Category Archives: Islam

कुरान समीक्षा : कुरान मुहम्मद ने लिखा था

कुरान मुहम्मद ने लिखा था

इस आयत में कुरान सुनाने वाला दूसरा खुदा है या कुरान का लेखक मुहम्मद है यह स्पष्ट किया जावे। दूसरा खुदा कहां रहता है क्या करता है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

तिल्-क आयातुल्लाहि नत्लू हा……..।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू ३३ आयत २५२)

यह अल्लाह की आयतें जो मैं तुमको सच्चाई से पढ़-पढ़कर सुनाता हूं और तुम बिना शक पैगम्बरों में से हो।

समीक्षा

कुरान का दावा है कि उसे बनाने वाला खुदा था, उस आयत में कुरान सुनाने वाला खुदा से दूसरा है जो कहता है कि मैं अल्लाह की आयतें सच्चाई से पढ़कर सुनाता हूं। कुरान दो खुदा मानता है, यह स्पष्ट है अथवा कुरान मुहम्मद ने लिखा था?

कुरान समीक्षा : झूठी कसमें खाने का आदेश

झूठी कसमें खाने का आदेश

झूठी कसमों पर खुदा सजा नहीं देगा इस घोषणा से खुदा मुसलमानों को दुनियाँ में अविश्वास योग्य घोषित करके इस्लाम की क्या बेहतरी की है? क्या कुरान ने उनको झूठी कसमें खाने का प्रोत्साहन नहीं दिया है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

ला युआखिजकुमुल्लाह विल्लगवि………।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २८ आयत २२५)

तुम्हारी फिजूल की कसमों पर खुदा तुमको नहीं पकड़ेगा। लेकिन उनको पकड़ेगा जो तुम्हारे दिली इरादे हैं।

समीक्षा

जब झूठी कसमें खाना जुर्म नहीं और मुसलमान दूसरों को झूठी कसमें खाकर यदि धोखा देने लगें तो उनका कौन विश्वास करेगा?

यदि कोई शरीफ आदमी उन पर विश्वास कर बैठेगा तो निश्चय धोखा खाकर नुकसान उठाने वालों में होगा।

अरबी खुदा की क्या यह शिक्षा दुनियां में बेईमानी फैलाने में सहायक न होगी?

हदीस: औरत का दोजक्ख में होना क्यूंकि वह अपने शौहर का नाफ़रमानी करती है |

औरत का  दोजक्ख में होना क्यूंकि वह अपने शौहर का नाफ़रमानी करती है |

इस्लाम में यह बोला जाता है की औरत और पुरुष को एक समान अधिकार है | वह  उपभोग की वस्तु नहीं है | खैर यह हमें दिलासा के लिए बोला जाता है की औरत को एक समान अधिकार है | आज हम कुछ पहलु इस्लाम से जाहिर करते हैं जिससे यह मालुम हो जाएगा की औरत को इस्लाम में एक समान अधिकार नहीं बल्कि एक उपभोग की वस्तु है | कुरआन में भी यह बोला गया है की औरत को खेती समझो | चलिए ज्यादा बाते न बनाते हुए औरत की बारे में सहीह बुखारी हदीस से हम प्रमाण रख रहे हैं |

Saheeh bukhaari hadees  volume 1 book 2 : belief  hadees  number 28

Narrated Ibn Abbas :  The Prophet said : “ I was shown the hell-fire and that the majority of its dwellers were woman who were ungrateful.” It was asked. “do they  disbelieve in allah ? “ (or are they  ungrateful to allah ? ) he replied , “ They are ungrateful to their husbands and are ungrateful for the favors  and good (charitable deeds)  done to them . if you have always been good (benevolent)   to one of them and then she sees something  in you (not of her liking), she will say, ‘ I have never received any good from you.”

