कुरान समीक्षा : इन्सान को बन्दर बना कर नगद सजा दी

इन्सान को बन्दर बना कर नगद सजा दी

जब हर एक के कार्मों का फैसला कयामत के दिन होने का कुरान का दावा है तो खुदा ने अपने ही उसूल को तोड़कर इन्सान को बन्दर और सुअर क्यों बना दिया? जब खुदा खुद ही अपना कानून तोड़ता है तो उसकी किसी बात पर विश्वास कैसे किया जावे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व लकद् अलिम्तुमुल्लजीनअ्-तदौ………..।।

(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ८ आयत ६५)

तुममें से जिन्होंने हफ्ते के दिन (शनिवार) में ज्यादती की तो हमने उनसे कहा ‘‘बन्दर बन जाओ’’ (ताकि जहां जाओ) दुतकारे जाओ।

समीक्षा

इस आयत में खुदा ने दो बातें बताई हैं, एक तो यह कि कर्मों का फल मनुष्य से बन्दर की योनि में जाकर अर्थात् पुनर्जन्म’ के बाद भोगा गया।

दूसरी यह कि कर्मों का फल मिलने के लिए कयामत अर्थात् फैसले के दिन तक इन्तजार करना ही होगा यह कोई जरूरी नहीं है।

भारत निवासियों का यह प्राचीन सिद्धान्त है कि कर्मों का फल यहीं पर तथा मनुष्य एवं पशु पक्षी कीट-पतंग आदि की योनियों में भोगने को जाना पड़ता है। उसके लिए पृथक कोई स्वर्ग नरक आदि स्थान नियत नहीं है।

कुरान ने इस आयत में उसी बात को स्वीकार किया है तथा अन्यत्र दोजख या जन्नत में जाने तथा कयामत के दिन फैसला होने की बात का खण्डन किया है।

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