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कुरान समीक्षा : कुरान में खुदा ने आयतें बदल डालीं

कुरान में खुदा ने आयतें बदल डालीं
खुदा ने अपनी पहली उतारी हुई आयतों को गलत अनुभव करके बाद में उन्हें अनेक स्थानों पर बदल डाला था इससे क्या यह स्पष्ट नहीं है कि खुदा बिल्कुल ठीक बात को भी एक बार में नहीं लिख सकता था। उसे अपनी पिछली बातों में लगातार संशोधन करना पड़ता था। इससे दो बातें साफ हो जाती हैं पहली यह कि खुदा दूरन्देश नहीं था। दूसरी यह कि मौजूदा कूरान पहली बार में उतरा हुआ पूरा सही कुरान नहीं हैं यह संशोधित कटा, छटा और फटा कुरान होने के कारण अप्रमाणिक है।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व इजा बद्ला आ- सतम् मका-न…………।।
(कुरान मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू १४ आयत १०१)
जब हम एक आयत को बदलकर उसकी जगह दूसरी आयत उतारते हैं।
मा नन्सख् मिन् आयतिन् औ……….।।
(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ११ आयत १०६)
और जो हुक्म उतरता है उसको वही खूब जानता है।
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अरबी खुदा जब भी अपनी पहली आयतों में गलती पाता था तो उनको कुरान में से निकालकर नई आयतें बनाकर घुसेड़ देता था। अपने हुक्मों में वह हमेशा तरमीम अर्थात् संशोधन करता रहता था, यह बात ऊपर के प्रमाण से स्पष्ट है। इसीलिए हम कहते हैं कि मौजूदा कुरान वह असली कुरान नहीं है जो पहली बार में उतरी हुई आयतों वाला था। यह तो कटा, छटा और फटा अधूरा संशोधित संस्करण है अतः अमान्य है। पटना की खुदाबख्श लाइब्रेरी में आज भी ४० सिपारे वाला कुरान रखा हुआ है जबकि मौजूदा कुरान में केवल ३० सिपारे ही मिलते हैं। इससे भी वर्तमान कुरान अमान्य हो जाता है।

कुरान समीक्षा : सबका एक गिरोह बनाना खुदा को मन्जूर न था

सबका एक गिरोह बनाना खुदा को मन्जूर न था
जब खुदा ही गुमराह करने वाला है तो जाँच-पड़ताल भी उसी से होगी भले आदमी तूने लागों को गुमराह करके जो गुनाह किया है उसकी तुझे क्यों न सजा दी जावे?
इन्सान से पूछना महज पागलपन होगा क्योंकि खुदा ने उसे गुमराह किया था इन्सान ने खुदा कोई गलती नहीं की थी?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व लौ शा-अल्लाहु ल-ज-अ……..।।
(कुरान मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू १३ आयत ९३)
खुदा चाहता तो तुम सभी का एक गिरोह बना देता, मगर वह जिसको चाहता है गुमराह करता है और जिसको चाहता है सुझाता है और जो कुछ तुम करते रहे हो उसकी तुमसे पूछताछ होगी।
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जब खुदा ने ही नेक व बदमाशों को हिन्दू, मुसलमानों और यहूदियों के गिरोह अलग-अलग बनाकर उनको आपस में लड़ाया है तो उनसे उनके कर्मों की पूछ करने का उसे क्या हक है? बदमाशों के गिरोह बदमाशी करेंगे ही, वे बनाये ही इसलिये गए हैं।

कुरान समीक्षा : कयामत करीब है

कयामत करीब है

कयामत करीब है, उसमें ‘करीब’ से क्या मतलब था? कुरान को बने १५०० वर्ष बीतने पर भी कयामत करीब नहीं आई अतः कुरान की यह आयत गलत साबित हो गई।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व लिल्लाहि गैबुस्समावाति वल्………………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू ११ आयत ७७)

कयामत का वाके होना ऐसा है कि जैसा आंख का झपकना, बल्कि वह करीब है। बेशक अल्लाह हर चीज पर शक्तिशाली है।

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अब से १४०० वर्ष पहले यह आयत लिखी गई थी। कि कयामत बहुत करीब आ लगी है। परन्तु आज तक इतना समय बीतने पर भी कयामत नहीं आ पाई है वास्तव में सृष्टि उत्पत्ति और प्रलय के रहस्य को अरबी खुदा और उसके पैगम्बर दोनों ही नहीं समझ पाये थे। अभी तो जमीन की आधी उमर भी नहीं बीती है। जमीन की उम्र चार अरब बत्तीस करोड़ साल की है जिसमें से अभी तक दस अरब सत्तानवे करोड़ उन्तीस लाख उन्नचास हजार चौहत्तर साल बीते हैं शेष अभी भोगने के लिए बाकी हैं उसके बाद प्रलय आवेगी, यह वैदिक सिद्धान्त सर्वथा सत्य है।

कुरान समीक्षा : पिछली जिन्दगी का विश्वास करो

पिछली जिन्दगी का विश्वास करो

जब सबका पहली ही बार जन्म हुआ है तो पिछली जिन्दगी की बात कहना क्या खुदा का धोखा देना नहीं है? जबकि कुरान पुनर्जन्म कमो नहीं मानता है।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

इलाहुकुम् इलाहु व्वाहिदुन्……….।।

(कुराना मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू ३ आयत २२)

