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वेदों में गुण, कर्मानुसार वर्ण व्यवस्था

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वेदों में गुण कर्मानुसार वर्ण व्यवस्था:-

लेखक – विपुल प्रकाश 

अक्सर लोगो में एक भ्रान्ति देखने को मिलती है कि वेदों  में जन्माधारित वर्ण व्यवस्था है। और साथ साथ लोग ये भी कह्ते हैं कि आर्य जाति के लोगों ने शुद्र जो कि भारत के मूल निवासी थे उनको अपना मातहत बनाया और वेदाध्ययन से वञ्चित रखा । सर्वप्रथम तो हम यह विचार करे कि वेदों में आर्य शब्द गुणसूचक है अथवा जातिसूचक।

कृणवन्तो विश्वमार्यम्

अर्थात् “सम्पूर्ण विश्व को आर्य बनाना है” ऐसा वेदों में लिखा हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि अगर आर्य कोई जाति विशेष है जिस प्रकार अफ़्रीकन,अमेरिकन इत्यादि,फ़िर तो इस कथन का कहना कभी सार्थक नही हो सकता है। कारण यह कि अफ़्रीकन नस्ल का व्यक्ति मृत्युपर्यन्त भी अमेरिकन नस्ल का नही बन सकता है। इससे यही सिद्ध होता है कि आर्य कोई जातिसूचक शब्द नही अपितु एक गुणसूचक शब्द है।

अब सवाल उठता है कि ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र में से आर्य कौन और अनार्य कौन है ?

तो इसका उत्तर है कि वेदो में कर्मों के आधार पर  मनुष्यों का विभाजन आर्य और दस्यु के रूप में किया गया है और आर्यों (कर्म से श्रेष्ठ) के बीच गुणों के आधार पर आर्य और शूद्र के रूप में :-उत शूद्रे उतार्ये।। (अथर्व. 19.62.1)।

इससे स्पष्ट होता है कि ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य आर्य (गुणों के आधार पर श्रेष्ठ ) हैं और शूद्र अनार्य है। अब चूकि वेदों मे कृणवन्तो विश्वमार्यम् की बात लिखी हुई है तो इससे ये स्पष्ट होता है कि शूद्रों को भी आर्य बनाया जाना सम्भव है क्योकि आर्य बनाना तो अनार्य के लिए ही सार्थक है भला जो पहले से ही आर्य है उसे फ़िर से दोबारा आर्य बनाने का क्या अर्थ रह जाता है?अतः वेद स्पष्ट रूप से ये आदेश देते है कि अगर कोइ शूद्र भी उत्तम गुण कर्मो वाला हो तो वह आर्य अर्थात ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य बन सकता है।

और आर्य गुण कर्म के आधार पे ही होना सम्भव है इसिलिये कोई आर्य कुल( ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य) में पैदा हुआ व्यक्ति भी गुण कर्म से श्रेष्ठ  न होने पर अनार्य अर्थात शूद्र हो जाएगा ऐसा वेदों का आदेश है। अब अगर शूद्र ब्राह्मण हो सकता है और ब्राह्मण शूद्र तो फ़िर क्षत्रिय व वैश्य भी इसी प्रकार से वर्ण परिवर्तन को प्राप्त हो सकते हैं । अगर दूसरे शब्दों में बोला जाये तो किसी भी वर्ण का व्यक्ति अन्य तीनो वर्णो को प्राप्त कर सकता है। और तो और अगर  दस्यु   भी उत्तम कार्य करने लगे तो आर्य बन जाएगा।

इस्लामी बंदगी दरिंदगी और गंदगी !

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इस्लामी बंदगी दरिंदगी और गंदगी !

लेखक- सत्यवादी 

जगत में जितने भी जीवधारी हैं, सबको अपनी जान प्यारी होती है .और सब अपने बच्चों का पालन करते हैं. इसमे किसी को कोई शंका नहीं होना चाहिए. परन्तु अनेकों देश के लोग इन निरीह और मूक प्राणियों को मार कर उनके शरीर के अंगों या मांस को खाते हैं. ऐसे लोग इन प्राणियों को मार कर खाने के पक्ष में कई तर्क और फायदे बताते हैं.

सब जानते हैं कि बिना किसी प्राणी को मारे बिना उसका मास खाना असंभव है, फिर भी ऐसे लोग खुद को “शरीर भक्षी (Carnivorous) कि जगह (Non vegetarian ) कहकर खुद को सही ठहराते हैं. कुछ लोग शौक के लिए और कुछ देखादेखी भी आमिष भोजन करते हैं.