मुख़्तसर सहीह बुखारी हदीस जिल्द  1 बुक  2 इमान का बयान   हदीस संख्या  27

इब्ने अब्बास रजि. से रिवायत है, उन्होंने कहा , नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : मैंने दोजक्ख  में ज्यादातर औरतो को देखा (क्यूंकि) वह कुफ्र करती है | लोगो ने कहा : क्या वह अल्लाह का कुफ्र करती है ? आपने फरमाया : “ नहीं बल्कि वह अपने शौहर की नाफ़रमानी करती है  और एहसान फरामोश है , वह यूँ की अगर तू सारी उम्र औरत से अच्छा सलूक करे फिर वह (मामूली सी ना पसंद ) बात  तुझमे देखे तो कहने लगती है की  मुझे तुझ से कभी आराम नहीं मिला | “

 

ऊपर हमने हदीस से इंग्लिश और हिंदी में प्रमाण दिया है |

समीक्षा :  यह बात समझ में  नहीं आई की यदि कोई शौहर गलत काम करे  तो भी  उस औरत को उसकी  शौहर की बात को मानना पड़े  यदि वह  ना माने  तो  वह दोजख  जायेगी | यह कैसा इस्लाम में औरत  को समानता दी गयी है यह बात समझ से परे है | शौहर गलत ही क्यों ना हो उसका विरोध ना करो | शौहर का सब  बात को सही समझो | सभी बात को स्वीकार करो | क्या औरत खिलौना है ? क्या औरत के पास कोई अक्ल  नहीं है ? सब अक्ल पुरुष के पास है ?  यदि शौहर अपनी बीवी की बात ना माने तो वह कहाँ जाएगा ? वह शौहर दोजख क्यों नहीं जाएगा ? यह कैसा समानता औरत पुरुष में ?

 

यदि लेख में किसी तरह की त्रुटी हुयी हो तो आपके सुझाब सादर आमंत्रित हैं  |

धन्यवाद  |

 

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कुरान समीक्षा : रोजों में सम्भोग करना जायज किया गया

रोजों में सम्भोग करना जायज किया गया

खुदा ने राजों में औरतों से विषय भोग करने पर पहले पाबन्दी क्यों लगाई थी जो उसे बाद में तोड़नी पड़ी? क्या इससे खुदा की अज्ञानता प्रकट नहीं होती है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

उहिल-ल लकुम् लैल- तस्सियामिर्र…….।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २३ आयत १८७)

(मुसलमानों) रोजो की रातों में अपनी बीबियों के पास जाना तुम्हारे लिये जायज कर दिया गया है, वह तुम्हारी पोशाक हैं और तुम उनकी पोशाक हो। बस! अब उनके साथ रोजों की रातों में भी हमबिस्तर हो सकते हो। अर्थात् सम्भोग कर सकते हो।

समीक्षा

इस पर सही बुखारी भाग १ सफा ३०१ हदीस ९११ में निम्न प्रकार वर्णन आता है-

वरायः जी अल्ला अन्स से रवायत है, कहा मुहम्मद सललाहु वलैहिअस्लम के सहाबों में से जब कोई रोजेदार होता और इफ्तार के वक्त सौ जाता बिना इफ्तार किये तो वह तमाम दिन नहीं खा सकता था, यहां तक कि शाम हो, एक वक्त कैसे बिन बिन सरमह अन्सारी रोजा से थे तो जब इफ्तार का वक्त आया तो अपनी बीबी के पास आये और उससे कहा-तेरे पास कुछ खाना है? उसने कहा नहीं, लेकिन मैं जाती हूँ तलाश करूंगी तुम्हारे लिये कुछ मिल जाये। और वे दिन भर मजदूरी करते थे इसलिए उनकी आँखें उन पर गालिब आई और सो गये। जब उनके पास उनकी बीबी आई तो कहने लगे बड़े खसारा में पड़ गया।

जब दूसरे रोज दोपहर का वक्त हुआ तो उन पर गशी तारी हो गई। उसका जिक्र रसूले खुदा सल्लाहु वलैहिअस्लम से किया गया तो यह आयत नाजिल हुई कि ‘‘तुम्हारे लिये रोजों की रात में अपनी ओर से हमबिस्तरी हलाल है।’’उस वक्त लोग इस आयत के हुक्त से बहुत-बहुत खुश हुए और यह भी नाजिल हो गया कि ‘‘खाओ और पियो जब कि सफेद धागा स्याह धागा से जुदा हो’’ यानी रात बीते तक।

