श्री कृष्ण चोर या महापुरुष

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कृष्ण जन्माष्टमी आते ही योगिराज श्री कृष्ण की मान मर्यादा को तार तार करने का सिलसिला प्रारम्भ हो जाता है, सोशल मिडिया को महापुरुषों के लिए शोषण मिडिया बनाकर रख दिया है

महापुरुषों की या हिन्दू देवी देवताओं के किसी की भी जयंती आने वाली हो सोशल मिडिया पर ऐसे संदेशों की बहार आ जाती है जिसमें उन पर कई गन्दी और बेहूदा मजाक बनाई होती है

जन्माष्टमी पर कृष्ण को लेकर एक संदेश बहुत चल रहा है

गुरुवार तारीख 25-08-2016 को दुनिया के सबसे
बड़े डॉन का बर्थडे है
कोई ऐसा गुनाह नहीं जो उन्होंने नहीं किया हो….
1. जेल में जन्म
2. माँ-बाप की हेरा-फेरी
3. बचपन में लड़कियों का चक्कर
4. नागदेवता को भी मार दिया
5. कंकर मार कर लडकियों को छेड़ना
6. 16108 लफड़ा
7. दो-दो बीवियां
8. अपने मामू का मर्डर
9. मथुरा से तड़ीपार
फिर भी भाई कभी पकडे नहीं गये
इसलिए तो उसे में भगवान मानता हूँ

इस संदेश की जड़ वैसे तो कुलषित मनोवृत्ति का कोई असामाजिक तत्व है
परन्तु ये सब बाते फैली है विष्णु पुराण आदि की वजह से, जिसमें हमारे पूर्वज योगिराज श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को बेहद घटिया बताया है

हम लोग इन अवैदिक झूठे ग्रन्थों को सही मान कर कृष्ण को इस तरह का समझ बैठते है और ऐसे घटिया बेहूदा संदेशों को मजाक समझकर आगे भेजते रहते है

श्री कृष्ण योगिराज थे और ये विचारणीय बात है की कोई योगिराज क्या धर्मपत्नी को छोड़कर अन्य औरतों के साथ सम्बन्ध रखेगा यहाँ यह बात भी झूठी है कि “नरकासुर की कैद से १६१०० स्त्रियाँ छुड़ाई गई थी जिन्हें संभवतः समाज स्वीकार नहीं कर रहा था, उन्हें पत्नी का सम्मानजनक दर्जा दिया, वे भोगी नहीं योगी थे”

श्री कृष्ण का ओहदा उस समय भी उच्च स्तर का था तो यदि ऐसी कोई घटना हुई की १६१०० स्त्रियों को छुड़ाया तो सम्भवतः कृष्ण जब लोगों को समझाते की ये स्त्रियाँ पवित्र है और जो विवाह योग्य है उनसे उचित व्यक्ति विवाह करे और जो छोटी है उन्हें अपनी बेटी बना उनका लालन पालन करें तो आमजन उनकी बात को समझकर उसे स्वीकार उन स्त्रियों को अपनाते

बाकी जो कपडे चुराना लडकियां छेड़ना जैसी असभ्य हरकतों का जो जिक्र है वह वाम मार्गियों द्वारा बनाये गए ग्रन्थ भागवत हरिवंश पुराण आदि की देन है श्री कृष्ण का जीवन चरित्र महाभारत में मिलता है उससे इतर बाद के लोगों और वाममार्गियों ने उनके बारे में झूठी बाते लिखकर हमारे इतिहास को बदलने की चेष्टा की है

परन्तु यह हम सनातनियों का दायित्व है की हम अपने महापुरुषों को जानकर, समझकर, उनके बारे में सत्य जीवन चरित्र पढ़कर गलतफहमियों को मिटाने का प्रयास करे

youtube पर “pandit lekhram vedic mission” के नाम से एक चैनल है

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राधा का सच

श्री कृष्ण की माखन चोरी और वस्त्र चोरी सच क्या

द्रौपदी के विवाह का सच

जहाँ श्री कृष्ण के बारे में जो झूठी भ्रांतियां फैलाई गई है उनके बारे में एनीमेशन विडियो बनाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है उन विडियो को भी शेयर करके आप लोगों को जागरूक कर सकते है