लेकिन इस्लाम ने मांसभक्षण को और जानवरों की क़ुरबानी को एक धार्मिक और अनिवार्य कृत्य बना दिया है. और क़ुरबानी को अल्लाह की इबादत का हिस्सा बताकर सार्वजनिक रूप से मानाने वाला त्यौहार बना दिया है.

क़ुरबानी क्या है, इसका उद्देश्य क्या है, और मांसाहार से इन्सान स्वभाव में क्या प्रभाव पड़ता है, यह इस लेख में कुरान और हदीस के हवालों दिया जा रहा है .साथ में कुछ विडियो लिंक भी दिए हैं . देखिये —

 

1-कुरबानी का अर्थ और मकसद —-

अरबी शब्दकोश के अनुसार “क़ुरबानी قرباني” शब्द मूल यह तीन अक्षर है 1 .قकाफ 2 .رरे 3 और  ب बे = क र बق ر ب .इसका अर्थ निकट होना है .तात्पर्य ऐसे काम जिस से अल्लाह की समीपता प्राप्त हो .

हिंदी में इसका समानार्थी शब्द ” उपासना” है .उप = पास ,आस =निकट .लेकिन अरबी में जानवरों को मारने के लिए “उजुहाالاضحي ” शब्द है जिसका अर्थ “slaughter ” होता है .इसमे किसी प्रकार की कोई आध्यात्मिकता नजर नहीं दिखती है .बल्कि क्रूरता , हिंसा ,और निर्दयता साफ प्रकट होती है .जानवरों को बेरहमी से कटते और तड़प कर मरते देखकर दिल काँप उठता है और यही अल्लाह चाहता है. और कुरान में कहा गया है .

 

“और उनके दिल उस समय काँप उठते हैं , और वह अल्लाह को याद करने लगते हैं ” सूरा -अल हज्ज 22 :35″.

 

 

2-क़ुरबानी की विधियाँ —

यद्यपि कुरान में जानवरों की क़ुरबानी करने के बारे में विस्तार से नहीं बताया है और सिर्फ यही लिखा है.

“प्रत्येक गिरोह के लिए हमने क़ुरबानी का तरीका ठहरा दिया है , ताकि वह अपने जानवर अल्लाह के नाम पर कुर्बान कर दें ”  – सूरा -हज्ज 22 :34″.

 

लेकिन सुन्नी इमाम ” मालिक इब्न अबी अमीर अल अस्वही” यानि मालिक बिन अनस مالك بن انس “(711 – 795 ई० ) ने अपनी प्रसिद्ध अल मुवत्ता The Muwatta: (Arabic: الموطأ‎)  की किताब 23 और 24 में जानवरों और उनके बच्चों की क़ुरबानी के जो तरीके बताएं है. उसे पढ़कर कोई भी अल्लाह को दयालु नहीं मानेगा.

3-पशुवध की राक्षसी विधियाँ  —

मांसाहार अरबों का प्रिय भोजन है, इसके लिए वह किसी भी तरीके से किसी भी जानवर को मारकर खा जाते थे. जानवर गाभिन हो या बच्चा हो या मादा के पेट में हो सबको हजम कर लेते थे. और रसूल उनके इस काम को जायज बता देते थे बाद में यही सुन्नत बन गयी है और सभी मुसलमान इसका पालन करते हैं. इन हदीसों को देखिये —

अ -खूंटा भोंक कर —

 

“अनस ने कहा कि बनू हरिस का जैद इब्न असलम ऊंटों का चरवाहा था, उसकी गाभिन ऊंटनी बीमार थी और मरणासन्न थी. तो उसने एक नोकदार खूंटी ऊंटनी को भोंक कर मार दिया. रसूल को पता चला तो वह बोले इसमे कोई बुराई नहीं है तुम ऊंटनी को खा सकते हो “ — मालिक मुवत्ता-किताब 24 हदीस 3 .

 

ब-पत्थर मार कर —

 

“याहया ने कहा कि इब्न अल साद कि गुलाम लड़की मदीने के पास साल नामकी जगह भेड़ें चरा रही थी. एक भेड़ बीमार होकर मरने वाली थी.तब उस लड़की ने पत्थर मार मार कर भेड़ को मार डाला .रसूल ने कहा इसमे कोई बुराई नहीं है ,तुम ऐसा कर सकते हो “ — मालिक मुवत्ता -किताब 24 हदीस 4.

