कुरान का उतरना

कुरान का उतरना जो लोग परमात्मा के विश्वासी हैं और उसमें सत् ज्ञान की शिक्षा का गुण मानते हैं उनके लिए इल्हाम (ईश्वरीय सन्देश) पर विश्वास लाना आवश्यक है। परमात्मा ने अपने नियमों का प्रदर्शन सृष्टि के समस्त कार्यों में कर रखा है। इन नियमों का जितना ज्ञान मनुष्य को होता है उतना वह प्रकृति की विचित्र शक्तियों से जो स्वाभाविक रूप से उसके भोग के साधन हैं, उनसे लाभान्वित हो सकता है। मनुष्य के स्वभाव की विशेषता यह है कि विद्या उसे सिखाने से आती है। बिना सिखाए यह मूर्ख रहता है। अकबर के सम्बन्ध में एक कवदन्ती है कि उसने कुछ नवजात बच्चे एक निर्जन स्थान में एकत्रित कर दिए थे और केवल गूँगों को उनके पालन पर … Continue reading कुरान का उतरना

मुंशी प्रेमचन्द और आर्यसमाज- राजेन्द्र जिज्ञासु

मुँशी प्रेमचन्द जी पर लिखने वाले प्राय: सभी साहित्यकारों ने उनके जीवन और विचारों पर आर्यसमाज व ऋषि दयानन्द की छाप पर एक-दो पृष्ठ तो क्या, एक-दो पैरे भी नहीं लिखे। उन्हें गाँधीवाद व माकर््स की उपज ही दर्शाया गया है। श्री ओमपाल ने उनके साहित्य पर आर्य विचारधारा की छाप सिद्ध करते हुए पीएच.डी. भी किया है। उनका शोध प्रबन्ध ही नहीं छपा। जब मैंने ऋषि दयानन्द पर लिखी गई उनकी एक श्रेष्ठ कहानी ‘आपकी तस्वीर’ खोज निकाली और ‘आपका चित्र’ नाम से उसे अपने सम्पादकीय सहित पुस्तिका रूप में छपवा दिया तो प्रेमचन्द जी के नाम पर सरकारी अनुदानों से लाभ उठाने वाले प्रेमचन्द विशेषज्ञों ने मेरा उपहास उड़ाया। यह फुसफुसाहट मुझे आर्य बन्धुओं से ही पता चली। … Continue reading मुंशी प्रेमचन्द और आर्यसमाज- राजेन्द्र जिज्ञासु

यज्ञ विधि की शंका समाधान : आचार्य सोमदेव जी

जिज्ञासा १- आचार्य सोमदेव जी की सेवा में सादर नमस्ते। आर्यसमाजी दुनिया के किसी कोने में क्यों न हो। वे भगवान् के लिए हवन ही करते हैं। वेद की आज्ञा के आधार पर हमारे टापू में भी आर्यसमाज की तीन संस्थाएँ हैं, जो यज्ञ हवन बराबर करते आ रहे हैं। हवन करते समय कहीं-कहीं पहले आचमन करते हैं, अंगस्पर्श और शेष कर्मकाण्ड। कहीं पर देखते हैं कि बिना आचमन किये ईश्वर-स्तुति-प्रार्थना, शान्तिकरण और अन्य मन्त्र पढऩे के बाद आचमन करते हैं, अग्न्याधान करते हैं और शेष पश्चात्। उसमें सही कौन है? पहले आचमन, अंगस्पर्श या मन्त्रों को पढक़र आचमन, अंग स्पर्श बाद में। यह मनमानी तो नहीं है या ऋषि दयानन्द की आज्ञा के आधार पर करते हैं, यह आपकी … Continue reading यज्ञ विधि की शंका समाधान : आचार्य सोमदेव जी

