्यालय:- टंकप्रसाद मार्ग, बानेश्वर हाइटस्, काठमाडौँ, नेपाल दूर-संचार संख्या:- +९७७१४४९२२६५ बिध्युतिय डाक:  nepalarya@wlink.com.np …………………………………………………………………………………………………………………………. वयंराष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः। जागौं स्वराष्ट्रमा हामी, प्रखर अग्नि शिखा बनि। बनोस् वैभव सम्पन्न, यो हाम्रो देश अग्रणी।।   आर्यसमाज अतीत र वर्तमान: – आर्यसमाज एक प्रगतिशील, बुद्धिवादी संस्था हो, कर्मयोगी र ज्ञानिहरुको जमघट हो एवं राष्ट्रवादी वीरहरुको संघ हो। यो दयाको सागर, करुणाको खानि, प्रेम, प्रिती, स्नेह, श्रद्धा र समर्पणको संगम हो। आर्यसमाज वैदिक सत्यमाथि आधारित परोपकारी तथा मानवतावादी संगठन हो। हाम्रो समाजमा शताब्दियौं देखि जातिवाद, छुवा–छुत, उँच–नीच, अन्याय, अत्याचार, उत्पीडन, शोषण, भेदभाव रुपी पिशाचले यस देशलाई भित्रभित्रै खाएर खोक्रो, दुर्बल, दीन–हीन, कृशकाय, दरिद्र एवं दुर्दशाग्रस्त अवस्थामा पुर्याएको थियो। त्यसको साथै नारीजातिको त झनै अवर्णनीय दुरावस्था थियो। … Continue reading नेपाल आर्यसमाज

थाहा पाई राखौं, वेद-आज्ञा उन्लंघन गर्दाको कति भयङ्कर परिणाम हुन सक्छ?

ओ३म्.. महाभारत काल देखि हाल सम्म हाम्रो दुर्गति हुनुको प्रमुख कारण: वेद-आज्ञाको उन्लंघन… थाहा पाई राखौं, वेद-आज्ञा उन्लंघन गर्दाको कति भयङ्कर परिणाम हुन सक्छ? महाभारतमा त्यो दुर्गति हुनुको पछाडी वेद-आज्ञाको उन्लंघन नै थियो..। पहिलो आज्ञा: अक्षैर्मा दिव्य: (ऋ,१०/३४/१३) अर्थात्, “जुवा नखेल।” यस आज्ञाको उन्लंघन भयो। यस आज्ञाको उन्लंघन धर्मराज भनेर चिनिने जेष्ठ पाण्डु पुत्र युधिष्ठिरले गरका थिए। परिणाम: सभामा एक स्त्रीको अपमान। महाभारत जस्तो भयङ्कर युद्ध जसमा करोडौं योद्धा र लाखौँ विद्वानहरु मारिए। आर्यावर्त पतनको मार्ग तिर अग्रसर भयो। दोस्रो आज्ञा: मा नो निद्रा ईशत मोत जल्पिः (ऋ ८/४८/१४) अर्थात्, “आलस्य, प्रमाद र बकवादले हामी माथि शासन नगरुन।” तर यस आज्ञाको पनि उन्लंघन भयो। महाभारत कालमा केहि राजाहरु आलस्य र प्रमादमा डुबे। परिणाम: विदेशिहरुको आक्रमण। धर्मको नाममा अंधविश्वासको पाखण्ड फैलनु। … Continue reading थाहा पाई राखौं, वेद-आज्ञा उन्लंघन गर्दाको कति भयङ्कर परिणाम हुन सक्छ?

MAHOMEDANISM IS MAINLY BASED UPON JUDAISM: Ganga Prasad

THE religion of Mahomed is based chiefly on Judaism, and partly on Zoroastrianism on which Judaism itself is based. The first proposition is not denied by the Mahomedans themselves, who only claim that their Prophet has improved upon the Jewish religion in certain respects. A detailed comparison of the two religions would, however, show how closely Mahomed has followed the Jewish religion even on points of detail, and would lead to the conclusion that there is little or .nothing important in Mahomedanism for which the Prophet could lay claim to originality. We shall in this branch of our enquiry follow Dr. Sale, whose preliminary discourse, appended to his celebrated translation of the Koran, contains a wealth of information on this … Continue reading MAHOMEDANISM IS MAINLY BASED UPON JUDAISM: Ganga Prasad

शाकाहार बाट लाभैलाभ:

ओ३म्.. आज विश्वको हरेक कुना-कुना बाट वैज्ञानिकहरु र चिकित्सकहरुले यहि चेतावनी दिइरहेका छन् कि मांसाहारले क्यान्सर, उच्चरक्तचाप र हृदयाघात जस्तो भयङ्कर समस्या निम्त्याउँछ र आयु क्षीण गर्दछ भने शाकाहारले अधिक मात्रामा पौष्टिकता, स्वस्थ शरीर, सुखमय तथा आनन्दमय जीवन एवं रोगहरु संग लड्ने क्षमतामा वृद्धि गर्दछ। तर पनि मानवले आफ्नो रसलोलुप तथा उदर-पूर्तिको चाहनाले यदि अन्ध-नक्कल या तथाकथित आधुनिकताको होडमा अप्राकृतिक आहार गरेर आफ्नै सर्वनाश गर्न चाहन्छ भने यो उसको दुर्भाग्य नै भन्न सकिन्छ। जीव या पशुको शरीर संरचनामा ध्यान दिनेहो भने हामि देख्दछौं कि सर्वाधिक शक्तिशाली, परिश्रमी, वा अधिक सहनशीलता भएका पशु जो लगातार कयौं दिन सम्म काम गर्न सक्छन्, जस्तै हात्ती, घोडा, गोरु, ऊँट, भेडा आदि सब शाकाहारी हुन्छन्। ब्रिटेनमा त्याहांका शोधकर्ताले एक परीक्षण गरेर हेर्दा पाए कि स्वाभाविक … Continue reading शाकाहार बाट लाभैलाभ:

हदीस : चोरी की सज़ा

चोरी की सज़ा आयशा बतलाती है-”अल्लाह के पैग़म्बर ने एक-चौथाई और उससे अधिक दीनार की चोरी करने वालों के हाथ काट डाले“ (4175)। अबू हुरैरा, पैगम्बर को यह कहते बतलाते हैं-”उस चोर पर अल्लाह की लानत है जो एक अंडा चुराता है और जिसका हाथ काट डाला जाता है। और उस चोर पर भी जो रस्सी चुराता है और उसका हाथ काट डाला जाता है“ (4185)।   हदीस में कुरान की पुष्टि ही की गई है। कुरान में कहा है-”और जो चोरी करे, वह मर्द हो या औरत, उसके हाथ काट डालो। यह उनके किये की सज़ा और अल्लाह की तरफ से इबरत है। और अल्लाह सबसे जबर्दस्त और साहिबे-हिकमत (बुद्धिमान) है“ (5/38)। अनुवादक दो पृष्ठ की एक लम्बी टिप्पणी … Continue reading हदीस : चोरी की सज़ा

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)