दक्षिण भारत में आर्यसमाज का योगदान – डॉ. ब्रह्ममुनि

  देश के भौगोलिक अध्ययन के लिए, इसे सुविधा की दृष्टि से दो भागों में विभक्त किया जाता है- पहला उत्तर  और दूसरा दक्षिणी भाग। यद्यपि यह विभाजन वैज्ञानिक नहीं है, तथापि सामान्य रूप से उत्तरी  भाग को ‘उत्तर  भारत’ और दक्षिणी भाग को ‘दक्षिण भारत’ के नाम से अभिहित किया जाता है। उपर्युक्त विभाजन के अतिरिक्त पाश्चात्य विद्वानों ने एक अलग प्रकार की भ्रामक संकल्पना की है कि आर्य बाहर से इस देश में आए और वे उत्तरी भाग में निवास करने लगे तथा यहाँ के पूर्व निवासियों को उन्होंने दक्षिण में भगाया, अतः उत्तर के निवासी ‘आर्य’ कहलाए और दक्षिण के निवासी ‘द्रविड’ कहलाए। पाठ्यक्रमों में इसी अवधारणा को पढ़ाया जाने के कारण सुशिक्षित एवं बुद्धिजीवी वर्ग में … Continue reading दक्षिण भारत में आर्यसमाज का योगदान – डॉ. ब्रह्ममुनि

My Only True Friend By Vatsala Radhakeesoon

My Only True Friend Hectic, hectic is mundane life; Human beings can barely enjoy time. To No Human Heart I’m now attached, Fragile expectations have long ago been smashed. ‘OM,OM,OM*’ in my mind his name rhymes, Senses, Soul connect to the Omniscient Divine; My anger,fears, torments he deeply understands, His justice, love ,strength aren’t like slippery grains of sand. I feel for me he’s always there, Whatever he does he’s always fair, He’s my only True Friend -The Divine whom in my life flawlessly, constantly shines. Vatsala Radhakeesoon *OM: According to the Vedas, the main name of God

An Islamic Caliphate in Seven Easy Steps By Yash Arya

http://www.spiegel.de/international/the-future-of-terrorism-what-al-qaida-really-wants-a-369448.html An Islamic Caliphate in Seven Easy Steps In the introduction, the Jordanian journalist writes, “I interviewed a whole range of al-Qaida members with different ideologies to get an idea of how the war between the terrorists and Washington would develop in the future.” What he then describes between pages 202 and 213 is a scenario, proof both of the terrorists’ blindness as well as their brutal single-mindedness. In seven phases the terror network hopes to establish an Islamic caliphate which the West will then be too weak to fight. The First Phase Known as “the awakening” — this has already been carried out and was supposed to have lasted from 2000 to 2003, or more precisely from the terrorist … Continue reading An Islamic Caliphate in Seven Easy Steps By Yash Arya

आर्यसमाज से सीखोः प्रा राजेंद्र जिज्ञासु

आर्यसमाज से सीखोः– हिन्दू समाज वेद विमुख होने से अनेक कुरीतियों का शिकार है। एक बुराई दूर करो तो चार नई बुराइयाँ इनमें घुस जाती हैं। सत्यासत्य की कसौटी न होने से हिन्दू समाज में वैचारिक अराजकता है। धर्म क्या है और अधर्म क्या है? इसका निर्णय क्या स्वामी विवेकानन्द के अंग्रेजी भाषण से होगा? गीता की दुहाई देने लगे तो गीता-गीता की रट आरम्भ हो गई। गीता में श्री कृष्ण के मुख से कहलवाया गया है कि मैं वेदों में सामवेद हूँ। क्या यह नये हिन्दू धर्म रक्षक वेद के दस बीस मन्त्र सुना सकते हैं? एक शंकराचार्य बोले साईं बाबा हमारे भगवानों की लिस्ट में नहीं तो दूसरा साईं बाबा भड़क उठा कि साईं भगवान है। इस पर … Continue reading आर्यसमाज से सीखोः प्रा राजेंद्र जिज्ञासु

बड़ों ने सिखायाःप्रा राजेंद्र जिज्ञासु

बड़ों ने सिखायाः– मेरे प्रेमी पाठक जानते हैं कि मैं यदा-कदा अपने लेखों व पुस्तकों में उन अनेक आर्य महापुरुषों व विद्वानों के प्रति कृतज्ञता व आभार प्रकट करता रहता हूँ जिन्होंने मुझे कुछ सिखाया, बनाया अथवा जिनसे मैंने कुछ सीखा। मैंने प्रामाणिक लेखन के लिये नई पीढ़ी के मार्गदर्शन के लिए ‘दयानन्द संदेश’ में पं. लेखराम जी तथा पूजनीय स्वामी वेदानन्द जी की एक-एक घटना दी थी। कुछ युवकों को ये दोनों प्रसंग अत्यन्त प्रेरक लगे। तब कुछ ऐसे और प्रसंग देने की मांग आई। आज लिखने के लिये कई विषय व कई प्रश्न दिये गये हैं परन्तु दो मित्रों के चलभाष पाकर प्रामाणिक लेखन के लिए  अपने दो संस्मरण देना उपयुक्त व आवश्यक जाना। श्री वीरेन्द्र ने सन् … Continue reading बड़ों ने सिखायाःप्रा राजेंद्र जिज्ञासु

