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कुरान समीक्षा : सूरज चक्कर खाता है

सूरज चक्कर खाता है

सूरज का चक्कर खाना विज्ञान से गलत है। इसे सही साबित करें?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व सख्ख-र लकुमुशम-स वल्क………….।।

(कुरान मजीद पारा १३ सूरा इब्राहीम रूकू ५ आयत ३३)

और सुरज व चाँद जो चक्कर खाते हैं एक दस्तुर पर तुम्हारे काम में लगाया और रात दिन को तुम्हारे अधिकार में कर दिया।

समीक्षा

सूरज को घूमते हुए विज्ञान विरूद्ध है। खुदा बेचारे को इतनी भी जानकारी नहीं थी जो कि बड़े ही ताज्जुब की बात है।

कुरान समीक्षा : खुदा के पास असल किताब है

खुदा के पास असल किताब है

खुदा ने असली कि किताब दुनिया में क्यों नहीं भेजी ताकि लोग उससे फायदा उठा सकते ? यह नकली किताब क्यों भेज दी है? उस असल किताब से खुदा क्या फायदा उठाता है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

यम्हुल्लाहु मा यशाउ व युस्बितु…………।।

(कुरान मजीद पारा १३ सूरा राद रूकू ६ आयत ३९)

खुदा जिसको चाहे मिटा देता है और (जिसको चाहता है) कायम रखता है और उसी के पास असल किताब है।

समीक्षा

अरबी खुदा भी किताबें पढ़ता है और डायरी रखता है ताकि झंझटों व परेशानियों के कारण सब कुछ भूल न जावे। जिसकी याद्दाश्त कमजोर हो उसे हर बात लिखकर रखना बिल्कुल मुनासिब ही है।

नोट- बादामपाक ओर शँखपुष्पी खाने से भी स्मरणशक्ति अर्थात् याद्दाश्त तेज हो जाती है, यह सभी को फायदा करता है। खुदा चाहे तो इस्तेमाल कर सकता है और फायदा उठा सकता है, इनके प्रयोग करने से किसी रियेक्श्न काभी डर नहीं है, क्योंकि ये प्योर आयुर्वेदक औषधियाँ हैं।

अगर ये कारगार न हों तो- ‘‘स्वमूत्र चिकित्सा पद्धति’’ का भी सहारा लिया जा सकता है । वह भी प्राकृतिक शीरप हैं इसको प्रयोग करने के बाद हमारा दावा है कि उसकी याद्दाश्त तेज हो जायेगी और ये रजिस्टर आदि रखने से सदा-सदा के लिए छुटकारा मिल जायेगा।’’

‘‘लाजपत राय अग्रवाल’’

(वैदिक मिशनरी)

कुरान समीक्षा : आसमानों को ऊँचा खड़ा किया

आसमानों को ऊँचा खड़ा किया

पढ़े-लिखे मौलाना इस आयत का खुलासा करें कि (तम्बू की तरह) सात आसमान कैसे ऊंचे खड़े किये गये हैं?

अल्लाहुल्लजी र-फ-अस् समावाति………।।

(कुरान मजीद पारा १३ सूरा राद रूकू १ आयत २)

अल्लाह वह है जिसने आसमानों को बिना किसी सहारे के ऊंचाबनाकर खड़ा किया, तुम देख रहे हो फिर तख्त पर जा विराजा।

समीक्षा

इस आयत में खुदा का आना जाना और फिर आसमान अनाकर तख्त पर जा बैठना लिखा है, इससे स्पष्ट है कि खुदा हाजिर नाजिर अर्थात् सर्वव्यापक नहीं है आसमान जब कोई ठोस पदार्थ नहीं है तो ‘‘उसका ऊंचा और बे सहारा बनाकर खड़ा करना’’ ऐसा कहना कुरान बनाने वाले को पूरा नासमझ साबित करता है।

कुरान समीक्षा : अरबी में ही कुरान क्यों उतारा गया?

अरबी में ही कुरान क्यों उतारा गया?

क्या इससे स्पष्ट नहीं है कि खुदा का उद्देश्य कुरान उतारने का केवल अरब वालों को डराना मात्र था?

