महर्षि दयानन्द दर्शन का विश्वव्यापी प्रभावः– सस्ता साहित्य मण्डल ने ‘हमारी परम्परा’ नाम से एक ग्रन्थ का प्रकाशन किया है। इसके संकलनकर्ता अथवा सम्पादक प्रसिद्ध गाँधीवादी श्री वियोगीहरि जी ने आर्यसमाज विषय पर भी एक उ ाम लेख देने की उदारता दिखाई है। उनसे ऐसी ही आशा थी। वे आर्यसमाज द्वेषी नहीं थे। इन पंक्तियों के लेखक से भी उनका बड़ा स्नेह था। प्रसंगवश यहाँ बता दें कि आप स्वामी सत्यप्रकाश जी का बहुत सम्मान करते थे। इस ग्रन्थ में छपे आर्यसमाज विषयक लेख के लेखक आर्य पुरुष यशस्वी हिन्दी साहित्यकार स्वर्गीय श्री विष्णु प्रभाकर जी हैं। आपने इसमें एक भ्रमोत्पादक बात लिखी है जिसका निराकरण करना हम अपना पुनीत व आवश्यक कर् ाव्य मानते हैं। आपने लिखा है कि … Continue reading महर्षि दयानन्द दर्शन का विश्वव्यापी प्रभाव : प्रो राजेंद्र जिज्ञासु→
अवतारवाद की अनिष्टकारी कल्पना जिसने भी कभी की होगी, तब उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन कोई भी यूँ ही मुँह उठाकर स्वयं को परमात्मा का अवतार घोषित कर देगा। अवतारवाद की अवधारणा चाहे जब से चली हो, लेकिन प्रतीत होता है कि विगत ५०-६० वर्षों के कालखण्ड में इस अवतारवाद ने कुछ अधिक ही उन्नति कर ली है। एक समय था जबकि शंकराचार्य से लेकर सन्त तुलसी तक सब साधु-महात्मा भक्त बनकर ही आनन्द की अनुभूति कर लेते थे, स्वामी विवेकानन्द तक को भगवान बनने की न सूझी। आज की बात करें तो लगता है भक्त बनने में कोई अधिक सुख शेष नहीं रहा, जिसे देखो भगवान बनने में लगा हुआ है। सम्भवतः पुरानी पीढ़ी … Continue reading अवतारवाद का अन्त होगा? रामनिवास गुणग्राहक→
पिछली सरकारों ने हिन्दी-संस्कृत को योजनाबद्ध रूप से समाप्त करने का कार्य किया। मोदी सरकार के आने से यह षड़यन्त्र अधिकारिक रूप से तो हट गया, परन्तु पिछले साठ वर्षों से जो इस कार्य में लगे हुए थे और आज भी शासन में प्रमुख पदों पर बैठे हैं, उनकी तड़प समझी जा सकती है। वे आज आदेश निर्देश की भाषा छोड़कर परामर्श व समझदारी के बहाने हिन्दी को समाप्त करने के अपने प्रयास को बढ़ाने लगे हैं।
मूलराज के पश्चात् पंडित लेखराम आर्य जाति के ऐसे पहले महापुरुष थे जिन्हें धर्म की बलिवेदी पर इस्लामी तलवार कटार के कारण शीश चढाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ . वे आर्य जाति के एक ऐसे सपूत थे जो धर्म प्रचार व जाती रक्षा के लिए प्रतिक्षण सर तली पर धरकर प्रतिपल तत्पर रहते थे . उन्हीं के लिए कुंवर सुखलाल जी ने यह लिखा था : हथेली पे सर जो लिए फिर रहा हो वे सर उसका धड से जुदा क्या करेंगे पंडित लेखराम ने लेखनी व वाणी से प्रचार तो किया ही, आपने एक इतिहास रचा . आपको आर्यसमाज तथा भारतीय पुनर्जागरण के इतिहास में नई -२ परम्पराओं का जनक होने का गौरव प्राप्त हुआ . श्री पंडित रामचन्द्र … Continue reading रक्त्साक्षी पंडित लेखराम ने क्या किया ? क्या दिया ? राजेन्द्र जिज्ञासु→
पिछले लेख में शिवपूजन सिंह जी द्वारा अम्बेडकर साहब के अछूत कौन ओर केसे का खंडन हमने प्रकाशित किया था अब शुद्रो की खोज की उन बातो के खंडन का अंश जो अम्बेडकर जी ने वैदिक विचारधरा पर आक्षेप किया था उसका प्रत्युतर है | डा. अम्बेडकर – पुरुष सूक्त ब्राह्मणों ने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए प्रक्षिप्त किया है | कोल बुक का कथन है कि पुरुष सूक्त छंद तथा शैली में शेष ऋग्वेद से सर्वथा भिन्न है |अन्य भी विद्वानों का मत है कि पुरुष सूक्त बाद का बना है | शिवपूजन सिंह जी – आपने जो पुरुष सूक्त पर आक्षेप किया है ये आपकी वेद की अनभिज्ञता प्रकट करता है |आधिभौतिक दृष्टि से चारो वर्णों के पुरुषो … Continue reading डा अम्बेडकर का खंडन प. शिवपूजन सिंह कुशवाह द्वारा भाग २→
‘आप’ का बनना, चुनाव लड़ना, सरकार बनाना, सब कुछ अप्रत्याशित लगता है | जिस आशा के साथ इस पार्टी का निर्माण हुआ, उतनी ही निराशा इसके काम से है | इसके बनने के कारण में सामान्यजन की पीड़ा मुख्य है | इस पीड़ा का मूल शासन-प्रशासन में व्याप्त रिश्वतखोरी है | जिसके कारण नियम, व्यवस्था सब कुछ निरर्थक हो गई है| इस घूसखोरी के कारण सामान्य मनुष्य का जीवन कठिनाई में पद गया है | जिसका काम नियम से होना चाहिए, उसका काम नहीं होता | जिसका काम होने योग्य नहीं है, उसका काम पैसे देकर हो जाता है | इस कुचक्र में सामान्यजन फंस कर रह गया है, इस विवशता को उसने नियति मान लिया था | ऐसे … Continue reading आम आदमी पार्टी की वास्तविकता→
संसार में जितने भी पर्व तथा उत्सव आते हैं, उन सबका एक ही माध्यम (उद्देश्य) होता है – हम कैसे एक नए उत्साह के साथ अपने कार्य में लगें? हमें अब क्या-क्या नई-नई योजनाएं बनाने की आवश्यकता है, जो हमें उन्नति के मार्ग का अनुसरण करा सकें। समाज में दृष्टिगोचर होता है कि उस उत्सव से अमुक नामधारी मनुष्य ने अपने जीवन को उच्च बनाने का संकल्प लिया और पूर्ण भी किया। यह सत्य सिद्धान्त है कि जो व्यक्ति सफल होते हैं, वह कुछ विशेष प्रकार से कार्य को करते हैं। शिवरात्री का प्रसिद्ध पर्व प्रायः सम्पूर्ण भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उपासक सम्पूर्ण दिन उपवास रखते हैं तथा रात्री को शिव की आराधना करते हुए … Continue reading बोधत्व राष्ट्र के लिए शिवदेव आर्य→