Category Archives: Christianity

बाइबल में यहोवा का भयंकर विज्ञान

जी हाँ इतना विज्ञानं आप सुनकर चौंक जायेंगे –वैसे तो किसी भी पशु का मांस नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये मनुष्यता नहीं – फिर भी यहोवा को कुछ अकल आई और उसने कुछ पशुओ को अशुद्ध ठहरा दिया – उन पशुओ में सूअर, शापान आदि के साथ साथ एक जानवर आपने देखा होगा – “खरगोश” – इसके मांस को – यहोवा ने अशुद्ध बताया है –आइये एक नजर डालिये

– की इन पशुओ में क्या ऐसा है जो इनको अशुद्ध बनाता है – और अन्य पशुओ को शुद्ध –1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा

2. इस्त्राएलियों से कहो, कि जितने पशु, पृथ्वी पर हैं उन सभों में से तुम इन जीवधारियों का मांस खा सकते हो।

3. पशुओं में से जितने चिरे वा फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।

4. परन्तु पागुर करने वाले वा फटे खुर वालों में से इन पशुओं को न खाना, अर्थात ऊंट, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरा है।

5. और शापान, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

6. और खरहा, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

7. और सूअर, जो चिरे अर्थात फटे खुर का होता तो है परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है

8. इनके मांस में से कुछ न खाना, और इनकी लोथ को छूना भी नहीं; ये तो तुम्हारे लिये अशुद्ध है॥ (लैव्यव्यवस्था, अध्याय ११)

तो देखा आपने – शुद्ध और अशुद्ध का निराकरण करना – वो भी बाइबिल के यहोवा का तर्कसम्मत विज्ञानं ? क्या कोई जीव – ईश्वर की नजर में अशुद्ध है ?

फिर बनाया क्यों ?

अब क्या ऐसे को जो अपनी ही बनाई सृष्टि में कुछ पक्षपात करता डोलता है – शुद्ध अशुद्ध का भेद करके – उसे ईश्वर कह सकते हैं –चलिए इस विषय पर फिर कभी चर्चा करेंगे अभी तो ऊपर की आयत में यहोवा का भयंकर विज्ञानं पढ़िए – हंसी आएगी कि बाइबिल का यहोवा इतना मुर्ख ?

3 पशुओं में से जितने चिरे वा फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।यानी जो पशु जुगाली करते हो और उनके खुर फटे हो – यानी खुर (hoof) में फटाव हो – अथवा बंटे हो – ये दोनों स्थति होनी चाहिए =

अब देखिये – यहोवा का मंदबुद्धि विज्ञान 6 और खरहा, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।यहाँ खरगोश को अशुद्ध बताया है – यानी खरगोश जुगाली तो करता है मगर उसके खुर फटे नहीं होते –किसी भाई ने खरगोश को जुगाली करते देखा ?खरगोश के खुर फटे होते हैं।क्या ये नार्मल सी बाते भी बाइबिल के यहोवा को नहीं मालूम ?हाँ केवल आदम हव्वा से दुनिया के अनेक मनुष्य बनाता है – इतना ही अक्ल है –वाह जी वाह – क्या विज्ञानं है यहोवा का ?

इतने पर भी मेरे ईसाई मित्र कहते हैं –बाइबिल में विज्ञान है। भाई ऐसे विज्ञानं को आप ही पढ़ो और आप ही बांटो –हम से न होगा हंसो मत भाई – यहोवा को बुरा लग गया – तो क़यामत भेज देगा –बताओ इतना मंदबुद्धि और कम अक्ल वाला बाइबिल का यहोवा अपने को सर्वज्ञ और ईश्वर कहलवाता है – मेरे ईसाई मित्रो – इस विज्ञानं पर कुछ बोलना है ? ज्ञान और विज्ञानं वेद में है – उसे अपना इस ढोंग को छोडो – धर्म से नाता जोड़ो – लौटो वेदो की ओर

अभिव्यक्ति की आजादी का बलात्कार (लोयोला कॉलेज कांड)

हिन्दू देवी देवताओं का अश्लीलता पूर्वक अपमान 

वीथी विरुधु विजाह नाम का एक लोक उत्सव चेन्नई के लोयोला कोलेज में मनाया गया और उसमें अभिव्यक्ति की आजादी का बलात्कार कर दिया गया

जी हाँ !! बलात्कार ! बलात्कार की परिभाषा यही तो है की किसी भी चीज का भोग उसकी सीमा से अधिक जाकर करना, उसकी इच्छा उसकी हद से अधिक जबरदस्ती करना

चन्नई में वामपंथ और ईसाई मिशनरी बहुत हावी है यह बात जानकारों से तो नहीं छुप्पी हुई है परन्तु देखकर, जानकर भी शुतुरमुर्ग बने हुए लोगों की खोपड़ियों को धरती से निकालकर उन्हें समझाने का समय आ गया है

एम् ऍफ़ हुसैन का नाम तो सुना ही होगा आपने, उसने जो सीमा अभिव्यक्ति की आजादी की पार की थी आज उसी तरह का कुकृत्य वीथी विरुधु विजाह उत्सव के दौरान लोयोला कोलेज में हुआ है