यह दुनियाँ के लिये होता तो उसे मुल्क में वहीं की भाषा में बनाया गया होता ताकि सारी दुनियाँ के लोग उसे पढ़ व समझ सकते।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

इन्ना अन्जल्नाहु कुर-आनन्…………….।।

(कुरान मजीद पारा १२ सूरा यूसुफ रूकू १ आयत २)

हमने कुरान को अरबी भाषा में उतारा है ताकि तुम समझ सको।

समीक्षा

जब कि कुरान का उद्देश्य ही मक्का और उसके आसपास के लोगों को डराना था तो उसे अरबी में ही उतारना ठीक था ताकि वे उसे समझ सकें। पर यह नहीं बताया कि असली कुरान खुदा के पास किस भाषा में लिखा हुआ रखा है?

शायद वह संस्कृत में ही होगा क्योंकि प्राचीनतम् भाषा संस्कृत ही है। निम्न प्रमाण भी देखें।

अन् तकूलू इन्न्मा उन्जिलल्………..।।

(कुरान मजीद पारा ८ सूरा अन्आम रूकू २० आयत १५६)

ऐ मुशरिकीन अरब! हमने यह इसलिये उतारी है कि कहीं यह न कह बैठो कि हमसे पहले बस दो ही गिरोहों पर किताब उतरी थी और हम तो उसके पढ़ने पढ़ाने से बिल्कुल बेखबर थे।

इस प्रमाण से भी स्पष्ट है कि कुरान मक्का और उसके आसपास या मुशरिकीन अरब वालों को इस्लाम में फांसने के लिए खुदा के नाम से बनाया गया था ।

वास्तव में वह संसार के लिये नहीं बना था, न सभी को उसे मानना चाहिये।

कुरान समीक्षा : अप्राकृतिक व्यभिचार और हजरत लूत की बेटियाँ

अप्राकृतिक व्यभिचार और हजरत लूत की बेटियाँ

गुन्डों का सामना करने के बजाय अपनी बेटियाँ व्यभिचार को पेश करना, उस जमाने के लोगों में इगलामबाजी अर्थात् लौंडेबाजी का जारी होना, इन गन्दी बातों को कुरान में लिखवा कर खुदा ने लोगों को कौन सी नसीहत दी है? क्या खुदा यह सिखाना चाहता था कि ऐसे मौके पर दूसरे लोग अपनी निर्दोष बेटियाँ गुन्डों को दे दिया करें और उनका मुकाबिला न किया करें? आखिर यह गन्दी कथा कुरान में क्यों दी गई?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व लम्मा जा-अत् रूसुलुना लूतन्………..।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ७ आयत ७७)

और जब हमारे फरिश्ते लूत के पास आये उनका आना उनको बुरा लगा और उनके आने की वजह से तंग दिल हुए और कहने लगे यह तो बड़ी मुसीबत का दिन है।

व जा-अहू कौमुहू युह्रअू-न इलैहि………….।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ७ आयत ७८)

लूत जाति के लोग दौडे-दौड़े लूत के पास आये और यह लोग पहले से ही बुरे काम किया करते थे। लूत कहने लगे भाईयों! यह मेरी बेटियां हैं यह तुम्हारे लिये ज्यादा पवित्र हैं। तो खुदा से डरो और मेरे मेहमानों में मेरी बदनामी न करो। क्या तुम में कोई भला आदमी नहीं ?

कालू ल-कद् अलिम्-त मा लना………..।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ७ आयत ७९)

समीक्षा

अरब में अप्राकृतिक व्यभिचार बहुत प्रचलित था, यह इससे प्रगट है कि लोग खुले आम स्त्रियों को पसन्द न करके सुन्दर लड़कों को ही चाहते थे।

पैगम्बर लूत का अपनी बेटियों के गुन्ड़ों के लिए पेश करना और उनका लड़कियों के बजाय सुन्दर लड़कों को मांगना इसका सबूत है। खुदाई किताब कुरान में इस प्रकार की गन्दी बातों का उल्लेख होना खुदा के लिये शोभा की बात है या बदनामी की? यह हर कोई समझ सकता हैं। अरबी खुदा भी कैसा था जो ऐसी भद्दी बातों को भी उसमें लिखना नहीं भूला। खुदा भी सुन्दर लड़के अर्थात् गिलमें जन्नत में पेश करेगा।