ज्ञान की प्राप्ति कैसे?- राजेन्द्र जिज्ञासु

ज्ञान की प्राप्ति कैसे?- श्री पीताम्बर जी रामगढ़ (जैसलमेर निवासी) एक भावनाशील आर्य पुरुष हैं। सफल व्यापारी व कुशल मिशनरी हैं। आपने एक सूझबूझ वाले सज्जन से चलभाष पर मुझसे शंका समाधान करवाया। मैंने उस भाई के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि विस्तार से तड़प-झड़प में उत्तर दूँगा और मिलने पर वार्तालाप करेंगे, उस बन्धु का प्रश्न था कि ज्ञान कहाँ से कैसे प्राप्त होता है? मैंने कहा वेदानुसार सृष्टि के आदि में परमात्मा ने ऋषियों की हृदय रूपी गुफा में ज्ञान का प्रकाश किया फिर परम्परा से यह ज्ञान अगली पीढिय़ों तक पहुँचता जाता है। अन्न, जल, वायु, प्रकाश, पेड़, पशु, शरीर सब कुछ भगवान् देता है। इनके उपयोग प्रयोग का ज्ञान भी उसी ने दिया। ज्ञान … Continue reading ज्ञान की प्राप्ति कैसे?- राजेन्द्र जिज्ञासु

छ: दर्शनों की वेद मूलकता डॉ. धर्मवीर

साहित्य के अन्य क्षेत्रों की भांति भारतीय दर्शनों का भी अनेकधा विद्वानों ने विस्तृत अध्ययन किया है। दर्शन साहित्य को अनेक दृष्टिकोण से जाँचा और परखा है। इसका वर्गीकरण आस्तिक या नास्तिक, वैदिक या अवैदिक, सेश्वर, निरीश्वर अनेक प्रकार से देखने में आता है। इस सबके पश्चात् हमारे इस निबन्ध में ऐसा क्या शेष रहता है, जो आलोच्य हो। दर्शन सम्बन्धी अध्ययन करने पर एक बात बार-बार ध्यान आती रहती है, दर्शनों का अध्ययन करने वालों ने इसे समग्र रूप में देखने का प्रयास कम किया है। अनेक विद्वानों ने दर्शन शास्त्र का अध्ययन करते हुये, इनको पृथक्-पृथक् मानकर इनका अध्ययन व समालोचन किया है। इस कारण इनमें विद्यमान सामंजस्य की अपेक्षा विभेद विरोध में परिवर्तित होता दिखाई पड़ता है, … Continue reading छ: दर्शनों की वेद मूलकता डॉ. धर्मवीर

इस्लामिक जिहाद

जिहाद (धर्मयुद्ध) जिहाद के सिद्धान्त ने इस्लाम को तलवार का धर्म बना दिया है । [1. आज विश्व में इस्लामी आतंकवाद फैला हुआ। मुस्लिम संस्थाओं व मौलवियों ने इन जिहादियों आतंकवादियों के विरुद्ध कोई फ़तवा नहीं दिया। न इनका उग्र विरोध किया है। यह जिहादी चिन्तन की ही तो उपज है। भारत में ही जिहादियों के विरुद्ध सामूहिक रूप से इस्लामी जोश से मुसलमानों ने कुछ भी नहीं किया। यदा कदा कुछ लोग गोलमोल शब्दों में आतंकवाद की निन्दा करते हुए जिहाद की अपनी व्याख्या कर देते हैं।   —‘जिज्ञासु’] इस्लामी परम्पराओं के अनुसार मुसलमानों के लिए, यदि उनमें शक्ति हो तो अमुस्लिमों पर आक्रमण करना, उनसे लड़ना और उन्हें मार डालना अथवा वे धार्मिक कर (जज़िया) देना स्वीकार करें तो … Continue reading इस्लामिक जिहाद

लोकतन्त्र की जीत: दिनेश

कोई भी समाज अपने आस-पास घट रही घटनाओं से उदासीन नहीं रह सकता/विशेषकर यदि वे घटनाएँ राजनीति या सरकार से सम्बन्ध रखती हैं। यद्यपि आर्यसमाज एक धार्मिक-सामाजिक संगठन है, परन्तु इसकी ‘धर्म’ की परिभाषा विशद है, जिसमें मानव जीवन से सम्बन्धित सभी पक्षों का सम्यक् समावेश रहता है। इसी दृष्टि से हमें पिछले दिनों भारत के पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव और उनके परिणामों पर विचार करना उचित होगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड, मणिपुर और गोवा में चुनाव सम्पन्न हुए और दो प्रदेशों में (उत्तरप्रदेश और उत्तराखण्ड) भाजपा ने प्रधानमन्त्री श्रीमान् नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रचण्ड विजय प्राप्त की। पंजाब में जो सरकार कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में बनी उसका श्रेय बादल सरकार के भ्रष्टाचार एवं व्यक्तिगत … Continue reading लोकतन्त्र की जीत: दिनेश

