कुरान समीक्षा : कुरान मुहम्मद ने लिखा था

कुरान मुहम्मद ने लिखा था

इस आयत में कुरान सुनाने वाला दूसरा खुदा है या कुरान का लेखक मुहम्मद है यह स्पष्ट किया जावे। दूसरा खुदा कहां रहता है क्या करता है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

तिल्-क आयातुल्लाहि नत्लू हा……..।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू ३३ आयत २५२)

यह अल्लाह की आयतें जो मैं तुमको सच्चाई से पढ़-पढ़कर सुनाता हूं और तुम बिना शक पैगम्बरों में से हो।

समीक्षा

कुरान का दावा है कि उसे बनाने वाला खुदा था, उस आयत में कुरान सुनाने वाला खुदा से दूसरा है जो कहता है कि मैं अल्लाह की आयतें सच्चाई से पढ़कर सुनाता हूं। कुरान दो खुदा मानता है, यह स्पष्ट है अथवा कुरान मुहम्मद ने लिखा था?

7 thoughts on “कुरान समीक्षा : कुरान मुहम्मद ने लिखा था”

  1. Sir ji thoda aql ka istemal karke study karie aur insaf w sachchai ke sath uska khulasa karie girida me aaker aap log kuch bhi galat galat matlab nikalte hai. Wahan aayat sunane wala khuda ka farista (JIBRAIL) tha Jo WAHIY lekar aata tha

    1. m.salman ji
      भाई जान जी हमें बिलकुल अक्ल नहीं है जी | शायद इस्लाम में अकल में दखल देना बताया गया है | यदि अकल में दखल देना बताया गया होता तो ऐसा नहीं बोला जाता जी | चलिए कुछ उदाहरन देकर बात करते हैं जी | शायद हमें ही अक्ल नहीं है | लेख में जो बताया गया है उसे आप छोड़ दो जी | कुरआन की पहली आयत की ही बात करते हैं जिसमे लिखा गया है ” शुरू करता हु अल्लाह के नाम से ” यदि यह अल्लाह की कलाम है तो फिर अल्लाह खुद का नाम नहीं लेता की अल्लाह के नाम से शुरू करता हु इससे भी यह साबित होता है की अल्लाह किसी दुसरे अल्लाह का नाम ले रहा है | इसके अलावा यह अल्लाह कैसा है जिसको यह ज्ञान है की सूरज दलदल में डूब जाता है जबकि अल्लाह सबकुछ जानने वाला है | क्या सूरज दलदल में डूब जाता है | जी बिलकुल हमें ही अक्ल नहीं जी | अल्लाह कैसा है दयालु जो बिना किसी कारण के किसी को रोग बढ़ा देता है किसी का रोग को बिना कारण कम कर देता है | यह अल्लाह का कैसा न्याय है | और यह कैसा आल्लाह है जो सभी दिन न्याय नहीं करता कुछ गिने दिन ही न्याय करता है | यह क्या अल्लाह पर दोष नहीं लगेगा | भाई जान हमें बिलकुल अक्ल नहीं है | तभी तो हम अक्ल नहीं लगाते की ऐसा कही कुरआन में हो सकता है | ऐसा सही में हो सकता है की सूरज दलदल में डूबता हो | उदाहरन कितना दू | इस सबसे यह मालुम होता है की यह किसी अनपढ़ ने नहीं लिखा ? यदि अल्लाह ने लिखा होता तो कभी नहीं बोला जाता की सूरज दलदल में डूबता है और ऐसा कई उदाहरन है | चलिए ज्यादा प्रमाण देना सही नहीं है जी | किसे अक्ल नहीं है यह अब आप खुद अंदाजा लगाये ? अंधविश्वास को छोडो जी और सत्य सनातन वैदिक धर्म की ओर लौटो जी |
      धन्यवाद जी |

      1. क़ुरान जो कह रहा है उसको बदलकर झूठे बातों को पोस्ट कर रहे भाई……
        क़ुरान को समझना अच्छी बात है लेकिन इसे समझने के लिए इसके जानकर से प्रश्न करना होगा न कि हम जैसे फेसबुक पर दो चार लाइन लिखने वालों से ….जैसे किसी बीमारी के सही इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना होगा न कि किसी इंजीनियर या बड़े क़ाबिल प्रोफेसर साहब से , यदि इन लोगों के पास जाएंगे बीमारी की समस्या कहने तो वे कुछ तो बता ही देंगे किन्तु बीमारी को ठीक करने में असमर्थ ही होंगे , यदि इंजीनियर व प्रोफेसर साहब ज़्यादा कोशिश करें तो और बीमारी को बढ़ा ही देंगे (निश्चित रूप से) क्योंकि मेडिकल की पढ़ाई इन लोगों ने नहीं किया है …….!!!
        ठीक ऐसे आप लोग यदि क़ुरान के संदर्भ में झूठी बातें ही लिखना चाहते हैं तो ये आपकी मजबूरी है , आपको ऐसे ही काम के लिए रखा ही गया है या फिर आप खुद को समर्पित ही किये हैं प्रोपगंडा झूठ को फैलाने के लिए , आपके इस कार्य से क़ुरान न तो झूठा साबित हो सकता है और न ही कोई फेर बदल कर किसी बात को छोड़ा या जोड़ा जा सकता है । 1435 वर्ष में कोई एक अक्षर के एक मात्रा में कोई फर्क नहीं कर पाया तो आपलोग किस खेत की मूली हो…???
        बहुत से क़ुरान पर आरोप लगाने वाले ने समझने के बाद आज अपनी ज़िंदगी बदल कर सच को स्वीकार कर लोगों को क़ुरान की सच्चाई को बयान कर रहे हैं , यक़ीन नही तो यूट्यूब पर देख लिजिये कि कैसे क़ुरान को जलाने वाला आज मुसलमान बन कर क़ुरान को आम जनता तक पहुचाने का काम कर रहा है ….!!!!