इस हदीस से साफ हो गया कि अमर रोजाअफतारी के वक्त कुछ खाने को न मिल सके रोजेदार अपनी औरत से हमबिस्तरी करके रोजा अफतारी कर सकता है यह आसान व मजेदार नुस्खा खुदा ने बता दिया। इसमें खाने का झंझट भी साफ हो गया। कुछ खाने को न मिले तो भी हमबिस्तरी कर लेने से काम चल जावेगा।

कुरान समीक्षा : रोजा रखना जरूरी है

रोजा रखना जरूरी है

दिन में न खाना और रात में खना इस रिवाज को स्वास्थ्य विज्ञान के आधार पर सही साबित करें।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अय्युहल्लजी-न आमनू कुति-ब…….।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २३ आयत १८३)

ईमान वालों। जिस तरह तुमसे पहले किताब वालों पर रोजा रखना फर्ज (कत्र्तव्य) था। तुम पर भी फर्ज किया गया, ताकि तुम पापों से बचो।

समीक्षा

रोजा रखने की आज्ञा तौरेत, जबूर और इन्जील नाम की किसी भी पुरानी किताब में नहीं दी गई, यदि कोई मुसलमान मौलवी दिखा सके तो इनाम मिलेगा। इसके अलावा रोजो में दिन भर न खाना और रात में खाना स्वास्थ्य विज्ञान की दृष्टि से भी गलत है। भोजन सूर्य के प्रकाश में या दिन छिपने से पूर्व कर लेना चिकित्सा की दृष्टि से भी उचित रहता है। कुरान का रोजा रखने का तरीका अवैज्ञानिक है। अरबी खुदा का यह आदेश पुरानी पुस्तकों के भी विपरीत है (जिन पर कुरान आधारित है) तथा हानिकारक भी है।

कुरान समीक्षा: औरतों पर खुदाई जुल्म

औरतों पर खुदाई जुल्म

जो खुदा अपनी ही प्रजा (स्त्रियों) पर जुल्म ढाने, उनसे व्यभिचार करने, बलात्कार करने का हुक्म दे तो क्या वह जालिम व दुष्ट नहीं है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अय्युहल्लजी-न आमनू कुति-ब………।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २२ आयत १७८)

ऐ ईमान वालों! जो लोग मारे जावें, उनमें तुमको (जान के) बदले जान का हुक्म दिया जाता है। आजाद के बदले आजाद और गुलाम के बदले गुलाम, औरत के बदले औरत।

समीक्षा

इसमें हमारा ऐतराज इस अंश पर है कि ‘‘औरत के बदलने औरत’’ पर जुल्म किया जावे। यदि कोई बदमाश किसी की ओरत पर जुल्म कर डाले तो उस बदमाश को दण्ड देना मुनासिब होगा किन्तु उसकी निर्दोष औरत पर जुल्म ढाना यह तो सरासर बेइन्साफी की बात होगी। ऐसी गलत आज्ञा देना अरबी खुदा को जालिम साबित करता है, न्यायी नहीं।

वल्मुह्सनातु मिनन्निसा-इ इल्ल मा………।।

(कुरान मजीद पारा ५ सूरा निसा रूकू ४ आयत २४)

ऐसी औरतें जिनका खाविन्द जिन्दा है उनको लेना भी हराम है मगर जो कैद होकर तुम्हारे हाथ लगी हों उनके लिये तुमको खुदा का हुक्म है….. फिर जिन औरतों से तुमने मजा उठाया हो तो उनसे जो ठहराया उनके हवाले करो। ठहराये पीछे आपस में राजी होकर जो और ठहरालो तो तुम पर इस में कुछ उज्र नहीं। अल्लाह जानकर हिकमत वाला है।

समीक्षा

निर्दोष औरतों को लूट में पकड़ लाना और उनसे व्यभिचार करने की खुली छूट कुरानी खुदा ने दे दी है, क्या यह अरबी खुदा का स्त्री जाति पर घोर अत्याचार नहीं है? क्या वह व्यभिचार का प्रचारक नहीं था। फीस तय करके औरतों से व्यभिचार करने तथा फीस जो ठहरा ली हो उसे देने की आज्ञा देना क्या खुदाई हुक्म हो सकता है? अरबी खुदा और कुरान जो औरतों पर जुल्म करने का प्रचारक है क्या समझदार लोगों को मान्य हो सकता है?