सहिष्णु कौम हिन्दुओं के देवी देवताओं पर अश्लील पेंटिंग बनाकर इस कोलेज में प्रस्तुत की गई है पेंटिंग इस तरह की निचले स्तर की है लिखते हुए भी शर्म आती है

एक पेंटिंग में हिन्दुओं के साहस के प्रतीक त्रिशूल को लड़की की योनी में घुसाया हुआ है

एक पेंटिंग में त्रिशूल को कोंडम पहना रखा है
एक पेंटिंग में भारत माता के प्रतीकात्मक चित्र पर वीर्य गिरते दिखाया है (चित्र में स्पर्म के मुहं की जगह टेलीकोम कम्पनियों के लोगो है )

बाकि पेंटिंग में त्रिशूल और हिन्दुओं को हत्यारा सिद्ध किया गया है

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बाकि कुछ राजनीती से प्रेरित है

आश्चर्य का विषय यह है की इस पर बीजेपी के आलावा किसी भी राजनैतिक सन्गठन ने आपति नही जताई बल्कि सीपीएम जैसी पार्टियों के पदाधिकरियों ने इसे कला बताते हुए इसका पक्ष ले लिया है

क्या यही है अभिव्यक्ति की आजादी, क्या इस आजादी का पैमाना यह है की अभिव्यक्ति प्रस्तुत करते हुए आप किसी भी मत मजहब की भावनाओं का अनादर ही नही बलात्कार तक कर डालों ?

चार्ली हेब्दों की पेंटिंग पर आप यहाँ तक उतेजित हो जाते हो की यह तथाकथित शांतिप्रिय सम्प्रदाय उस चार्ली हेब्दों के जीवन में पूर्णकालिक शांति कर देता है, तब आप शांतिप्रिय के कार्य को उचित ठहराते हुए चार्ली हेब्दों की अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रश्न उठाते हो, परन्तु जब यही कार्य हिन्दुओं के देवी देवताओं पर किया जाता है तो आप इसे अभिव्यक्ति की आजादी कहते हो

यह दोगलापन कहाँ से आ जाता है ?
क्या अभिव्यक्ति की प्रस्तुती करते हुए किसी भी हद तक चले जाओगे ? इसका हक आपको कौनसा संविधान देता है ? यदि इस कृत्य को अभिव्यक्ति की आजादी करार दिया गया तो विश्वास कीजिये कई चार्ली हेब्दो पैदा होंगे जो बिन बाप के पैदा हुए संतानों को भी अभिव्यक्ति की आजादी के तहत नंगा कर देंगे

वामपंथ इस देश में हद से अधिक हावी हो चूका है यदि अब समय रहते इसे इसी की भाषा में जवाब नही दिया गया तो विश्वास कीजिये यह आपके घरों में घुसकर आपको ही बाहर निकाल देगा

वामपंथ के इशारों पर हिन्दू

सबरीमाला
केरल में चल रहे इस भयंकर ड्रामे का अंत मुझे तो नही दिखता
वामपंथी और जो समूह महिलाओं के प्रवेश करने को लेकर समर्थन देकर आगे हुए है वे भी नही चाहते है कि ये ड्रामा बन्द हो

वामपंथ यही तो चाहता है कि हिन्दू अपनी मानसिकता को इतना संकीर्ण बनाये रखे और वे नारी सशक्तिकरण के नाम पर तुम्हें एक घटिया और नारी विरोधी मत पंथ सिद्ध करते रहे

क्योंकि हिंदुओं को वामियों ने दलितों से तो अलग कर ही दिया है (विश्वास नही होता ना अभी तीन राज्यों में आये परिणाम इसका चीखता चिल्लाता हुआ प्रमाण है कि तुम लोगों से दलितों को दूर कर लिया गया है)

अब नारी सशक्तिकरण की चाह रखने वाले उस बड़े महिला वर्ग को भी तुमसे अलग कर लिया जाए

वे तो चाहते है कि सबरीमाला के वे कब्जाधारी पण्डित समूह इसका भरपूर विरोध करें और आस्था के नाम पर हिंदुओं को भड़का कर महिलाओं के प्रवेश के विरुद्ध खड़ा रखे जिससे हिन्दू मत और उसकी संकीर्ण सोच के विरुद्ध महिलाओं को हर क्षेत्र में खड़ा किया जा सके

आज यह मंदिर है कल कोई और होगा और इसमें भी आश्चर्य नही होना चाहिए कि आगे चल ये जो जातिगत छुटपुट विवाद चल रहे है ये भी इसी तरह के बड़े तूल पकड़ेंगे

वामपंथियों का होमवर्क, उनकी तैयारी इतनी जबरदस्त है कि आध्यात्मिक अंधभक्ति, अंधविश्वास की जंजीरों में बंधा यह हिन्दू दिमाग उससे कभी पार नही पा सकता

क्या फर्क पड़ जायेगा यदि महिलाएं भी सबरीमाला में प्रवेश कर लेगी तो ? यदि हिन्दू तैयार हो जाये तो यह निर्णय तो उनके विशाल हृदय का प्रमाण सिद्ध होगा

महिलाओं की एक आयुसीमा तय कर रखी है और उसके पीछे तर्क यह है कि वे मासिक धर्म में जो अपवित्रता होती है उसके साथ मन्दिर में प्रवेश करेगी तो मन्दिर अपवित्र हो जाएगा

अर्थात वे सभी मन्दिर अपवित्र है जिनमें महिलाएं प्रवेश कर सकती है, क्या अपवित्र हृदय लिया हुआ व्यक्ति सबरीमाला में प्रवेश करेगा तो मन्दिर दूषित नही होगा ??