क्या भारत में गोहत्या कभी पुण्यदा थी यश आर्य

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2015/04/150331_beef_history_dnjha_sra_vr वैदिक साहित्य में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि उस दौर में भी गोमांस का सेवन किया जाता था. जब यज्ञ होता था तब भी गोवंश की बली दी जाती थी. उत्तर: प्रमाण कहां  है ? धर्मशास्त्रों में यह कोई बड़ा अपराध नहीं है इसलिए प्राचीनकाल में इसपर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया गया. उत्तर :ये  झूठ है।वेद में गो वध निषेध है । सारा विवाद 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ जब आर्य समाज की स्थापना हुई और स्वामी दयानंद सरस्वती ने गोरक्षा के लिये अभियान चलाया. और इसके बाद ही ऐसा चिह्नित कर दिया गया कि जो ‘बीफ़’ बेचता और खाता है वो मुसलमान है. इसी के बाद साम्प्रदायिक तनाव भी होने शुरू हो गए. उससे … Continue reading क्या भारत में गोहत्या कभी पुण्यदा थी यश आर्य

Beef ban strengthens secularism by Yash Arya

http://www.bbc.com/news/world-asia-india-32172768 Justin Rowlatt South Asia correspondent Mr Justin Rowlatt argues that beef ban endangers secularism. He cites the following reasons: 1. The Hindu majority – 80% of the country’s 1.2 billion people – regard cows as divine; the 180 million-strong Muslim minority see them as a tasty meal. 2. Secularism in India means something a little different from elsewhere. It doesn’t mean the state stays out of religion, here it means the state is committed to supporting different religions equally. 3. India’s secularism was a response to horrors of the partition when millions of people were murdered as Hindus and Muslims fled their homes. The country’s first prime minister, Jawaharlal Nehru, argued equal treatment was a reasonable concession to the … Continue reading Beef ban strengthens secularism by Yash Arya

क्या हिन्दू गौ मांस खाते थे ?

हाल ही में बीबीसी वालों ने डॉ भीमराव आंबेडकर के अवैदिक लेख को प्रस्तुत कर बड़ा मूर्खतापूर्ण कार्य किया है  भारतीय संस्कृति और वैदिक धर्म को चोट पहुंचाने में बीबीसी आजकल बड़ी भूमिका निभा रहा है,                चाहे वह दिल्ली गेंग रेप के अपराधियों के इंटरव्यू से यहाँ के लोगों की मानसिकता को घटिया बताना हो या वेदों में गाय के मांस खाने को सही बताना हो, इन धूर्त विदेशियों ने आज तक केवल यही काम किया है, फुट डालो और राज करो और भारतीय इतिहास को नष्ट करके देश का भविष्य बर्बाद करो , भारतीय संविधान के निर्माता (जो वास्तविक रूप से लगते नहीं है क्यूंकि यह संविधान “कही की इंट कही का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा” को … Continue reading क्या हिन्दू गौ मांस खाते थे ?

प्रारम्भ ही मिथ्या से – पंडित चमूपति जी

  प्रारम्भ ही मिथ्या से वर्तमान कुरआन का प्रारम्भ बिस्मिल्लाह से होता है I सूरते  तौबा  के अतिरिक्त और सभी  सूरतों का प्रारम्भ में यह मंगलाचरण  के रूप में पाया जाता है ई यही नहीं इस पवित्र वाक्य का पाठ मुसलामानों के अन्य कार्यों के प्रारम्भ करना अनिवार्य माना गया है ई ऋषि दयानंद  को इस कलमे ( वाक्य ) पर दो आपत्तियां है I प्रथम यह कुरआन के प्रारम्भ में यह कलमा परमात्मा की ओर से प्रेषित ( इल्हाम ) नहीं हुआ है I दूसरा यह की मुसलमान लोग कुछ ऐसे कार्यों में भी इसका पाठ करते है जो इस पवित्र वाक्य के गौरव के अधिकार क्षेत्र नहीं I पहेली शंका कुरआन की वररण शैली के ओर ईश्वरी सन्देश … Continue reading प्रारम्भ ही मिथ्या से – पंडित चमूपति जी

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)