कुरान में नारी की दुर्दशा

कुरान में नारी का रूप फिर मानव मात्र का अर्थ ही कुछ नहीं—संसार की जनसंख्या की आधी स्त्रियाँ हैं और किसी मत का यह दावा कि वह मानव मात्र के लिए कल्याण करने आया है इस कसौटी पर परखा जाना आवश्यक है कि वह मानव समाज के इस अर्ध भाग को सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक अधिकार क्या देता है। कुरान में कुंवारा रहना मना है। बिना विवाह के कोई मनुष्य रह नहीं सकता। अल्प, व्यस्क, बच्चा तो होता ही माँ-बाप के हाथ का खिलौना है। वयस्क होने पर मुसलमान स्त्रियों को यह आदेश है— व करना फी बयूतिकुन्ना। —(सूरते अहज़ाब आयत 32) यही वह आयत है जिसके आधार पर परदा प्रथा खड़ी की गई है। इससे शारीरिक, मानसिक, नैतिक व … Continue reading कुरान में नारी की दुर्दशा

मकर सौर संक्रान्ति – श्री पंडित भवानी प्रसाद : शांति देवी आर्य

मकर सौर संक्रान्ति – श्री पंडित भवानी प्रसाद – आर्य पर्व पध्दति  दोहा  शीत शिविर हेमन्त का,हुआ परम प्राधान्य। तैल,तूल,तपन का,सब जग में है मान्य।।   रूचिरा  उत्तर अयन इसी तिथि को है,सविता का सुप्रवेश हुआ। मान दिवस का इसी ही कारण, अब से है सविशेष हुआ।। वेद प्रदर्शित देवयान,जगती में विस्तार हुआ। उत्सव संक्रान्ति , मकर की का, जनता में सुप्रचार हुआ।। तिल के मोदक, खिचड़ी, कम्बल, आज दान में देते है। दीनों का दुख दूर भगाकर, उनकी आशीष लेते है।। सतिल सुगन्धित सुसाकल्य से होम यज्ञ भी करते हैं। हिम से आवृत नभमंडल को शुद्ध वायु से भरते हैं।।   जितने काल में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा पूरी करती है उसको एक “सौर वर्ष “कहते हैं … Continue reading मकर सौर संक्रान्ति – श्री पंडित भवानी प्रसाद : शांति देवी आर्य

क्रिसमस मनाउनु बाइबल अनुसार अनुचित र अधार्मिक कार्य…!

ओ३म्..! क्रिसमस मनाउनु बाइबल अनुसार अनुचित र अधार्मिक कार्य…! -प्रेम आर्य, दोहा-कतार बाइबलको नयाँ नियम र पुरानो नियममा कहीं पनि क्रिसमस (काल्पनिक पात्र- ईसाको जन्म दिवस) हर्षोल्लास पूर्वक मनाउने लेखिएको छैन। पूरा बाइबल, नयाँ र पुरानो नियममा कहीं पनि क्रिसमसको लागि कुनै “नकली वृक्ष” या “क्रूस” जस्ता कुनै पनि छवि अथवा प्रतीकलाई अपनाउने भनेर कतै पनि लेखिएको छैन, साथै यस्तो गर्नु ईश्वरको नजरमा महा पाप तथा अपराध हो। (१ कुरिन्थि, १०-१४:१५) पूरा बाइबलको नयाँ तथा पूरानो नियममा कहीं पनि क्रिसमस मनाउने, हर्षोल्लास दर्साउने भनेर लेखिएको छैन, कुनै प्रमाण छ भने कुनै पनि ईसाई धतुरेले यहाँ प्रस्तुत गरोस् न। पूरा बाइबलको नयाँ तथा पूरानो नियममा कहीं पनि कुनै पनि प्रकारको (सान्ता क्लोज-क्रिश्मसको पिता) जस्तो कुनै ऐतिहासिक व्यक्ति वा चरित्र छैन, यदि … Continue reading क्रिसमस मनाउनु बाइबल अनुसार अनुचित र अधार्मिक कार्य…!

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)