 

 

जानवरों को मारने कि यह विधियाँ उसने बताई हैं, जिसको दुनिया के लिए रहमत कहा जाता है ? और अब किस किस को खाएं यह भी देख लीजये —

4- किस किस को खा सकते हो —

इन हदीसों को पढ़कर आपको राक्षसों की याद आ जाएगी.यह सभी हदीसें प्रमाणिक है यह नमूने देखिये —

अ -घायल जानवर —

 

“याह्या ने कहा कि एक भेड़ ऊपर से गिर गयी थी ,और उसका सिर्फ आधा शरीर ही हरकत कर रहा था ,लेकिन वह आँखें झपक रही थी .यह देखकर जैद बिन साबित ने कहा उसे तुरंत ही खा जाओ “ मालिक मुवत्ता किताब 24 हदीस 7.

 

ब -मादा के गर्भ का बच्चा —

 

अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि जब एक ऊंटनी को काटा गया तो उसके पेट में पूर्ण विक्सित बच्चा था ,जिसके बल भी उग चुके थे . जब ऊंटनी के पेट से बच्चा निकाला गया तो काफी खून बहा ,और बच्चे दिल तब भी धड़क रहा था.तब सईद इब्न अल मुसय्यब ने कहा कि माँ के हलाल से बच्चे का हलाल भी माना जाता है . इसलिए तुम इस बच्चे को माँ के साथ ही खा जाओ “ मुवत्ता किताब 24 हदीस 8 और 9.

 

स – दूध पीता बच्चा  —

 

“अबू बुरदा ने रसूल से कहा अगर मुझे जानवर का केवल एकही ऐसा बच्चा मिले जो बहुत ही छोटा और दूध पीता हो , रसूल ने कहा ऐसी दशा में जब बड़ा जानवर न मिले तुम बच्चे को भी काट कर खा सकते हो “ मालिक मुवत्ता -किताब 23 हदीस 4.

 

5- क़ुरबानी का आदेश और तरीका —

वैसे तो कुरान में कई जानवरों की क़ुरबानी के बारे में कहा गया है ,लेकिन यहाँ हम कुरान की आयत विडियो लिंक देकर कुछ जानवरों की क़ुरबानी के बारे जानकारी दे रहे हैं .ताकि सही बात पता चल .सके , पढ़िए और देखिये , —

 

अ – गाय —

“याद करो जब अल्लाह ने कहा की गाय को जिबह करो ,जो न बूढी हो और न बच्ची बीच का आयु की हो “सूरा -बकरा 2 :67 -68.”

ब- ऊंट —

“और ऊंट की कुरबानी को हमने अल्लाह की भक्ति की निशानियाँ ठहरा दिया है “सूरा अल हज्ज 22 :36”

स -चौपाये बैल —

“तुम्हारे लिए चौपाये जानवर भी हलाल हैं ,सिवाय उसके जो बताये गए हैं “सूरा-अल 22 :30.”

6- गैर मुस्लिमों को गोश्त खिलाओ  —

“इब्ने उमर और और इब्न मसूद ने कहा की रसूल ने कहा है ,कुरबानी का गोश्त तुम गैर मुस्लिम दोस्त को खिलाओ ,ताकि उसले दिल में इस्लाम के प्रति झुकाव पैदा हो “

it is permissible to give some of it to a non-Muslim if he is poor or a relative or a neighbor, or in order to open his heart to Islam.

“فإنه يجوز أن أعطي بعض منه الى غير مسلم إذا كان فقيرا أو أحد الأقارب أو الجيران، أو من أجل فتح صدره للإسلام “

Sahih Al-Jami`, 6118.

 

गैर मुस्लिमों जैसे हिन्दुओं को गोश्त खिलाने का मकसद उनको मुसलमान बनाना है ,क्योंकि यह धर्म परिवर्तन की शुरुआत है .बार बार खाने से व्यक्ति निर्दयी और कट्टर मुसलमान बन जाता है .

