‘प्रेरणादायक जीवन: वैदिक विद्वान पं. हीरानन्द’

ओ३म् कहां गये वो लोग, कैसे होते थे हमारे पूर्वज, धर्मात्मा व महात्मा ‘प्रेरणादायक जीवन: वैदिक विद्वान पं. हीरानन्द’ संसार में सुर तथा असुर अर्थात् देवता और राक्षस सदा से होते आये हैं। असुरों के प्रति सामान्य लोगों का भाव वितृष्णा का होता है परन्तु सत्पुरूष वा सुर संज्ञी पुरूषों के प्रति हृदय में आदर व श्रद्धा का भाव देखा जाता है। शायद यही कारण है कि दुष्ट पुरूष भी अपने काले कारनामों को छुपाते हैं और बाहर से अच्छा दिखने व दिखाने का प्रयास करते हैं। आज स्वाध्याय करते हुए हमने एक घटना पढ़ी जिसका हमारे मन पर चमत्कारिक प्रभाव हुआ। मन में विचार आया कि इसे अन्यों तक भी पहुंचाना चाहिये। इसलिए हमारे ऋषियों ने वैदिक सिद्धान्त बनाया है, स्वाध्यायान्मा प्रमदः अर्थात् किसी को कभी भी स्वाध्याय … Continue reading ‘प्रेरणादायक जीवन: वैदिक विद्वान पं. हीरानन्द’

‘एक दलित बन्धु की बारात में एक सुप्रसिद्ध आर्य संन्यासी’

ओ३म् इतिहासकीएकविस्मृतमहत्वपूर्णघटना ‘एक दलित बन्धु की बारात में एक सुप्रसिद्ध आर्य संन्यासी’     महाभारत काल तक हमारे देश में गुण-कर्म-स्वभाव पर आधारित वर्ण (selection) व्यवस्था थी। महाभारत काल के बाद मध्यकाल के दिनों व उससे कुछ समय पूर्व इस व्यवस्था ने जन्म पर आधारित जाति व्यवस्था का रूप ले लिया। इस व्यवस्था में ही मनुष्य-मनुष्य के बीच छुआछूत आदि का प्रचलन भी हुआ। महर्षि दयानन्द ने नयी जाति या वर्ण व्यवस्था को मरण व्यवस्था नाम दिया और इसे समाप्त करने का प्रयास किया। उन्हें इसमें आंशिक सफलता भी मिली है। परन्तु आज भी यह हानिकारक जन्म पर आधारित जाति व्यवस्था समाप्त नहीं हुई है। अब से 50 – 100 वर्ष पूर्व यह बहुत अधिक विकराल रूप में देश में … Continue reading ‘एक दलित बन्धु की बारात में एक सुप्रसिद्ध आर्य संन्यासी’

इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ-अब्दुल अज़ीज़ की शुद्धिः : राजेंद्र जिज्ञासु परोपकारी पत्रिका Dec II, 14

  इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ-अब्दुल अज़ीज़ की शुद्धिः- गत दो-तीन वर्षों में कुछ सज्जनों ने News Valueसमाचार या मीडिया प्रचार शैली से शुद्ध किये गये मुसलमानों में से दो-चार को चुनकर कुछ लेख लिखे फिर एक सज्जन ने मुझ से कुछ ऐसे और नाम सुझाने को कहा। कोई विशेष जानकारी तो कोई दे न सका। शुद्धि आन्दोलन को बढ़ाने के लिए स्वामी चिदानन्द जी, अनुभवानन्द जी, ठाकुर इन्द्र वर्मा जी, पं. शान्तिप्रकाश जी, पं. गोपालदेव कल्याणी जी, श्याम भाई जी, पं. नरेन्द्र जी की तपस्या पर तो कोई लिखता नहीं। मैंने तब हैदराबाद के ऋषि भक्त मौलाना हैदर शरीफ जी के सबन्ध में कुछ  खोजकर लिखने का सुझाव दिया परन्तु कोई आगे न आया। ऋषि ने देहरादून के महाशय … Continue reading इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ-अब्दुल अज़ीज़ की शुद्धिः : राजेंद्र जिज्ञासु परोपकारी पत्रिका Dec II, 14

सेक्युलरिज्म या इस्लामिक तुष्टिकरण

  भारतीय संविधान के अनुसार यह देश सनातनी नहीं सेक्युलर देश है, विश्व का एकमात्र देश, जिसमें सनातनी (हिन्दू) बहुसंख्यक है, ऐसा देश जो सनातनियों का है, वो आज उनका ना होकर हर मत-मजहब वालों का है, यह सब हमारी चुप्पी और एक गंभीर ना दिखने वाली बिमारी की वजह से है, जी हां !!! एक गंभीर ना दिखने वाली बिमारी जिसका नाम है सेक्युलरिज्म ! हर मत मजहब सम्प्रदाय वालों का भाईचारा, जहाँ कोई ऊँचा निचा नहीं, भेदभाव नहीं, सब भाई- भाई की सोच से रहे, पर ऐसा कुछ है नहीं, भारत में सेक्युलरिज्म की परिभाषा बड़ी अजीब और एक मत सम्प्रदाय मात्र को खुश रखने की निति के अनुसार है भारत में हिन्दुइज्म की बात करना अर्थात सेक्युलरिज्म … Continue reading सेक्युलरिज्म या इस्लामिक तुष्टिकरण

अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द : सत्येन्द्र सिंह आर्य

  पंजाब प्रान्त के  जालन्धर जिले में तलवन ग्राम में एक प्रतिष्ठित परिवार में लाला नानकचन्द्र जी के गृह में विक्रमी सवत् 1913 में फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन जिस बालक का जन्म हुआ, उसका नाम पण्डित जी ने बृहस्पति रखकर भी प्रसिद्ध नाम मुंशीराम रख दिया। संन्यास ग्रहण करने के समय तक वे इसी नाम से वियात रहे। पिता जी पुलिस में इस्पेक्टर के पद पर राजकीय सेवा में थे। अतः जल्दी-जल्दी होने वाले स्थानान्तरण के कारण बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान पड़ना स्वाााविक था। परन्तु एक लाा भी हुआ। जिन दिनों श्री नानकचन्द्र जी बरेली में पद स्थापित थे, उन दिनों अंग्रेजी भाषा के व्यामोह में फंसे और नास्तिकता के भँवर में गोते लगाते … Continue reading अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द : सत्येन्द्र सिंह आर्य

भस्मासुर बनते सन्त : आचार्य धर्मवीर जी

  भारतीय परपरा में धर्म का सबन्ध शान्ति के साथ है। जहाँ धर्म है वहाँ शान्ति और सुख अनिवार्य है परन्तु आज के वातावरण में धर्म अशान्ति और परस्पर संघर्ष का पर्याय होता जा रहा है। धार्मिक स्थान पर रहने वाले लोगों को साधु, सन्त आदि शदों से पहचाना जाता था। साधु का अर्थ ही अच्छा होता है, संस्कृत भाषा में जो दूसरों के कार्यों को सिद्ध करने में अपने जीवन की सार्थकता समझता है उसे ही साधु कहते हैं। जिसका स्वभाव शान्त है वही सन्त होता है। आजकल इन शदों का अर्थ ही बदल गया है, जो स्वार्थ सिद्ध करने में लगा है वह साधु है, जो अशान्ति फैला रहा है वह सन्त है। जो जनता को मूर्ख बना … Continue reading भस्मासुर बनते सन्त : आचार्य धर्मवीर जी

जिज्ञासा समाधान : आचार्य सोमदेव जी

  जिज्ञासा– अथर्ववेद में निनलिखित दो मन्त्र इस प्रकार से हैं- अष्टाचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या। तस्यां हिरण्ययः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः।। तस्मिन् हिरण्यये कोशे त्र्यरे त्रिप्रतिष्ठिते। तस्मिन्यद्यक्षमात्मन्वत्तद्वै ब्रह्मविदो विदुः।। – अथर्ववेद 10/2/31-32 पहले मन्त्र में मनुष्य के शरीर की संरचना का वर्णन किया गया है। संक्षेप में, यह स्पष्ट रूप में कहा गया है कि हमारे शरीर में आठ चक्र हैं। मैं अपने अल्प ज्ञान के आधार पर यही समझता हूँ कि वेद-मन्त्र का संकेत मूलाधार से ब्रह्मरन्ध्र नामक आठ चक्रों पर है। इस शरीर में एक आनन्दमय कोश है जो कि आत्मा का निवास-स्थान है। इस आत्मा में जो परमात्मा विद्यमान है, ब्रह्म-ज्ञानी उसे ही जानने का प्रयास करते हैं। जहाँ तक मैंने वैदिक विद्वानों के मुखारविन्द से सुना है, … Continue reading जिज्ञासा समाधान : आचार्य सोमदेव जी

Vedas For Beginners 7 : What is meant by ghosts and spirits[ Bhuths and pretaas]?

K:  Do bodies like ghosts and spirits exist?  Number of stories is told on ghosts and spirits.  Talismans, threads are tied in an attempt to ward off evils. Mantras are muttered to drive away the spirits. There are exorcists claiming similar action. Is it correct? V:  Really speaking, ghosts and spirits do not exist. What people say on the subject are just imaginary stories. Time has three dimensions, present, past, and future. Bhoot means past i.e., what is elapsed.   A deceased does not exist anymore. He is counted to as belonging to the past (Bhoota). Therefore, Bhoot refers to the person who is dead and gone. There is nothing called pretha (spirit). A dead person is called as pretha ( … Continue reading Vedas For Beginners 7 : What is meant by ghosts and spirits[ Bhuths and pretaas]?

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)