जरूरत है लोगों में श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को लेकर जागरूकता फैलाने की इसके लिए हमें स्वयं इनके जीवन चरित्र को पढना पड़ेगा और कुछ वेबसाइट पर उनके जीवन चरित्र को लेकर सत्यता बताई है उसे अधिक से अधिक शेयर करने की

इसके लिए आप
www.aryamantavya.in पर जाकर और अधिक विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है

20 thoughts on “श्री कृष्ण चोर या महापुरुष”

    1. कोई हकीकत नहीं है वह कृष्ण को बदनाम कुछ लोगो के द्वारा की जा रही है |

      1. Amit jee,

        Maine chanakya neeti padhi hai. Usme chanakya ne krishna ko Aahir-kanya(Radha ya gopiya) ka priya likha hai. To shayad Radha ka astitva to hoga kahi par. Haa mein makhan chori aur baki gopio vali baat nahi manta.

        – Dhanyawad

          1. Rishwa jee,

            Shukriya! Maine satyartha prakash padhi hai. Usmein bataya hai ki Bopdev ne Bhagwat purana likhi hai, aur ye baat bhavishya puran mein indirectly batayee hai. To ye saree batein jhuthi hai ye mein man sakta huin.

            Par chanakya neeti mein jo bataya hai, usko bhi nahi jhuthlaya ja sakta. kyonki usmein prakshepan hone ki sambhavna nahi hai. Radha nahi to ahir-kanya gopiya ho sakti hai. Haa, mein ras-leela, kapda-chori, makhan-chori ko nahi manta.

            – Dhanyawad

            1. चाणक्य निति आपने पढ़ी है क्या ? मेरे पास भी चाणक्य निति है | चाणक्य निति में बहुत सी बात ऐसी है जो वैदिक नहीं है मान्यवर |

  1. जी अमितजी,

    मैंने चाणक्य नीति पढ़ी है. और यह, वैदिक अथवा अवैदिक का प्रश्न नहीं है. यह इतिहास से जुड़ी बात है.

    – धन्यवाद्

    1. इतिहास में बहुत कुछ लिखा है जैसे विष्णु स्तम्भ को कुतुबमीनार बोला जाता है उसके बारे में क्या बोलोगे आप | इतिहास में ताजमहल को बोला जाता है शाहजहाँ ने बनाया मगर यह तेजो महालय था जो शिव मंदिर था | इतिहास बोलता है महात्मा गांधी रास्त्रपिता है जबकि हकीकत यह है की वे रास्त्रपिता नहीं है | आप समझदार हो आपको ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी हमें | धन्यवाद

  2. अमितजी,

    मेरा प्रश्न इनमेसे किसी भी बात के साथ नहीं है, पर आपका जवाब मुझे मिल गया. क्या ये बता सकते है की चाणक्य नीति में प्रक्षेपण किया गया है? या फिर, ये सारी मान्यताएं उससे भी पहलेकी है?

    क्योंकि, जैन ग्रंथो में भी कृष्णा को अच्छा राजा बताया गया है, और कृष्णा को सम्मान भी दिया गया है. ये और बात है की, उन्होंने ने कृष्णा को नर्क में भेजा है. पर उन्होंने कृष्णा को अपने आनेवाले तीर्थंकर बताये है.

    और महावीर से २००-२५० वर्ष के पश्चात् चाणक्य का जन्म हुआ है.