7- गोश्तखोरी से आदमखोरी —

मांसाहारी व्यक्ति आगे चलकर नरपिशाच कैसे बन जाता है ,इसका सबूत पाकिस्तान की ARY News से पता चलता है ,दिनांक 4 अप्रैल 2011 पुलिस ने पाकिस्तान पंजाब दरया खान इलाके से आरिफ और फरमान नामके ऐसे दो लोगों को गिरफ्तार किया ,जो कब्र से लाशें निकाल कर ,तुकडे करके पका कर खाते थे . यह परिवार सहित दस साल से ऐसा कर रहे थे.दो दिन पहले ही नूर हुसैन की 24 की बेटी सायरा परवीन की मौत हो गयी थी ,फरमान ने लाश को निकाल लिया ,जब वह आरिफ के साथ सायरा को कट कर पका रहा था ,तो पकड़ा गया . पुलिस ने देगची में लड़की के पैर बरामद किये . इन पिशाचों ने कबूल किया कि हमने बच्चे और कुत्ते भी खाए हैं .ऐसा करने कीप्रेरणा हमें दूसरों से मिली है , जो यही काम कराते हैं . विडियो लिंक —

8- हलाल से हराम तक —

खाने के लिए जितने भी जानवर मारे जाते हैं ,उनका कुछ हिस्सा ही खाया जाता है , बाकी का कई तरह से इस्तेमाल करके लोगों को खिला दिया जाता है ..इसके बारे में पाकिस्तान के DUNYA NEWS की समन खान ने पाकिस्तान के लाहौर स्थित बाबू साबू नाले के पास बकर मंडी के मजबह (Slaughter House ) का दौरा करके बताया कि वहां ,गधे कुत्ते , चूहे जैसे सभी मरे जानवरों की चर्बी निकाल कर घी बनाया जाता है . यही नहीं होटलों में खाए गए गोश्त की हडियों को गर्म करके उसका भी तेल निकाल कर पीपों में भर कर बेच दिया जाता है ,जिसे जलेबी ,कबाब ,समोसे आदि तलने के लिए प्रयोग किया होता है . खून को सुखा कर मुर्गोयों की खुराक बनती है . फिर इन्हीं मुर्गियों को खा लिया जाता है .आँतों में कीमा भरके बर्गर बना कर खिलाया जाता है .विडियो लिंक —

हमारी सरकार जल्द ही पाकिस्तान के साथ व्यापारिक अनुबंध करने जारही है ,और तेल या घी के नाम पर जानवरों की चर्बी और ऐसी चीजें यहाँ आने वाली हैं .

 

लोगों को फैसला करना होगा कि उन्हें पूर्णतयः शाकाहारी बनकर, शातिशाली, बलवान, निर्भय और जीवों के प्रति दयालु बन कर देश और विश्व कि सेवा करना है या धर्म के नाम पर या दुसरे किसी कारणों से प्राणियों को मारकर खाके हिसक क्रूर निर्दयी सर्वभक्षी पिशाच बन कर देश और समाज के लिए संकट पैदा करना है .

 

दूसरे धर्मों के लोग ईश्वर को प्रसन्न करने और उसकी कृपा प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करके खुद को कष्ट देते हैं. लेकिन इस्लाम में बेजुबान जानवरों को मार कर अल्लाह को खुश किया जाता है और इसी को इबादत या बंदगी माना जाता है .फिर यह बंदगी दरिंदगी बन जाती है और जिसका नतीजा गन्दगी के रूप में लोग खाते हैं.

 

इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद विचार जरुर करिए — माँसाहारी अत्याचारी ,और अमानुषिक हो सकते हैं लेकिन बलवान और सहृदय कभी नहीं सो सकते .

अल्लाह एक कल्पित चरित्र है

allah is not real

अल्लाह एक कल्पित चरित्र है —

लेखक- सत्यवादी

यदि कुरान और हदीसों को ध्यान से पढ़ें,  तो उसमे अल्लाह के द्वारा जितने भी आदेश दिए गए हैं, सब में केवल जिहाद ह्त्या लूट बलात्कार और अय्याशी से सम्बंधित है.

कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति इनकी ईश्वर के आदेश मानने से इंकार कर देगा. अप देखेंगे की अल्लाह हमेशा मुहम्मद का पक्ष लेता है, मुहम्मद के हरेक कुकर्म को किसी न किसी आयात से जायज बता देता है. मुहम्मद के लिए औरतों का इंतजाम करता है, मुहम्मद के घरेलु विवाद सुलझाता है, मुहम्मद के पापों पर पर्दा डालता है  आदि आदि.

यूरोप के विद्वान् इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वास्तव में अल्लाह एक कल्पित चरित्र है. अल्लाह का कोई अस्तित्व नहीं है. अल्लाह और कोई नहीं मुहम्मद ही था. जो अल्लाह का रूप धरकर पाखण्ड कर रहा था  और लोगों को मूर्ख बनाकर अपनी मनमर्जी चला रहा था और अय्याशी कर रहा था.