कुरान समीक्षा : एक व दस सूरतें बनाने की शर्त

एक व दस सूरतें बनाने की शर्त

खुदा एक सूरत पेश करने की पहली शर्त पर कायम न रह कर दस सूरतों की शर्त क्यों पेश कर बैठा? इसका रहस्य खोल कर बताया जावे? पहले दस की शर्त लगातार फिर घटाकर एक की रखना तो ठीक था पर एक से एक दम बढ़ाकर दस कर देना रहस्य पूर्ण है। यह रहस्य खोला जावे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

अम् यकूलूनफ्तराहु कुल् फअ्-तू……….।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा यूनुस रूकू ४ आयत ३८)

क्या वह कहते हैं कि इसने कुरान खुद (मुहम्मदव ने) बना लिया? (तू कह दे कि) यदि सच्चे हो तो ‘‘एक’’ऐसी ही सूरत तुम भी बना लाओ और खुदा के सिवाय जिसे चाहो बुला लो।

अम् यकूलून फतराहु कुल् फअ्तू………….।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू २ आयत १३)

क्या काफिर कहते हैं कि उसने कुरान को अपने दिल से बना लिया है, तो इनसे कहो कि अगर तुम सच्चे हो तो तुम भी इसी तरह की बनाई हुई ‘‘दस’’सूरतें ले आओ और खुदा के सिवाय जिसको तुमसे बुलाते बन पड़े बुला लो अगर तुम सच्चे हो।

समीक्षा

पहले खुदा ने एक सूरत बनाने की शर्त लगाई थी। पर जब किसी ने सूरत बनाकर पेश कर दी होगी तो झट खुदा ने दस सूरतें बनाने की शर्त बदल दी। अरबी खुदा अपनी जुबान का भी पक्का नहीं था। उसे अपनी बात बदलने में कुछ भी शर्म व संकोच नहीं होंता था। आखिर अरबी खुदा ही हो तो था, दुनियां का खुदा तो था नहीं! जब खुदा ने देखा कि लोग दस सूरतें भी बनाने में लगे हुए हैं और लगातार यह ऐतराज करते हैं कि ‘‘कुरान खुदाई ने होकर मुहम्मद उसें खुद बना रहा है’’तो उसने यह कहकर अपनी जान छुड़ाई कि-

अम् यकूलूनफ्तराहु कुल् इनि……….।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ३ आयत ३५)

क्या तुमको झुठलाते हैं और तुम पर ऐतराज करते है और कहते हैं कि कुरान को इसने खुद बना लिया है (तुम) उनको जवाब दो कि) उनको जवाब दो कि अगर कुरान मैंने खुद बना लिया है तो मेरा गुनाह मुझ पर है और जो गुनाह तुम करते हो उस पर मेरा कुछ जिम्मा नहीं।

समीक्षा

हर परेशान व्यक्ति यही कहता है कि जो परेशानी खुदा ने मुहम्मद से कहला कर बात खत्म कर दी थी। गलत बात का आखिर समर्थन कब तक किया जा सकता था ?

कुरान समीक्षा : खुदा नहीं चाहता कि सब मुसलमान बनें

खुदा नहीं चाहता कि सब मुसलमान बनें

जब खुदा ही इस्लाम का प्रचार नहीं चाहता है तो कुरान व इस्लाम का प्रचार करने वाले मुसलमान व अनकी संस्थाये कुफ्र करने से काफिर क्यों नहीं हैं?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व लौ शा-अ रब्बु-क ल आम- न………..।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा यूनुस १० आयत १९)

और अय पैगम्बर् तुम्हारा परवर्दिगार चाहता तो जितने आदमी जमीन की सतह में हैं सबके सब ईमान ले आते। तो क्या तुम लोगों को मजबूर कर सकते हो कि वह ईमान ले आवें।

व मा का-न लिन्फ्सिन् अन् तुअ्मि-न……..।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा रूकू यूनुस १० आयत १००)

किसी शख्श के हक में नहीं कि बिना हुक्म के ईमान ले आवे।

समीक्षा

जब तक खुदा नहीं चाहेगा कोई भी मुसलमान न बनेगा, यदि खुदा इस्लाम का प्रचार चाहेगा तो फल भर में दुनियां को मुसलमान बना देगा तो किसी भी मौलवी को इस्लाम का प्रचार नहीं करना चाहिए क्योंकि खुदा दुनियां को मुसलमान बनाता ही नहीं चाहता है या यह मानना चाहिए कि ‘अंगूर खट्टे हैं, वाली कहावत के अनुसार खुदा की ताकत के बाहर है कि- ‘‘सभी को मुसलमान बना सके’’।