“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता”
फिर क्यों यह पंक्ति सुना सुनाकर इस बात का ढोंग करते हो कि हिन्दू मत पंथ में नारी को समान अधिकार दिया गया है

एक तरफ कहते हो जहां नारी पूजी जाती है वहां देवता रमण करते है, वही देव स्थान में ही नारी को नही जाने देते हो, फिर जब तुम पर नारी अधिकार हनन का आरोप लगता है तो चीखते चिल्लाते हो, रोते हो, सर फोड़ते हो

यही संकीर्ण सोच तो हिंदुओं को बांट रही है और विश्वास कीजिये आगे भी बांटेगी, किसी घमण्ड में मत रहिये की आपको कोई मिटा नही सकता, आपको मिटाने की अब किसी को आवश्यकता ही नही आप स्वयं अब मिटने को आतुर दिख रहे है

यह सबरीमाला उस तीन तलाक का ही तो जवाब है जिसे समाप्त करने पर सबसे अधिक खुश हिन्दू दिख रहे थे आज उसी का तमाचा खुद हिंदुओं की इस फ़तवाधारी सोच की वजह से पड़ा है जिसकी आग में केरल जल रहा है

वरना जो सहृदयता दिखाई होती महिलाओं के प्रवेश पर समर्थन दिखाया होता तो तीन तलाक से अधिक बड़ा तमाचा इन वामपंथियों को लगता

हिंदुओं को तो चाहिए कि वे अब नारी सशक्तिकरण के इस ड्रामे को खुद बढ़ाये और मस्जिदों में नारी के प्रवेश को लागू करवाने को इसी स्तर की मुहिम छेड़े

डटकर मस्जिदों के आगे खड़ी होकर इसी तरह प्रवेश करने को आगे आये

परन्तु वहां आपकी हिम्मत नही होती हिन्दू अपने आप में खुश है उसे बदला लेना नही आता, क्रिया की प्रतिक्रिया करना नही आता, सामने वाले को उसी की भाषा में जवाब देना नही आता, हिन्दू तो चाहता है कि उससे उसकी धार्मिक स्वतंत्रता नही छीनी जाए अरे राम मंदिर नही स्वयं राम बनों और उसकी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करो जिसने आप पर यह हमला किया है

हर समय रक्षात्मक स्थिति बनाये रखने से आप जीवित नही रह पाओगे, समय की आवश्यकता को देखते हुए आपको सठे साठयम समाचरेत को अपनाते हुए आक्रमक मुद्रा में आना ही होगा तभी आपका भविष्य उज्ज्वल, स्वछन्द और स्वतंत्र होगा अन्यथा एक दिन इसी संकीर्ण सोच के बोझ तले दबकर समाप्त हो जाओगे तब न मोदी आएगा न राम न ईश्वर

औ३म्🙏

गौरव आर्य
(पण्डित लेखराम वैदिक मिशन)

चर्च में रविवार को प्रार्थना व्यर्थ

चर्च में रविवार को प्रार्थना व्यर्थ

स्वामी सत्यप्रकाशजी ने देश व विदेश में ईसाई मित्रों से कई बार यह कहा है कि सबथ के दिन (रविवार) चर्च में ईश्वर की प्रार्थना व्यर्थ है। कारण यह कि उस दिन ईसाइयों का प्रभु विश्राम

करता है। ‘‘विश्राम के दिन तो उसको परेशान न किया करो।’’

नोट-ईसाइयों का एक सज़्प्रदाय यह मानता है कि सबथ का दिन रविवार नहीं शनिवार है।

300 लोगों का करवा रहे थे धर्म परिवर्तन. तभी अचानक वहां पहुँच गया “विश्व हिन्दू परिषद्”

300 लोगों का करवा रहे थे धर्म परिवर्तन. तभी अचानक वहां पहुँच गया “विश्व हिन्दू परिषद्”