कुरान समीक्षा : खुदा सर्वज्ञ अर्थात हर हाजिर नाजिर नहीं है

खुदा सर्वज्ञ अर्थात हर हाजिर नाजिर नहीं है

जो खुदा आगे की बातें या मनुष्यों के दिलों की कमजोरी को न जान सके क्या वह खुदा सर्वज्ञा हो सकता है? कुरान में खुदा को सर्वज्ञ कई स्थानों पर लिखा है कुरान का वह दावा इस प्रमाण से गलत साबित हो गया।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

का-ल इन्नहू यकूलु इन्नहा ब………..।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू ८ आयत ७१)

(खुदा ने कहा) गरज उन्होंने गाय हलाल की और उनसे उम्मेद न थी कि करेंगे।

समीक्षा

इसमें कुरानी अरबी खुदा कहता है कि मुझे उम्मीद न थी कि वे लोग गाय हलाल करेंगे। इससे स्पष्ट है कि खुदा ने अपनी सर्वज्ञता का स्वयं खण्डन करके स्वयं को अल्पज्ञ घोषित कर दिया है। दो एक प्रमाण और भी देखें-

या अय्युहन्नबिय्यु हर्रिजजिल्-………………।।

(कुरान मजीद पारा ९ सूरा अन्फाल रूकू ८ आयत ६५)

ऐ पैगाम्बर! मुसलमानों को लड़ने पर उत्तेजित करो कि अगर तुम में से जमे रहने वाले बीस भी होंगे तो दो सौ पर ज्यादा ताकतवर बैठेंगे अगर तुमसे से सौ होंगे तो हजार काफिरों पर ज्यादा ताकतवर बैठेंगे। ।

अल्आ-न खफ्फफल्ललाहु अन्कुम………..।।

(कुरान मजीद पारा १ सूरा अन्फाल रूकू ८ आयत ६६)

अब खुदा ने तुम पर से अपने हुक्म का (बोझ) हल्का कर दिया और उसने देखा कि तुममें कमजोरी है तो अगर तुम में से जमे रहने वाले सौ होंगे तो दो सौ पर ज्यादा ताकतवर रहेंगे और अगर तुम में से हजार होंगे खुदा के हुक्म से वह दो हजार पर ज्यादा ताकतवर बैठेंगे। अल्लाह उन लोगों का साथी है जो जमे रहते हैं।

समीक्षा

इन आयतों में खुदा को स्पष्ट रूप से अल्पज्ञ बताया गया है। वह मुसलमानों की ताकत का भी सही अन्दाजा नहीं लगा पाया और धोखे में पहले गलत हुक्म दे बैठा। बाद में अपनी गलती को जब समझ पाया तो पहले हुक्म में तरमीम अर्थात् संशोधन किया गया। समझदार लोग ऐसे अल्पज्ञ अरबी खुदा को अपना पूज्य व रक्षक केसे मान सकते हैं?

देखिये कुरान में अन्यत्र भी लिखा है-

व कजालि-क ज- अल्नाकुम्……….।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू १७ आयत १४३)

और ऐ पैगम्बर! जिस किब्ले पर तुम थे हमने उसको इसी मतलब से ठहराया था ताकि हमको मालूम हो जावे कि कौन-कौन पैगम्बर के आधीन रहेगा और कौन उल्टा फिरेगा।

समीक्षा

अरबी खुदा ने इसमें साफ-साफ कहा है कि वह यह नहीं जान पाया था कि कौन-कौन व्यक्ति पैगम्बर के आधीन रहेगा और कौन खिलाफ रहेगा? यह बात खुदा जांच करने के बाद ही जान पाया था । क्या ऐसा खुदा दरअसल वास्तविक खुदा माना जा सकता है?