कुरान अल्लाह की किताब नहीं, बल्कि मुहम्मद, आयशा और वर्क बिन नौफल की बेतुकी बातों का संग्रह है  और हदीसें मुहम्मद के साथियों द्वारा चुगली की गयी बातें हैं.यहाँ पर उन्हीं तथ्यों की समीक्षा की जा रही है, जिस से साबित होता है  की मुहम्मद अलाह की खाल ओढ़कर अपनी चालें कैसे चलता था.

इसके लिए प्रमाणिक हदीसों और कुरान से हवाले लिए गए हैं —

1 -अल्लाह को केवल मुहम्मद ही जानता था —

रसूल ने कहा कि केवल मुझे ही अलह के बारे में पूरी पूरी जानकारी है ,कि अल्लाह कैसा है ,और कहाँ रहता है ,और भवष्य में क्या करने वाला है ” — सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5814.”

“आयशा ने कहा कि ,जब भी मोमिन रसूल के पास आकर,उन से अल्लाह और रसूल के अधिकारों ,के बारे में कोई सवाल करता था ,तो रसूल एकदम भड़क जाते थे ,और कहते थे कि ,मैं अल्लाह को अच्छी तरह पहिचानता हूँ .मुझ में और अल्लाह में कोई फर्क नहीं है .मैं अल्लाह के बारे में तुम सब से अधिक जानता हूँ ” — बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 19″.

“सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जन्नत में केवल उन्हीं लोगों को ऊंचा स्थान मिलेगा जो ,अल्लाह के साथ मुझे भी आदर देंगे और मुझे चाहेंगे ” — बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 478″ .

2 -अल्लाह मुहम्मद को औरतें भेजता था —

खौला बिन्त हकीम नामकी एक औरत रसूल के पास गयी ,रसूल ने उस से सहवास कि इच्छा प्रकट की ,लेकिन आयशा को यह पसंद नहीं आया .इस पर रसूल ने कहा कि ,आयशा क्या तुम नहीं चाहती हो ,आल्लाह मुझे औरतें भेजकर मुझे ख़ुशी प्रदान नहीं करे .इस औरत को अल्लाह ने मेरे लिए ही भेजा है “. — बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 48” .

3 -अल्लाह मुहम्मद का पक्ष लेता था —

“अब्ब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब ने कहा कि ,रसूल से मैंने सुना कि रसूल ने कहा अल्लाह हमेशा मेरा ही पक्ष लेता है .और मेरी हरेक बात को उचित ठहरा देता है .मेरे मुंह से अल्लाह ही बोलता है “सहीह मुस्लिम -किताब 1 हदीस 54 “.

4 -मुहम्मद को गाली,अल्लाह को गाली —

“अबू हुरैरा ने कहा कि ,जब कुरैश के लोग रसूल को मुहम्मद कि जगह “मुहम्मम “कहकर चिढाते थे तो,रसूल ने कहा क्या तुम लोग यह नहीं जानते हो कि ,तुम अल्लाह को चिढ़ा रहे हो .इस से तुम पर अजाब पड़ेगा “बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 773”.

5 -मुहम्मद कि जुबान अल्लाह कि जुबान —

अबू मूसा ने कहा कि ,रसूल ने कहा ,मैं जो भी कहता हूँ वह मेरी नहीं बल्कि अल्लाह कि जुबान है .जिसने मेरी बात मानी समझ लो उसने अल्लाह कि बात को मान लिया “अबू दाऊद-किताब 3 हदीस 5112”.

“आयशा ने कहा कि ,हिन्दा बिन्त उतबा रसूल के पास शिकायत लेकर आई और बोली कि ,मुझे अबू सुफ़यान से खतरा है ,क्या मैं अपना घर छोड़ कर चली जाऊं ,क्या सुफ़यान को अल्लाह का खौफ नहीं है .रसूल ने कहा तुम डरो नहीं ,तुम्हें कुछ नहीं होगा .यह मेरा नहीं अल्लाह का वायदा है “सहीह मुस्लिम -किताब 18 हदीस 4254 “.

6 -मुहम्मद को अल्लाह का डर नहीं था —

आयशा ने कहा कि ,एक बार जैसे ही रसूल घर में दाखिल हुए तो एक यहूदिन ने चिल्लाकर रसूल से कहा कि क्या तझे पता नहीं है कि कयामत के दिन अल्लाह तेरे गुनाहों के बारे में सवाल करेगा. रसूल ने कहा कि मुझे इसका कोई डर नहीं है  मैं खुद अपने आप से सवाल क्यों करूंगा “मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1212”.