सिर्फ अपना नाम बदल लेने से , सिर्फ अपना आराध्य बदल लेने से कोई कुछ भी करे वो पाप और बीमारी से कैसे बच सकता है ये थ्योरी फिलहाल समझ के बाहर की बात है पर ऐसा कर के भोले भले ग्रामीणों को धर्म त्यागने पर मजबूर किया जा रहा है . वो भी बिना किसी डर के व् बिना किसी दबाव में उस शासक योगी आदित्यनाथ के शासित राज्य में जिसे भारत में हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है.. मामला है उत्तर प्रदेश के मऊ जिले का जहाँ दक्षिण टोला थाने के गाँव सलेम पुर में अचानक ही सूचना मिली कि ईसाई मिशनरी से जुड़े कुछ लोग लगभग लगभग 300 लोगों को विभिन्न प्रलोभन आदि दे कर धर्म त्याग कर अपना मत अपनाने के लिए पहुंचे हैं . विश्व हिन्दू परिषद् के लिए ये खबर बहुत अप्रत्याशित थी और वो सीधे वहां पहुंच गए जहाँ ये कृत्य करवाया जा रहा था . मौके पर भीड़ लगी मिली और धर्मांतरण के प्रमाण भी थे . वहां लोगों को बताया जा रहा था कि ईसा मसीह की शरण में आने से सारे दुःख दूर होते हैं और हर बीमारी खत्म हो जाती है और भी उसके अलावा बहुत कुछ समझाया जा रहा था . विश्व हिन्दू परिषद् के वहां पहुंचने की सूचना पुलिस को मिली तो हड़कंप मच गया. तत्काल किसी अनहोनी की घटना को रोकने के लिए मौके पर पुलिस बल पंहुचा और धर्मांतरण करा रहे 6 मिशनरी प्रतिनिधियों को गिरफ्तार कर के थाने ले आये जहाँ उन से गहन पूछताछ चल रही है. विश्व हिन्दू परिषद् आक्रोशित हो उठी थी जिसके बाद पुलिस ने उनसे तहरीर देने की बात कहीं . तत्पश्चात विश्व हिन्दू परिषद् के शैलेन्द्र सिंह की दी गयी तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत कर के कार्यवाही शुरू कर दी गयी है . मामले की गंभीरता बढ़ते देख कर जिलाधिकारी ने भी विषय का संज्ञान लिया और अधीनस्थ SDM को तत्काल कार्यवाही के निर्देश जारी किये . SDM ने पूरे प्रकरण की बारीकी देखना शुरू कर दिया है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने का आश्वाशन दिया है . धर्म त्यागने के लिए उन्हें भी लाइन में बैठाया गया था जिनकी उम्र अभी इतनी कम है है कि वो अपना नाम भी ठीक से बता नहीं पा रहे थे .

source : http://www.sudarshannews.com/category/state/categorystatevhp-stop-religious-conversion-in-up–2100

छात्र ने कहा – बाइबिल नहीं वन्देमातरम गाऊँगा .. बस , उसकी जिंदगी और कैरियर दोनों हो गए तबाह

छात्र ने कहा – बाइबिल नहीं वन्देमातरम गाऊँगा .. बस , उसकी जिंदगी और कैरियर दोनों हो गए तबाह

ये कृत्य बहुत पहले से चल रहा था . उसे सब जानते थे . क़ानून मंत्रालय भी , शिक्षा मंत्रालय भी .. पर सब आँख मूँद कर देख रहे थे .. और इसका विरोध करने की हिम्मत जब एक ने की तो उसकी जिंदगी और कैरियर कर डाला बर्बाद .  मामला इलाहाबद के नैनी क्षेत्र स्थित शियाट्स कालेज का है . वहां बहुत पुराना नियम है कि वहां प्रार्थना हमेशा बाइबिल की करवाई जाती है. काफी लम्बे समय से ये सब वहां चलता रहा , कभी किसी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई और सब भले ही वो किसी धर्म , पंथ या मज़हब से रहे हो , वो चुपचाप बाइबिल गाते रहे .  अचानक कुछ लोगों को बदले परिवेश और माहौल में ये कार्य थोड़ा उचित नहीं लगा . उन्होंने सोचा कि एक वर्ग भर को सम्बोधित करने वाली बाइबिल के बजाय यहाँ सम्पूर्ण भारत को सम्बोधित करता हुआ वन्देमातरम का गान होना चाहिए और इसी आशा और उम्मीद के साथ एक PHD छात्र अभय ने कालेज प्रबंधन को प्रार्थना पत्र दे दिया . उसमे निवेदन था कि कृपया भारत की सीमा के अंदर आने वाले इस विश्व विद्द्यालय में बाइबिल के बजाय वन्देमातरम करवाई जाय . कालेज प्रबंधन उस प्रार्थना पत्र को पाते ही आग बबूला हो गया और सीधे उस छात्र को बुलाते हुए कहा कि ये सब यहाँ नहीं चल सकता और अगर तुम्हारे ऊपर ज्यादा ही देश्बक्ति सवार है तो उसका इलाज हम कर देते हैं . अगले दिन उस छात्र के हाथ में निलंबन का लेटर पकड़ा कर कहा गया कि आगे की पढ़ाई वहां से जाओ करो जहाँ तुम्हारा वन्देमातरम चलता हो .. अभय अपना कैरियर और जीवन तबाह होता देख कर एक बार तो चकरा गया पर उसकी एक भी दलील सुनने को शियाट्स कालेज प्रबंधन तैयार नहीं था .  हार कर ये बात उसने अपने अन्य साथियों को बताई तो काफी दिन से दबा कुचला छात्र वर्ग आंदोलित हो उठा और अपने मित्र अभय की बहाली की मांग करने लगा . पर कालेज प्रशाशन जरा सा भी झुकने को तैयार नहीं हुआ . अंत में वो छात्र अपने मित्र छात्रों के साथ इलाहाबाद के जिलाधिकारी से मिला और अपने लिए न्याय माँगा .. छात्र अभय का कहना है कि अभी तक कालेज या इलाहाबाद प्रशासन ये नहीं बता पाया कि उसे किस बात की सज़ा मिली है . ये घटना राष्ट्र के अंदर चल रही एक बहुत बड़ी आतंरिक षड्यंत्र को चिन्हित करती है जिसका सीधा सम्बन्ध उन छात्रों से है जिन्हे डाक्टर , इंजीनियर या कुछ और बनने से पहले अपने धर्म या मजहब के लिए समर्पण करवाया जा रहा है वो भी जबरदस्ती …

source: http://www.sudarshannews.com/category/national/student-dismiss-due-to-demand-of-vandematarm-1057