कुरान समीक्षा : इन्सान को बन्दर बना कर नगद सजा दी

इन्सान को बन्दर बना कर नगद सजा दी

जब हर एक के कार्मों का फैसला कयामत के दिन होने का कुरान का दावा है तो खुदा ने अपने ही उसूल को तोड़कर इन्सान को बन्दर और सुअर क्यों बना दिया? जब खुदा खुद ही अपना कानून तोड़ता है तो उसकी किसी बात पर विश्वास कैसे किया जावे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व लकद् अलिम्तुमुल्लजीनअ्-तदौ………..।।

(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ८ आयत ६५)

तुममें से जिन्होंने हफ्ते के दिन (शनिवार) में ज्यादती की तो हमने उनसे कहा ‘‘बन्दर बन जाओ’’ (ताकि जहां जाओ) दुतकारे जाओ।

समीक्षा

इस आयत में खुदा ने दो बातें बताई हैं, एक तो यह कि कर्मों का फल मनुष्य से बन्दर की योनि में जाकर अर्थात् पुनर्जन्म’ के बाद भोगा गया।

दूसरी यह कि कर्मों का फल मिलने के लिए कयामत अर्थात् फैसले के दिन तक इन्तजार करना ही होगा यह कोई जरूरी नहीं है।

भारत निवासियों का यह प्राचीन सिद्धान्त है कि कर्मों का फल यहीं पर तथा मनुष्य एवं पशु पक्षी कीट-पतंग आदि की योनियों में भोगने को जाना पड़ता है। उसके लिए पृथक कोई स्वर्ग नरक आदि स्थान नियत नहीं है।

कुरान ने इस आयत में उसी बात को स्वीकार किया है तथा अन्यत्र दोजख या जन्नत में जाने तथा कयामत के दिन फैसला होने की बात का खण्डन किया है।

कुरान समीक्षा : खुदा ने गोश्त पकाकर उतारा

खुदा ने गोश्त पकाकर उतारा

खुदा ने गोश्त स्वयं पकाया था या किसी होटल में पकवाया था? खुदा ने अंगूर, रबड़ी, हलवा पूड़ी के थाल क्यों नहीं उतारे थे ? क्या खुदा भी गोश्त खाना पसंद करता है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व अल्लल्ना अलैकुमुल्-गमा-म……….।।

(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ६ आयत ५७)

मैंने तुम पर बादल की छाया की और तुम पर ‘‘मन्न’’ और ‘‘सलवा’’ भी उतारा और हमने जो तुमको पवित्र भोजन दिये है उनको खाओ।

समीक्षा

खुदा पक्षियों को पकड़ के कत्ल करता था उनके पंख व हड्डी नौचकर साफ करता था और मांस को पकाकर अरबी मुसलमानों को खिलाता था। तो क्या इससे खुदा एक बवर्ची जैसा साबित नहीं होता? गोश्त को पकाकर ‘‘सलवा’’ बनाना भी कोई खुदा का पेशा हो सकता है ? अरबी खुदा भी विचित्र आदमी या होटल का मैंनेजर था।

जमीन के बाद सात आसमान बनाये

जमीन के बाद सात आसमान बनाये

खुदा द्वारा सात आसमान बनाये जाने से पहले इस अनन्त पोल स्थान में क्या भरा था और अब कहां गया? यदि कुछ भरा था तो वह कब से था, क्या वह खुदा की ही तरह अनादि था?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

हुवल्लजी ख-ल-क लकुम् मा………….।।

(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ३ आयत २९)

वही है जिसने तुम्हारे लिये धरती की चीजें पैदा की, फिर आकाश की तरफ ध्यान दिया तो सात आसमान हम बार अर्थात् एक के ऊपर एक बना दिये और वह हर चीज से जानकार है।

समीक्षा

यह आयत भी बुद्धि के विरूद्ध है। यदि पहले आकाश नहीं था तो जमीन को कहाँ पर और कैसे बनाया? यदि आकाश को बाद में बनाया गया तो पहले इस शून्य में क्या भरा हुआ था और वह कहाँ गया? यदि परमाणु भरे थे तो उनको इकट्ठा करने पर पहले आकाश उत्पन्न होगा तब बाद में जमीन या अन्य कुछ बनेगा। इस दशा में जमीन बनाने के बाद आकाश बनाने की बात कहना गलत होगा।

आकाश तो अनन्त है, और उस अनन्त के साथ भाग बताना बुद्धि विरूद्ध बात है, यदि हिस्से हो जावेंगे तो वह अनन्त ही रहेगा। वर्तमान विज्ञान आकाश व विश्व को अनन्त मानता है। ‘‘सात आसमानों को हमवार बनाना’’ ऐसा लिखना ही यह साबित करता है कि अरबी खुदा को विद्या नहीं आती थी।