“अम्र बिन आस ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अल्लाह तो मेरा दोस्त है .और वह मुझसे या मेरे बाप दादाओं या मेरे साथियों से उनके गुनाहों के बारे में कोई सवाल नहीं करेगा .और मई सब गुनाह माफ़ कर दूंगा “मुस्लिम -किताब 1 हदीस 417 .इब्ने माजा -किताब 1 हदीस 93”.

7 -मुहम्मद से नीची आवाज में बोलो —

“हे ईमान वालो ,अपनी आवाजें रसूल की आवाजों से ऊंची नहीं करो ,और जो लोग रसूल के सामने अपनी आवाजें नीची रखते है .अल्लाह उनके लिए क्षमा और उत्तम बदला देगा “सूरा -अल हुजुरात 49 :2 और 3”.

8 -अल्लाह के नाम पर मुहम्मद का कानून —

“जब अल्लाह का रसूल की फैसला कर दे ,तो किसी को कोई अधिकार नहीं रह जाता है कि ,वह रसूल कि वह रसूल के फैसले कि अवज्ञा कर सके .” — सूरा -अहजाब 33 :36 “.

“इब्ने अब्बास ने कहा कि ,जो रसुल के आदेश को कबूलकरेगा और मान लेगा समझ ले कि उसाने अल्लाह केअदेश को मान लिया .और जो रसूल के आदेश का विरोध करेगा वह अल्लाह का विरोध माना जाएगा “बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 634” .

9 -मुहम्मद का आतंक अल्लाह का आतंक  —

“अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,मैं लोगों ले दिलों में आतंक पैदा कर दूंगा .और जो आतंक होगा वह अल्लाह के द्वारा पैदा किया आतंक समझा जाये  — “सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1066 और 1067” .

10 -अल्लाह ने शादियाँ तय करवायीं —

“जब मुहम्मद ने अपनी पुत्रवधू जैनब बिन्त से अपनी शादी करवाई थी ,वह शादी खुद अल्लाह ने ही करवायी थी .उस समय अल्लाह के आलावा कोई दूसरा नहीं रसूल ही थे “सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1212 “.

11 -अल्लाह के बहाने अली बोलता था —

जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि ,अक्सर जब रसूल कोई महत्वपूर्ण आयत सुनाने वाले होते थे तो ,सब को बुला लेते थे .फिर अपने घर के एक गुप्त कमरे में अली को बुला लेते थे .जबीर ने कहा कि इसी तरह एक बार रसूल ने हमें बुलाया ,फिर कहा कि एक विशेष आयत सुनाना है .फिर रसूल अली को एक कमरे में ले गए .आर कहा कि इस आयत में काफी समय लग सकता है इसलिए अप लोग रुके रहें ,हमने चुप कर देखा कि अली ,रसूल से अल्लाह की तरह बातें कर रहा था .वास्तव में कमरे में रसूल और अली के आलावा कोई नहीं था .अलह कि तरह बातें करने वाला और कोई नहीं बल्कि रसूल का चचेरा भाई अली था “शामए तिरमिजी हदीस 1590 “.

इस सारे विवरणों से साफ पता चलता है कि ,अल्लाह का कोई अस्तित्व ही नहीं है .यह मुहम्मद की चालबाजी और पाखंड था .अरब के मुर्ख ,लालची लोग मुहाम्मद की बे सर पैर की बातों को अल्लाह का आदेश मान लेते थे .आज भी कई ढोंगी बाबा ,फकीर इसी तरह से लोगों को ठगते रहते है .चूंकि आज विज्ञानं का प्रचार होने से लोग ऐसे ढोंगियों को जल्द ही भंडा फोड़ देते हैं .और पाखंडियों को जेल के अन्दर करा देते हैं .और ढोंगियों के जाल से बच जाते है .

आज इस बात की अत्यंत जरुरत है कि दुनिया के सबसे बड़े धूर्त ,पाखंडी ,और अल्लाह के नाम पर आतंक करने वाले स्यंभू रसूल का विश्व स्तर पर भंडा फोड़ा जाये .तभी लोग शांति से जी सकेंगे .अल्लाह को मानाने या उस से डरने कि कोई जरुरत नहीं है .मुहम्मद ही अल्लाह बना हुआ था .