Religious Conversion through Temptation

Dec’2014 secession of parliament is stalled by our concern leader on the issue of religion conversion. Verily our elected members of parliament are our representatives and should be concerned over the issues of general public. It should be addressed in parliament. Religion conversion should not be a matter of temptation or threat. Different Muslim Member of Parliament heard saying that 95% of the Indian Muslims were Hindus. How they become Muslims these are not hidden facts. It was a conversion thru the force and lure which resulted in creating ground for Muslims in Aryavart. Sing of forceful conversion are still found as after passing lot of generations still converted Muslims are carrying their identity of Gotra like Chaudhary Muslim, Malik … Continue reading Religious Conversion through Temptation

आदर्श संन्यासी – स्वामी विवेकानन्द भाग -२ : धर्मवीर जी

दिनांक २३ अक्टूबर २०१४ को रामलीला मैदान, नई दिल्ली में प्रतिवर्ष की भांति आर्यसमाज की ओर से महर्षि दयानन्द बलिदान समारोह मनाया गया। इस अवसर पर भूतपूर्व सेनाध्यक्ष वी.के. सिंह मुख्य अतिथि के रूप में आमन्त्रित थे। उन्होंने श्रद्धाञ्जलि देते हुए जिन वाक्यों का प्रयोग किया वे श्रद्धाञ्जलि कम उनकी अज्ञानता के प्रतीक अधिक थे। वी.के. सिंह ने अपने भाषण में कहा- ‘इस देश के महापुरुषों में पहला स्थान स्वामी विवेकानन्द का है तथा दूसरा स्थान स्वामी दयानन्द का है।’ यह वाक्य वक्ता की अज्ञानता के साथ अशिष्टता का भी द्योतक है। सामान्य रूप से महापुरुषों की तुलना नहीं की जाती। विशेष रूप से जिस मञ्च पर आपको बुलाया गया है, उस मञ्च पर तुलना करने की आवश्यकता पड़े भी … Continue reading आदर्श संन्यासी – स्वामी विवेकानन्द भाग -२ : धर्मवीर जी

Advaitwaad Khandan Series 3 : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय

श्री स्वामी शंकराचार्य जी ने वेदान्त दर्षन का जो भाष्य  किया है उसके आरम्भ के भाग को चतुःसूत्री कहते है। क्योंकि यह पहले चार सूत्रों के भाश्य के अन्र्तगत है। इस चतुःसूत्री में भाश्यकार ने अपने मत की मुख्य रूप से रूपरेखा दी है। इसलिये चतुःसूत्री को समस्त षांकर-भाश्य का सार कहना चाहिये। वादराय-कृत चार सूत्रों के षब्दों से तो षांकर-मत का पता नहीं चलता। वे सूत्र ये हैंः- (1) अथातो ब्रह्मजिज्ञासा-अब इसलिये ब्रह्म जानने की इच्छा है। (2) जन्माद्यस्य यतः-ब्रह्म वह है जिससे जगत् का जन्म, स्थिति तथा प्रलय होती है। (3) षास्त्रायोत्विात्-वह ब्रह्म षास्त्र की योनि है अर्थात् वेद ब्रह्म से ही आविर्भूत हुये है। (4) तत्तु समन्वयात्-ब्रह्म-कृत जगत् और ब्रह्म-प्रदत्त वेद में परस्पर समन्वय है। अर्थात् षास्त्र … Continue reading Advaitwaad Khandan Series 3 : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय

Advairwaad Khanadan Series 2 : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय

पर और अपर ब्रह्म एतावानस्य महिमाता ज्यायाँष्च पूरूशः। पादोऽस्य विष्वाभूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि। (यजुर्वेद 31।3) अर्थः-इस ब्रह्म की इतनी महिमा हुई। ब्रह्म तो इससे भी बड़ा है। उसके एक पाद में सब भूत (जगत्) आ जाते हैं। और इसके अमृत रूपी तीन पाद द्यौ में अर्थात् इस लोक के परे हैं। तात्पर्य यह है कि सृश्टि को देख कर ब्रह्म का पार नहीं पा सकते। यह सृश्टि तो ब्रह्म की छोटी सी कृति है। ब्रह्म का पूर्णस्वरूप तो इससे भी परे है। अपार है, अनन्त है, और अचिन्त्य भी। यह उपचार की भाशा है गणित की नही। अर्थात् इसका यह तात्पर्य नहीं कि ईष्वर के चार पाद है एक पाद सृश्टि है और तीन पाद द्यौलोक। ईष्वर अखंड है। उसके पाद … Continue reading Advairwaad Khanadan Series 2 : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय

Advaitwaad Khandan Series 1 : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय

स्वप्न की मीमांसा और उसका शांकर  मत में स्थान! शास्त्रकारों ने जीव की पाँच अवस्थायें मानी हैं, जागृत, स्वप्न, सुशुप्ति, तुरीय और मोक्ष। इनके अतिरिक्त छठी अवस्था अभी तक कल्पना में नहीं आई। तुरीय या समाधि अवस्था केवल योगियों को प्राप्त है। मोक्ष संसारित्व से परे की चीज है। परन्तु षेश तीन अवस्थाओं से सभी प्राणी भली भांति परिचित हैं। जागना, स्वप्न देखना और गहरी नींद सोना। विज्ञानवेत्ताओं के लिये जागृत अवस्था ही सब कुछ है। उनका विशय है ब्राह्य जगत्। ब्राह्य जगत् का सम्बन्ध है प्रत्यक्ष तथा प्रत्यक्षाश्रित प्रमाणों द्वारा सिद्ध हुये अनुभवों से। सांसारिक समस्त व्यवहार इन्हीं से चलते हें। भौतिकी, रसायन, जीव-षास्त्र, इतिहास, भूगोल, खगोल, गणित, समाजषास्त्र, प्रजननषास्त्र, अर्थषास्त्र, संगीत, कला, चित्रण सभी जागृत अवस्था के अनुभवों … Continue reading Advaitwaad Khandan Series 1 : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय

Advaitwaad Khandan Series- By Gangaprasad Ji: भूमिका : शंकर भाष्य आलोचन

भूमिका : शंकर भाष्य आलोचन श्रीयुक्त शंकराचार्यजी महाराज न केवल भारतवर्श के अपितु संसार के दार्षनिकों में एक उच्च स्थान रखते हैं। इस प्रकार के दार्षनिक जो अपने नवीन विचारों से जगत् को सम्पायमान कर दें और विद्वन्मण्डली तथा विद्या-षून्य सर्वसाधारण की विचारधारा को बदल दें जगतीतल पर कभी-कभी ही उत्पन्न होते हे। शंकर  स्वामी भारतवर्श में उस समय उत्पन्न हुये जब बौद्ध-दर्षन काल का प्राबल्य था और विषेश कर माध्यमिकों और योगाचारों का। इनका मूल सिद्धान्त था आत्म-नास्तिक्य और वेदों का अप्रमाणत्व किया और आत्मसत्ता तथा श्रुति के प्रामाण्य दोनों को पुनः स्थापित कर दिया। इसके लिये शंकर  स्वामी के प्रयोग में सब से बड़ा अस्त्र जो आया वह वेदान्त दर्षन (वादरायण या व्यास के सूत्रों) का षरीरक भाश्य … Continue reading Advaitwaad Khandan Series- By Gangaprasad Ji: भूमिका : शंकर भाष्य आलोचन

विद्यालयी शिक्षा में संस्कृत शिवदेव आर्य, देहरादून

  संस्कृत भाषा का नाम सुनकर प्रगतिशील विद्वान्, नेता राजनेता भड़क जाते हैं। शिक्षा मे संस्कृत की बात आती है तो इन्हें सेक्युलर ढांचा खतरे में दिखाई देने लगता है। विडम्बना देखिए त्रिभाषा फार्मूले पर असंवैधानिक कदम का विरोध नहीं हुआ। लेकिन जब गलती को सुधारा गया, तो आरोप लगाया गया कि सरकार शिक्षा का भगवाकरण चाहती है। जबकि केन्द्र सरकार ने स्पष्ट रूप से बता दिया था कि संस्कृत को अनिवार्य नहीं किया जा रहा है। न वैकल्पिक विषय के रूप में किसी भाषा पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। विद्यार्थियों के सामने विकल्प रहेंगे। केवल पिछली सरकार की एक बड़ी गलती को सुधारा गया है परन्तु आश्चर्य की बात है कि लगातार तीन वर्ष तक असंवैधानिक व्यवस्था चलती रही। … Continue reading विद्यालयी शिक्षा में संस्कृत शिवदेव आर्य, देहरादून

Vedas For Beginners 6 : IS GOD JUST AND MERCIFUL?

V:  How the attributes of Mercy and Justice could remain together with God was your yesterday’s question. Frankly speaking, both Mercy and Justice are always remain together, the difference being whereas Mercy is from the side of God; Justice is dispensed as per the Karma of men. For ex, a farmer sows the seed in a farm. But the God instead gives him hundreds of grains in return. This is God’s mercy. About Justice it is as per the well-known adage “he reaps what he sows”. When he sows the groundnut seed he reaps the groundnut crops only, and not wheat. This is his justice. There is a father with four sons. The father gives Rs 1000/- each to his … Continue reading Vedas For Beginners 6 : IS GOD JUST AND MERCIFUL?

CAN QURAN BE A WORD OF GOD? (PART -2): By Nishant Shaliwan

  The objective is to find that whether Quran is a word of God and is Quran clear in its message or there are self contradictions and, Can the word of God be self contradictory? To know the answer read the second part of the article and decide yourself.   CAN QURAN BE A WORD OF GOD? (PART -2) PART_2   By Nishant Shaliwan     The objective is to find that whether Quran is a word of God and is Quran clear in its message or there are self contradictions and, Can the word of God be self contradictory? To know the answer read the second part of the article and decide yourself. In Continuation to the first part … Continue reading CAN QURAN BE A WORD OF GOD? (PART -2): By Nishant Shaliwan

जो डर गया वह मक्का गया

    PK  का जवाब बिना पिए क्यूंकि पीने का शौक वैसे भी जन्नत जाने के शौकीनों को ज्यादा है हम तो सनातनी है भाई, जहाँ जन्नत या दोजख जैसे प्रदेशों की कोई जगह नहीं,  आमिर खान एक जाना माना नाम एक अभिनेता और टी.वी. कार्यक्रम का होस्ट, आमतौर पर देखने में आता है की अभिनेता जनता को भावनात्मक रूप से काफी आकर्षित करते है, कोई human being जैसे नारे बना कर, कोई पाकिस्तानी बच्चों की मौत पर करोड़ों दान देकर और आमिर जैसे “सत्यमेव जयते” नाम के कार्यक्रम द्वारा जनता की परेशानियों और समाज में फैली बुराइयों का पर्दाफास कर ख़ासा आकर्षण पैदा कर लेते है, (वैसे भी इस्लाम को पैदा करने में माहिरता है, कभी इंजील कभी तौरात … Continue reading जो डर गया वह मक्का गया

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)