        1. RYEESUL AZAM
          kripya quran parhe aur hamara diya gaya reference check kare aapko hamari baat satya lagega… ham wahi jaankari dete hain jo pramanit hoti hai… jo quran samajh gaya wah kabhi islaam nahi apnayega…kaafir ko maaro.. dusare majhab ke logo se dosti me karo… aurat khet hoti hai… etc… kai baat hai… is karan hame sikhane ki koshish naa kare aur naa pathakgan ko bataye. yaha ke pathakgan bahut samajhdaar hain. janta sab jaaanti hai… dhanywaad

  2. Real man is real hero

    शमीम – भाईजान बकरीद आने वाली है और आपको हमारे घर पर होने वाली दावत में शरीक होना ही पड़ेगा कोई बहाना नहीं चलेगा।

    योगी – वो सब तो ठीक है मियां पर यह तो बताओ कि बकरीद मनाते क्यों हैं ?

    शमीम – भाईजान बहुत पहले एक हजरत ईब्राहिम हुए थे जिनका अल्लाह पर ईमान बहुत पुख्ता था और जिन्होंने अल्लाह के कहने पर अपनी सबसे प्यारी चीज़ यानि अपने बेटे की कुर्बानी दी थी और अल्लाह ने खुश होके उनके बेटे को फिर ज़िंदा कर दिया था। तो उसी की याद में हम भी अपनी सबसे प्यारी चीज़ की कुर्बानी देते हैं।

    योगी – अच्छा मतलब आप भी अपने बेटे या किसी और करीबी की कुर्बानी देते हो इस दिन ?

    शमीम – लाहौल विला कुव्वत कैसी बातें करते हो भाईजान बेटे की कुर्बानी कैसे दे दें हम ? हम तो किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं इस दिन।

    योगी – क्यों समस्या क्या है इसमें ? अगर आपका ईमान पुख्ता है तो अल्लाह आपके बेटे को फिर ज़िंदा कर देगा।

    शमीम – अरे ऐसा कोई होता है भाईजान।

    योगी – क्यों आपका ईमान पुख्ता नहीं है क्या ?

    शमीम – अरे नहीं भाईजान हमारा ईमान तो एकदम पुख्ता है।

    योगी – तो फिर क्या अल्लाह के इंसाफ पर शुबहा है कि वो बाद में मुकर जाएगा और बेटे को ज़िंदा नहीं करेगा ?

    शमीम – तौबा तौबा हम अल्लाह पर शुबहा कैसे कर सकते हैं ?

    योगी – अल्लाह पर भी भरोसा है। ईमान भी पुख्ता है। फिर बेटे की कुर्बानी क्यों नहीं देते ? या फिर आपको सबसे प्यारा वो जानवर है जिसकी कुर्बानी देते हो ?

    शमीम – नहीं नहीं भाईजान हमें सबसे प्यारा हमारा बेटा ही है। भला बकरीद से कुछ दिन पहले बाजार से खरीदा कोई जानवर कैसे हमें हमारे बेटे से ज्यादा प्यारा हो जाएगा आप ही बताओ ?

    योगी -तो मतलब आप अल्लाह से भी फरेब कर रहे हो। पैसे देकर खरीदे मासूम जानवर को औलाद से भी प्यारा बताकर अल्लाह को उसकी कुर्बानी दे रहे हो। यह तो बड़ी शर्म की बात है ।

    शमीम – छोड़ें जनाब यह आपकी समझ में नहीं आएगा क्योंकि आप काफिर हो। चलते हैं हमारी नमाज़ का वक्त हो गया।

    💥💥💥💥💥

    भाई इसका जवाब जरूर देना प्लीज

  3. OM.
    Sanatan vaidik dharm ki jay ho. bhaiyo bahut achhha laga ape logo ki baate sun ker kuran ke bare me.
    satya akhir satya hi hota hai

    OM

  4. Namaste pyare Dosto

    Main sirif itna puchhna chahta hu ki akhir kuran ka puri duniya k liye kiya
    Sandesh hai plz bataiye ???????

    Hamare dharam main toh kisi k liye nahi kaha jata ki who kafir hai fir islam main dusre dharm k logo ko kafir kiyu kaha jata hai

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