Hindus were being converted by the missionaries, who lured them with money to change their religion

In Uttar Pradesh, cops halt church prayer after Hindu group alleges conversion

Yogi Adityanath

People inside the church on Friday. Eleven US nationals were also present in the church. (HT Photo)

Police stopped a prayer attended by more than 150 people, including 11 American tourists, at an Uttar Pradesh church on Friday after the right-wing Hindu Yuva Vahini complained that the event was a cover for religious conversion.

The youth group, set up by chief minister Yogi Adityanath in 2002, filed a complaint against Yohannan Adam, the pastor of the church at Dathauli of Maharajganj district.

The organisation accused him of converting Hindus to Christianity, a charge the pastor denied.

“No prior permission was taken before the meeting. We stopped the meet after a complaint was registered. A probe is underway and appropriate action will be taken if the charges are correct,” said police officer Anand Kumar Gupta.

The US tourists were let off after police checked their visas and relevant documents.

“The presence of US nationals indicates that innocent and illiterate Hindus were being converted by the missionaries, who lured them with money to change their religion,” said Krishna Nandan, a Hindu Yuva Vahini leader who surrounded the church with his supporters in the afternoon.

They dispersed after police promised a probe and adequate action, though Nandan was not happy that the Americans were cleared.

The church authorities dismissed the conversion allegations.

“The charges are absolutely baseless. The people were attending a prayer meeting voluntarily. We prayed. Nothing else was done,” pastor Adam said.

The Hindu right wing has been at loggerheads with Christian missionaries, accusing them of converting people through coercion and allurement to their faith.

Several Hindu organisations have conducted ghar wapsi or homecoming of such people, which minority groups say is a couched term for re-conversion.

Earlier this year, Hindu Yuva Vahini activists attacked the Full Gospel Church in Gorakhpur, accusing it of religious conversion.

 source:http://www.hindustantimes.com/india-news/in-gorakhpur-cops-halt-church-prayer-after-hindu-group-alleges-conversion/story-EBbeOl71ckLuIPyQzx3ksL.html

बाइबिल के यहोवा का भयंकर विज्ञान

जी हाँ इतना विज्ञानं आप सुनकर चौंक जायेंगे –

वैसे तो किसी भी पशु का मांस नहीं खाना चाहिए – क्योंकि ये मनुष्यता नहीं –
फिर भी यहोवा को कुछ अकल आई और उसने कुछ पशुओ को अशुद्ध ठहरा दिया – उन पशुओ में सूअर, शापान आदि के साथ साथ एक जानवर आपने देखा होगा – “खरगोश” – इसके मांस को – यहोवा ने अशुद्ध बताया है –

आइये एक नजर डालिये – की इन पशुओ में क्या ऐसा है जो इनको अशुद्ध बनाता है – और अन्य पशुओ को शुद्ध –

1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

2 इस्त्राएलियों से कहो, कि जितने पशु पृथ्वी पर हैं उन सभों में से तुम इन जीवधारियों का मांस खा सकते हो।

3 पशुओं में से जितने चिरे वा फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।

4 परन्तु पागुर करने वाले वा फटे खुर वालों में से इन पशुओं को न खाना, अर्थात ऊंट, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरा है।

5 और शापान, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

6 और खरहा, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

7 और सूअर, जो चिरे अर्थात फटे खुर का होता तो है परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

8 इनके मांस में से कुछ न खाना, और इनकी लोथ को छूना भी नहीं; ये तो तुम्हारे लिये अशुद्ध है॥
(लैव्यव्यवस्था, अध्याय ११)

तो देखा आपने – शुद्ध और अशुद्ध का निराकरण करना – वो भी बाइबिल के यहोवा का तर्कसम्मत विज्ञानं ?

क्या कोई जीव – ईश्वर की नजर में अशुद्ध है ?

फिर बनाया क्यों ?

अब क्या ऐसे को जो अपनी ही बनाई सृष्टि में कुछ पक्षपात करता डोलता है – शुद्ध अशुद्ध का भेद करके – उसे ईश्वर कह सकते हैं –

चलिए इस विषय पर फिर कभी चर्चा करेंगे अभी तो ऊपर की आयत में यहोवा का भयंकर विज्ञानं पढ़िए – हंसी आएगी = की बाइबिल का यहोवा – इतना मुर्ख ?

