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वेदों में गुण, कर्मानुसार वर्ण व्यवस्था

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वेदों में गुण कर्मानुसार वर्ण व्यवस्था:-

लेखक – विपुल प्रकाश 

अक्सर लोगो में एक भ्रान्ति देखने को मिलती है कि वेदों  में जन्माधारित वर्ण व्यवस्था है। और साथ साथ लोग ये भी कह्ते हैं कि आर्य जाति के लोगों ने शुद्र जो कि भारत के मूल निवासी थे उनको अपना मातहत बनाया और वेदाध्ययन से वञ्चित रखा । सर्वप्रथम तो हम यह विचार करे कि वेदों में आर्य शब्द गुणसूचक है अथवा जातिसूचक।

कृणवन्तो विश्वमार्यम्

अर्थात् “सम्पूर्ण विश्व को आर्य बनाना है” ऐसा वेदों में लिखा हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि अगर आर्य कोई जाति विशेष है जिस प्रकार अफ़्रीकन,अमेरिकन इत्यादि,फ़िर तो इस कथन का कहना कभी सार्थक नही हो सकता है। कारण यह कि अफ़्रीकन नस्ल का व्यक्ति मृत्युपर्यन्त भी अमेरिकन नस्ल का नही बन सकता है। इससे यही सिद्ध होता है कि आर्य कोई जातिसूचक शब्द नही अपितु एक गुणसूचक शब्द है।

अब सवाल उठता है कि ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र में से आर्य कौन और अनार्य कौन है ?

तो इसका उत्तर है कि वेदो में कर्मों के आधार पर  मनुष्यों का विभाजन आर्य और दस्यु के रूप में किया गया है और आर्यों (कर्म से श्रेष्ठ) के बीच गुणों के आधार पर आर्य और शूद्र के रूप में :-उत शूद्रे उतार्ये।। (अथर्व. 19.62.1)।

इससे स्पष्ट होता है कि ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य आर्य (गुणों के आधार पर श्रेष्ठ ) हैं और शूद्र अनार्य है। अब चूकि वेदों मे कृणवन्तो विश्वमार्यम् की बात लिखी हुई है तो इससे ये स्पष्ट होता है कि शूद्रों को भी आर्य बनाया जाना सम्भव है क्योकि आर्य बनाना तो अनार्य के लिए ही सार्थक है भला जो पहले से ही आर्य है उसे फ़िर से दोबारा आर्य बनाने का क्या अर्थ रह जाता है?अतः वेद स्पष्ट रूप से ये आदेश देते है कि अगर कोइ शूद्र भी उत्तम गुण कर्मो वाला हो तो वह आर्य अर्थात ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य बन सकता है।

और आर्य गुण कर्म के आधार पे ही होना सम्भव है इसिलिये कोई आर्य कुल( ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य) में पैदा हुआ व्यक्ति भी गुण कर्म से श्रेष्ठ  न होने पर अनार्य अर्थात शूद्र हो जाएगा ऐसा वेदों का आदेश है। अब अगर शूद्र ब्राह्मण हो सकता है और ब्राह्मण शूद्र तो फ़िर क्षत्रिय व वैश्य भी इसी प्रकार से वर्ण परिवर्तन को प्राप्त हो सकते हैं । अगर दूसरे शब्दों में बोला जाये तो किसी भी वर्ण का व्यक्ति अन्य तीनो वर्णो को प्राप्त कर सकता है। और तो और अगर  दस्यु   भी उत्तम कार्य करने लगे तो आर्य बन जाएगा।