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क्या भारत में गोहत्या कभी पुण्यदा थी यश आर्य

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2015/04/150331_beef_history_dnjha_sra_vr

वैदिक साहित्य में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि उस दौर में भी गोमांस का सेवन किया जाता था. जब यज्ञ होता था तब भी गोवंश की बली दी जाती थी.

उत्तर: प्रमाण कहां  है ?

धर्मशास्त्रों में यह कोई बड़ा अपराध नहीं है इसलिए प्राचीनकाल में इसपर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया गया.

उत्तर :ये  झूठ है।वेद में गो वध निषेध है ।
सारा विवाद 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ जब आर्य समाज की स्थापना हुई और स्वामी दयानंद सरस्वती ने गोरक्षा के लिये अभियान चलाया. और इसके बाद ही ऐसा चिह्नित कर दिया गया कि जो ‘बीफ़’ बेचता और खाता है वो मुसलमान है. इसी के बाद साम्प्रदायिक तनाव भी होने शुरू हो गए. उससे पहले साम्प्रदायिक दंगे नहीं होते थे.

उत्तर: ऋषि द्यानंद ने कहां कहा है  कि गो  मांस भक्षक केवल मुसल्मान होता है , और   ईसाइ आदि  नहीं ? क्या  साम्प्रदायिक दंगे अंग्रेज़ सरकार आदि ने नहीं भडकाए ? बंगाल विभाजन क्यों हुआ ?

सारांश :  द्विजेंद्र नारायण झा  एक मांसाहारी  समाज का सदस्य है । उसका समाज तंत्र [शक्ति ] को मानता है । तंत्र अवैदिक मत है,मांसाहार करने देता है । वह स्वयम कार्ल मार्क्स का पुजारी है ।  यदि वह वेद मंत्र लिखता  तो मैं  खंडित करता ।  सारा लेख झा जी की कल्पना पर आधारित है । अत: लेख निराधार है । क्या यह व्यक्ति यह सिद्ध  कर सकता है, कि वेदिक संहिताओं में गोहत्या  करने पर अमुक पुण्य प्राप्त होगा ,  ऐसा लिखा है  ?  देखो वेद क्या कह्ता है :
http://www.onlineved.com/yajur-ved/?language=2&adhyay=14&mantra=8

बैल से बिजली

मार्क्स वाद के  कारनामे:

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