3 पशुओं में से जितने चिरे वा फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।

यानी जो पशु जुगाली करते हो और उनके खुर फटे हो – यानी खुर (hoof) में फटाव हो – अथवा बंटे हो – ये दोनों स्थति होनी चाहिए =

अब देखिये – यहोवा का मंदबुद्धि विज्ञान

6 और खरहा, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

यहाँ खरगोश को अशुद्ध बताया है – यानी खरगोश जुगाली तो करता है मगर उसके खुर फटे नहीं होते –

किसी भाई ने खरगोश को जुगाली करते देखा ?

खरगोश के खुर फटे होते हैं –

क्या ये नार्मल सी बाते भी बाइबिल के यहोवा को नहीं मालूम ?

हाँ केवल आदम हव्वा से दुनिया के अनेक मनुष्य बनाता है – इतना ही अक्ल है –

वाह जी वाह – क्या विज्ञानं है यहोवा का ?

इतने पर भी मेरे ईसाई मित्र कहते हैं –

बाइबिल में विज्ञानं है –

भाई ऐसे विज्ञानं को आप ही पढ़ो और आप ही बांटो –

हम से न होगा –

हंसो मत भाई – यहोवा को बुरा लग गया – तो क़यामत भेज देगा –

बताओ इतना मंदबुद्धि और कम अक्ल वाला बाइबिल का यहोवा अपने को सर्वज्ञ और ईश्वर कहलवाता है –

मेरे ईसाई मित्रो – इस विज्ञानं पर कुछ बोलना है ?

ज्ञान और विज्ञानं वेद में है – उसे अपनाओ

इस ढोंग को छोडो – धर्म से नाता जोड़ो –

लौटो वेदो की और

नमस्ते

इस्लाम और ईसाइयत का इतिहास एक नज़र में

क्या हजरत आदम और उनकी बेगम हव्वा – कभी थे भी ?????

ये सवाल इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है – क्योंकि – ये जानना बहुत जरुरी है इसलिए नहीं कि कोई मनगढंत बात है या सवाल है –

क्या कोई वैज्ञानिक प्रमाण मिला है आज तक जो इनके प्रेम प्रतीक –
अथवा त्याग और बलिदान की मिसाल पेश करे ??

अब कुछ लोग (ईसाई और मुस्लमान) अपने अपने धारणा के हिसाब से बेबुनियाद बात करते हुए कहेंगे की –

ये जो मानव जाती है – ये इन्ही आदम और हव्वा से चली है – जो की “स्वघोषित” अल्लाह मियां अथवा तथाकथित परमेश्वर “यहोवा” ने बनाई थी –

जब बात आती है – भगवान श्री राम और योगेश्वर श्रीकृष्ण आदि की तो इन्हे (ईसाई और मुस्लमान) को ठोस प्रमाण चाहिए –

जबकि – रामसेतु इतना बड़ा प्रमाण – श्री लंका – खुद में एक अकाट्य प्रमाण – फिर भी नहीं मानते –

महाभारत के इतने अवशेष मिले – आज भी कुरुक्षेत्र जाकर आप स्वयं देख सकते हैं – दिल्ली (इंद्रप्रस्थ) पांडवकालीन किला आज भी मौजूद है जिसे पुराना किला के नाम से जाना जाता है।

इतना कुछ है – फिर भी कुछ समूह (ईसाई और मुस्लमान) मूर्खो जैसे वही उवाच करते हैं – प्रमाण लाओ –

आज हम इस समूह (ईसाई और मुस्लमान) से कुछ जवाब मांगते हैं –

1. हज़रत आदम और हव्वा यदि मानवो के प्रथम पूर्वज हैं तो – क्यों औरत आदमी से पैदा नहीं होती ???? ऐसा इसलिए क्योंकि प्रथम औरत (हव्वा) आदम की दाई पसली से निर्मित की गयी – क्या किसी शैतान ने बाइबिल और क़ुरान के तथाकथित अल्लाह का निज़ाम उलट दिया ?? या कोई और शक्ति ने ये चमत्कार कर दिया ??? जिसे आज तक अल्लाह या यहोवा ठीक नहीं कर पाया – यानि की एक पुरुष संतान को उत्पन्न करे न की औरत ???

2. यदि बाइबिल और क़ुरान की ये बात सही है कि यहोवा या अल्लाह ने हव्वा को आदम की पसली से बनाया तो आदम यानि की सभी पुरुषो की एक पसली क्यों नहीं होती ???????? और जो हव्वा को एक पसली से ही पूरा शरीर निर्मित किया तो हव्वा को भी एक ही पसली होनी चाहिए – या यहाँ भी कोई शैतान – यहोवा या अल्लाह पर भारी पड़ गया और यहोवा और अल्लाह की बनाई संरचना में – बड़ा उलटफेर कर दिया जिसे आजतक यहोवा या अल्लाह ने कटाई छटाई का हुक्म देकर अपना बड़प्पन साबित करने की नाकाम कोशिश की ???????

3. यहोवा या अल्लाह ने आदम और हव्वा की संरचना कहा पर की ?? क्या वो स्थान किसी वैज्ञानिक अथवा researcher द्वारा खोज गया ????