    – धन्यवाद्

    1. ji is baare me jyada jaankaari nahi de sakta kyunki maine nahi parhaa….mere paas hai magar samay ki aabhav ke kaaran magar haa jab geetaa ramayan mahabhart ityaadi me milawat ho sakti hai to isme kyu nahi ho sakti…. ho sakta hai kiyaa gaya ho…. jab raadhaa krishn ki baat aati hai jaise aapne bataya to jarur milawat ki gayi hogi…. waise mahabhart ke kai saal baad chanakya aaye is baat me shak nahi… aur mahabhart yudh ke baad hi kai mat majhab aaya jaise islaam isai… jain … baudh… usse pahle kewal sanatan vedic dharam majud thaa…. yudh me bahut kshati huyi jiska parinaam ye sab mat sampraday sab kaa aagman huwa…. chaliye puraan ke aadhaar par avtaar ki jaankaari deta hu vishnu ki… ved ke aadhaar par ishwar avtaar nahi letaa… 1) matashy 2) kachuwa awtaar 3) sukar (suwar ) 4) nrisingh 5) vaaman 6) parshuram 7) raam 8) krishn 9) budh aur 10)kalki … is aadhaar par bhi aap dekh sakte ho ye baudh jain ityaadi islaam sab baad me aayi… ham ved ka anusarn karte hain us aadhaar par ishwar avtaar nahi letaa….

      1. अमितजी,

        आप की बात सर्वथा सत्य है। महाभारत के पश्चात जो उत्पात हुआ उसमे सब ब्रह्मिनोने वेदो का अयोग्य अर्थघटन करना प्रारम्भ किया, जिसके फल स्वरुप अन्य सम्प्रदायों का उद्धभव हुआ।

        और, बुद्ध अथवा महावीर के समय में भी वेदो का ही अधिक प्रभाव था, वे इसलिए नास्तिक कहे गए क्योंकि वे सब वेदो के विरोध में और ईश्वर को ना मान कर प्रचार कर रहे थे। वह समय अवतारवाद प्रसिद्द नहीं हुआ था। यध्यपी, वह समय अवतारवाद होता था तो पहले जैन लोग मारे जाते थे।

        बुद्ध को अवतार बनाया क्योंकि वे अधिक से अधिक प्रसिद्द होने लगे थे, और महावीर इतने प्रसिद्द नहीं हुए। परन्तु ऋषभदेव को अधिक महत्व दिया और विष्णु का अवतार बताया क्योंकि वे जैन और बुद्ध दोनों ही शास्त्रों में आते है। विष्णु या शिव कोई भी जैन अथवा बौद्ध शास्त्रों में नहीं है, तो ये तो सत्य है की ये सब बनाये हुए भगवान है।

        – धन्यवाद्

        1. ऋषभदेव जी को जितना मैंने पुराण पढ़ा है उस आधार पर शिव का अवतार रुद्रावतार बोला जाता है विष्णु अवतार नहीं |

          1. शिवपुराण और लिंगपुराण के अनुसार ऋषभदेव शिव के अवतार है, भागवत और विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु के अवतार है। जैनो के अनुसार वे अपने किसी पूर्व जन्म में कृष्ण हुआ करते थे।

            1. ji maine bhagwat puraan aur vishnupuraan nahi parha hai magar haa aap sahi bol rahe hain bhagwat puraan me rishavdev ko vishnu kaa avtaar bataya gaya hai… dhanywaad jaankaari dene ke liye main bhul gaya thaa…. puraan khud apane baato ko hi katata hai isi kaaraan puraan par nahi vishwaas kiyaa jaa sakata jaise rishabhdev ke avtaar ke baare me hi bataya gaya alag puraan me alag alag… dhanywaad

  3. Milawat to khub hui h dharmik granthon men aur vahi milawati baten samaj men buri tarah fail chuki h.milawat krne ka uddeshya kisi samaj vishesh ,dharm vishesh ko nasht krna ,nich batana tatha apne dharm vishesh aur apne Nayak vishesh ka mahima mandan krna tha. Is chakkar men swarthi panditon ne bhartiy samaj ko purn rup se kalushit kr diya ,kamjor kr diya.

    1. इल्जाम केवल पंडित पर ना लगाये सभी का पूरा योगदान था उस समय मिलावट करने में | यदि योगदान नहीं होता तो मिलावट नहीं की जा सकती थी | पूरा समाज ही दोषी था

      1. सिर्फ पंडितों पर ही इल्जाम लगाया जाना बिल्कुल ठीक है qki धार्मिक ग्रंथों को लिखने का काम पाखंडी पंडित करते थे

            1. आपके सवालों का जवाब पहले कई लेखों में दिया जा चूका है फिर भी आपके सवालों का निजी रूप से जवाब देने का प्रयास किया जायेगा

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