कुरान समीक्षा : खुदा दिलों पर मुहर कर देता है

खुदा दिलों पर मुहर कर देता है

खुदा यदि लोगों के दिलों पर मुहर न किया करे तो उसका क्या नुकसान होगा?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

सुम्- म ब-अस्ना मिम्बअ्-दिही……….।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा यूनुस रूकू ९ आयत ७४)

हम बेहुक्म लोगों के दिलों पर मुहर कर दिया करते हैं।

समीक्षा

प्रश्न यह है कि दिलों पर मुहर यदि खुदा बेहुक्म बनने से पहिले कर देता है तब तो उन लोगों का कोई दोष व नहीं है खुदा ही गुनाहगार है और यदि बाद को करता है तो बेकार रहा क्योंकि लोग अपनी मर्जी से बेहुक्म बनते हैं। खुदा की मुहर से नहीं।

कुरान समीक्षा : हर बात रोशन किताब में लिखी है

हर बात रोशन किताब में लिखी है

जिस किताब में ज्ञान-विज्ञान की हर बात हो वह रोशन किताब कौन सी है? यदि वह खुदा के पास छिपी हुई रखी है तब उसकी प्रशंसा करना बेकार है, क्योंकि दुनियाँ को उससे कोई लाभ नहीं। यदि दुनियाँ में है तो उस विलक्षण किताब का जरूर पता बताया जावे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व मा तक्नु फीव शअ्निव-व…………।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा यूनुस रूकू ७ आयत ६१)

न जमीन में और न आसमान में और जर्रे से छोटी चीज हो या बड़ी? सभी बातें रोशन किताब में लिखी हुई हैं।

व कालल्लजी-न क-फरू ला………..।।

(कुरान मजीद पारा २२ सूरा सबा १ आयत ३)

जर्रा से छोटी और जर्रा से बड़ी जितनी चीजे हैं रोशन किताब में सब लिखी हुई हैं।

समीक्षा

यह रोशन किताब कुरान तो हो नहीं सकता क्योंकि उसमें हर चीज का जिक्र नहीं है। तब यह कौन सी किताब है और कहां है? यदि खुदा के पास लिखी है तो उसका जिक्र करना बेकार है। यदि दुनियां में है तो वह किताब ‘‘वेद’’ही हो सकते हैं क्योंकि समस्त विद्याओं के भण्डार वही हैं । रोशनी का अर्थ ज्ञान या प्रकाश होता है वेद शब्द का अर्थ भी ज्ञान है। नाम से भी रोशन किताब का अर्थ वेद ही बनता है। कुरान के भक्तों को इस पर विचार करना चाहिए।

कुरान समीक्षा : कुरान पुरानी खुदाई किताबों की तफसील अर्थात् व्याख्या है

कुरान पुरानी खुदाई किताबों की तफसील अर्थात् व्याख्या है

खुदा ने पुरानी किताबों की तफसील रूपी कुरान क्यों लिखा? कोई नई उत्तम किताब ज्ञान-विज्ञान की क्यों नहीं लिखवाई? पुरानी आल्हा को गाना खुदा के लिए कोई खूबी की बात नहीं है। न उससे खुदा की शाम बढ़ी है। पुरानी किताबों को नई जुबान में खुदा ने निकल कर दिया है यह इस आयत से स्पष्ट है? ऐसा तो हर कोई अक्लमन्द या शायर कर सकता था।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व मा का-ना हाजल् कुर्आनु………..।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा यूनुस रूकू ४ आयत ३७)

यह किताब अर्थात् कुरान इस किस्म की नहीं कि खुदा के सिवाय और कोई इसे अपनी तरफ से बना लावे। बल्कि जो (किताबें) इससे पहले की हैं उनकी तस्दीक करती है और उन्हीं की तफसील है। इसमें सन्देह नहीं कि यह खुदा की ही उतारी हुई है ।

समीक्षा

जब कि कुरान पुरानी किताबों की तफसील अर्थात् व्याख्या मात्र तो असली किताबों के रूप में पुरानी किताबों का महत्व बढ़ जाता और कुरान का दर्जा घटिया बन जाता है क्योंकी इसमें जो कुछ भी है पुरानी किताबों की ही व्याख्या है।