4. हज़रत आदम और हव्वा ने ऐसा क्या काम किया जिसकी वजह से उन दोनों को स्वर्ग (अदन का बाग़) से बाहर निकल दिया गया ?? क्या अपने को नंगा जान लेना और जो कुछ बन पाये उससे शरीर को ढांप लेना – क्या गुनाह है ????? क्या जीवन के पेड़ से बुद्धि को जागरूक करने वाला फैला खाना पाप था ????? ये पेड़ किसके लिए स्वर्ग (अदन का बाग़) में बोया गया और किसने बोया ???? क्या खुद यहोवा या अल्लाह को ऐसे पेड़ या फल की आवश्यकता थी या है ??? अगर नहीं तो फिर आदम और हव्वा को खाने से क्यों खुद यहोवा या अल्लाह ने मना किया ??? क्या यहोवा या अल्लाह – हज़रत आदम और हव्वा को नग्न अवस्था में ही रखना चाहते थे ???? या फिर यहोवा या अल्लाह नहीं चाहता था की वो क्या है इस बात को हज़रात आदम या हव्वा जान जाये ????

5. यहोवा या अल्लाह द्वारा बनाया गया – अदन का बाग़ – जहा हजरत आदम और हव्वा रहते थे – जहा से शैतान ने इन दोनों को सच बोलने और यहोवा या अल्लाह के झूठे कथन के कारण बाहर यानि पृथ्वी पर फिकवा मारा – बेचारा यहोवा या अल्लाह – इस शैतान का फिर से कुछ न बिगाड़ पाया – खैर बिगाड़ा या नहीं हमें क्या करना – हम तो जानना चाहते हैं – ये अदन का बाग़ मिला क्या ??????

6. यहोवा या अल्लाह द्वारा – आदम और हव्वा को उनके सच बोलने की सजा देते हुए और अपने लिए उगाये अदन के बाग़ और उस बाग़ की रक्षा करने वाली खडग (तलवार) से आदम और हव्वा को दूर रखने के लिए पृथ्वी पर भेज दिया गया। मेरा सवाल है – किस प्रकार भेजा गया ??? क्या कोई विशेष विमान का प्रबंध किया गया था ???? ये सवाल इसलिए अहम है क्योंकि बाइबिल के अनुसार यहोवा उड़ सकता है – तो क्या उसकी बनाई संरचना – आदम और हव्वा को उस समय “पर” लगाकर धरती की और भेज दिया गया – या कोई अन्य विकल्प था ???

ये कुछ सवाल उठे हैं – जो भी कुछ लोग (ईसाई और मुस्लमान) श्री राम और कृष्ण के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं – अब कुछ ठोस और इतिहास की नज़र में ऐसे अकाट्य प्रमाण लाओ जिससे हज़रत आदम और हव्वा का अस्तित्व साबित हो सके – नहीं तो फ़र्ज़ी आधार पर की गयी मनगढंत कल्पनाओ को खुद ही मानो – और ढोल पीटो – झूठ के पैर नहीं होते – और सत्य कभी हारता नहीं – ध्यान रखना –

वो जरा इन सवालो के तर्कपूर्ण और वैज्ञानिक आधार पर जवाब दे – नहीं तो अपना मुह बंद रखा करे।

नोट : कृपया दिमाग खोलकर और शांतिपूर्ण तरीके से तार्किक चर्चा करे – आपका स्वागत है – गाली गलौच अथवा असभ्य बर्ताव करने पर आप हारे हुए और जानवर घोषित किये जायेंगे।

सहयोग के लिए –

धन्यवाद –

ईसा मुक्तिदाता नहीं – बाइबिल

मुख्य रूप से मान्य ग्रन्थ तो ईसाइयो का ही है – पर कुछ भारतीय मुख्य रूप से हिन्दू भाई खासकर – आदिवासी – पिछड़ा वर्ग एवं हमारे अति प्रिय दलित भाई तथा कुछ ऐसे परिवार भी जो पढ़े लिखे समझदार हैं धनाढ्य भी पर फिर भी अपने सत्य सनातन शुद्ध वैदिक धर्म को त्याग – अन्धविश्वास पाखंड और अनाचार में न जाने क्यों प्रवत्त होते जा रहे है ?

शायद इसकी एक बड़ी वजह है – ईसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दुओ के मानस पटल पर अंकित देवी देवताओ की भाव भंगिमाओं रूपों आकृति से मिलते जुलते रूप आकार आदि से ईसा की लुभावनी मूर्ति फोटो आदि बना कर “हिन्दुओ” के देवी देवताओ में “सबसे बड़ा देवता” अथवा “ईश्वर पुत्र” घोषित करवाना और “इकलौता मुक्तिदाता” बताकर धर्मांतरण करवाना यदि इससे काम न बने तो हिन्दुओ खासकर गरीब, निर्बल, आदिवासी तथा दलित भाइयो को धन का लालच देकर उनको ईसाई बनाना।

आखिर हिन्दुओ के देवी देवताओ की शरण में इस मुक्तिदाता को क्यों जाना पड़ा ? ऐसी क्या मजबूरी ईसाइयो के लिए हो गयी की जिस ईसा को मुक्तिदाता बताते नहीं थकते उसे हिन्दू देवी देवताओ के जैसे रूप आकर आदि से हिन्दुओ को दिखाकर मुर्ख बनाकर ठगने का गोरखधंधा आखिर एक अन्धविश्वास नहीं तो क्या है ? यदि हिन्दुओ के देवी देवता मुक्ति नहीं दे सकते तो किस प्रकार ईसा उन्ही देव देवी के रूप आकार धारण कर मुक्ति करवाएगा ?

