महर्षि दयानन्द और अपमान
प्रत्येक व्यक्ति सोचने समझने के लिए स्वतंत्र हैं . वह अपनी बुद्धिमत्ता के अनुसार परिस्थिति के आंकलन के अनुसार निर्णय लेकर कार्य करता है . एक वर्ग ऐसा भी होता जो किसी अन्य के विचारों को बिना सोचे समझे अनुपालन करना आरम्भ कर देते हैं वहीं कुछ किसी न किसी कारणवश उनकी बातों से सहमत नहीं होते . यह मानव जाती का स्वभाव और व्यवहार में प्रदर्शित होता है . यही कारण है की महापुरुषों के जहाँ अनुगामी लोगों की पचुरता होती है वहीं ऐसे लोगों का समूह भी होता है जो उनकी बातों से सहमत नहीं होते. महापुरुष विरोधियों की बातों को सुनने और उनकी कटाक्षों को सहने की सामर्थ्य रखते हैं और इनसे विचलित नहीं होते उनका यही … Continue reading महर्षि दयानन्द और अपमान