आइये एक नजर डाले आखिर ईसा अकेला मुक्तिदाता कैसे ? ये सवाल इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ईसा से भी बड़ा मुक्तिदाता था ईसा के ही समय पर फिर ऐसा क्या हुआ जो ईसा को ही मुक्तिदाता माना गया अथवा जबरदस्ती घोषित किया कहीं ऐसा तो नहीं एक समुदाय विशेष पर थोपा गया “तथाकथित मुक्तिदाता” ????

आइये एक नजर डाले ——-

हजरत यूहन्ना ने हजरत मसीह को शुद्ध किया अर्थात – बपतिस्मा देकर निष्पाप किया, दूसरे शब्दों में प्रायश्चित कराया। यथा –

1. तब यीशु यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के लिए उसके पास गलील से यदन को गया। (मत्ती ३-१३)

2. और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरंत पानी से ऊपर आया। (मत्ती ३-१६ )

3. बपतिस्मा जो इसका दृष्टांत है, और शरीर का मैल दूर करना नहीं, परन्तु परमेश्वर के साथ सीधे विवेक का अंगीकार है। (पितरस ३-२१)

4. यूहन्ना…………….. पापमोचन के लिए पश्चाताप के लिए बपतिस्मा का उपदेश करने लगा। (लूका ३-३)

केवल ईसा को अकेला मुक्तिदाता बताने वाले और हिन्दू भाइयो को अन्धविश्वास में गर्त करने वाले ईसाई मिशनरी के लोग कृपया बताये ईसा अकेले कैसे मुक्तिदाता हुआ ?

यदि ईसा अकेला मुक्तिदाता है तो फिर हजरत मसीह को हजरत यूहन्ना ने बपतिस्मा किसलिए दिया ?

1. ईश्वर के साथ सीधे विवेक के लिए।

2. पापमोचन के लिए।

3. प्रायश्चित के लिए।

अब पाठकगण स्वयं विचार करे की हजरत मसीह को तो खुद पाप से मुक्ति करवाने के लिए बपतिस्मा लेना पड़ा वो भी हजरत यूहन्ना से फिर ईसा अकेले “मुक्तिदाता” कैसे ?

खैर एक विचार इस पर भी कर लेवे की बपतिस्मा करवाने वाला (ईसा को पाप मुक्त बनाने वाला) हजरत यूहन्ना – बपतिस्मा लेना वाला हजरत मसीह जिसे मनुष्यो की शुद्धि करवाने वाला बताया जाता है – उसने स्वयं हजरत यूहन्ना को पाप क्षमा करवाने वाला (बपतिस्मा) देने वालो में सबसे बड़ा कहा है –

देखिये साक्षी स्वयं इंजील ही है – यथा

“में तुमसे सच कहता हूँ जो स्त्रियों से जन्मा है, उनमे से यूहन्ना बपतिस्मा देने हारे से बड़ा कोई नहीं।” (मत्ति ११-११)

यदि ईसाई भाई कहे की हजरत मसीह खुदा या खुदा के बेटे थे – तो भाई सवाल उठेगा की खुदा के बेटे के पाप स्वयं खुदा नहीं धो सका – उसके लिए हजरत यूहन्ना ही काम आये – इस लिहाज से तो हजरत यूहन्ना खुदा से बड़े सिद्ध हुए और ईसा से भी –

दूसरी बात की ईसा खुदा के अकेले बेटे नहीं थे – जैसे की ईसाई मिशनरी झूठ फैला रही हैं की ईसा ईश्वर के पुत्र थे – देखिये

हजरत मसीह भी स्त्री से जन्मे थे, अतः वह भी यूहन्ना से बड़े नहीं हो सकते जैसा की ईसा ने स्वयं अपने मुह से कहा फिर खुदा या खुदा के बेटे कैसे हो गए ?

यूहन्ना की माता बूढ़ा होने के कारण पुत्र उत्पन्न नहीं कर सकती थी, और ईसाइयो के कथनानुसार हजरत मरियम कुंवारी होने से संतान उत्पन्न नहीं कर सकती थी।

अतः दोनों ही पवित्र आत्मा से उत्पन्न होने के कारण खुदा बेटे होने चाहिए। यदि हजरत यूहन्ना ईश्वर के बेटे नहीं तो फिर ईसा मसीह कैसे ?

तो अब ईसाई भाई जरा बतावे की ईसा अकेला मुक्तिदाता कैसे और साथ ही अकेला खुदा का बेटा भी सिद्ध नहीं होता – इसलिए प्रार्थना है ये अन्धविश्वास, पाखंड और अनाचार छोड़ – सत्य सनातन वैदिक धर्म में लौटिए – अपने शुद्ध रूप को अपनाये –