लोगो! तुम्हारा एक खुदा है सो जो लोग पिछली जिन्दगी’’ का विश्वास नहीं करते उनके दिल इन्कारी हैं और वह घमण्डी हैं।

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जब खुदा ने पहली बार ही लोगों को पैदा किया है तो उनको पिछली जिन्दगी का विश्वास न करने पर घमण्डी बताना बेवकूफी की बात साबित होती है। हां! हिन्दुओं के उसूल से जीवों का सदैव पुनर्जन्म होता रहता है पुनर्जन्म की बात मानने से ही पिछली जिन्दगी की बात का हल निकल सकता है। सारे विचार से कुरानकार पुनर्जन्म के सिद्धान्त को ही यहां प्रकट कर रहा है।

नोट- यहाँ पर कुरान के भाष्यकार मौलाना फतेह मुहम्मद खाँ साहब ने अपने तर्जूमे में ‘‘पिछली जिन्दगी’’ की जगह ‘‘आखिरत’’ कर दिया है।

‘‘लाजपज राय अग्रवाल’’

कुरान समीक्षा : शैतान की बनाई आयतों के चन्द नमूने

शैतान की बनाई आयतों के चन्द नमूने

कुरान का यह दावा कि ‘‘कुरान जैसी आयतें कोई नहीं बना सकता है’’ क्या इस बात से गलत नहीं हो जाता है कि कुरान में शैतान ने ही अनेक आयतें बोलकर इस दावे को गलत साबित कर दिया है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

का-ल लम् अ-कुल्लि-अस्जु-द………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू ३ आयत ३३)

शैतान बोला- मैं ऐसे शख्स को सिजदा नहीं करूंगा जिसे तूने खनखनाते सड़े हुए गारे से पैदा किया, जिसकी मिट्टी तूने मुझसे ही मगंवाई थी।

का-ल रब्बि बिमा अरवैतनी……..।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू ३ आयत ३९)

शैतान ने कहा-ऐ मेरे परवर्दिगार जैसे तूने मेरी राह मारी वैसे ही मैं भी दुनिया इन सबको बहारें दिखाऊँगा और उन सबको राह से बहाऊँगा।

इल्ला अिबाद-क मिन्-हुमुल्……..।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू ३ आयत ४०)

…….सिवाय उनके जा तेरे चुने हुए बन्दे हैं।

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कुरान का दावा है कि कोई भी मनुष्य या जिन्न या फरिश्ता कुरान के जैसी एक भी सूरत नहीं बना सकता है, चाहे सब मिलकर भी बनाने की कोशिश करें। देखो-

कुल-ल अनिज्-त-म-अतिल्…………।।

(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनीइस्त्राईल रूकू १० आयत ८८)

पर अकेले शैतान ने कितनी ही आयतें बनाकर दिखा दीं जो कुरान में दी हुई हैं। इस प्रकार कुरान का दावा गलत साबित हो गया।

कुरान समीक्षा : जमीन में पहाड़ गाड़े गये

जमीन में पहाड़ गाड़े गये

पहाड़ों को जमीन से प्रथक बनाकर उन्हें (कीलों की जगह) जमीन में गाढ़ा गया, यह साबित करें?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

वल् अर-ज म-दद्नाहा व अल्कैना………..।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू २ आयत १९)

और हमने जमीन को फैलाया और हमने उसमें पहाड़ गाढ़ दिये।

व अल्का फिल्अर्जि रवासि-य……………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू २ आयत १५)

और उसी ने जमीन पर पहाड़ गाड़ दिये, ताकि जमीन झुकने न पावे।

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गाढ़ी जाने वाली वस्तु जिसमें गाढ़ी जाती है उससे पृथक होती है तभी उसे गाढ़ा जा सकता है किन्तु पहाड़ों का विकास जमरी के अन्दर से ऊपर को होता है।

अतः उनका गाढ़ना बताना अज्ञानता की बात है और गलत है। अरबी खुदा इतना भी नहीं जानता था यह आश्चर्य की बात है।

कुरान समीक्षा : तारे टूटना शैतान को मारना है

तारे टूटना शैतान को मारना है

तारे भी टूटते हैं, यह भी विज्ञान से साबित करें?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व हफिनाहा मिन कुल्लि शैतानिर……….।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू २ आयत १७)

औरहर निकाले हुए शैतान से उसकी रक्षा की।

इल्ल मनिस्त-र-कस्सम-अ………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू २ आयत १८)

मगर चोरी छिपा कोई बात सुन भागो तो दहकता हुआ अंगारा एक तारा इसे खदेड़ने को उसके पीछे होता है।

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उल्कापात को शैतान को मारने के लिए तारे टूटना बताना कुरानी खुदा की खगोल विद्या से अज्ञानता प्रगत करता है।

कुरान समीक्षा : आसमान में बुर्ज हैं

आसमान में बुर्ज हैं

आसमान में बुर्ज होने की बात विज्ञान द्वारा साबित करें?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व ल-कद् ज- अल्ना फिस्समाइन………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू २ आयत १६)

….और हमने ही आसमान में बुर्ज बनवाये।

समीक्षा

आसमान में कोई बुर्ज नहीं है। कुरान की यह बात बे सर पैर की है।

कुरान समीक्षा : फरिश्ते उतरने की बात गलत है

फरिश्ते उतरने की बात गलत है

खुदा ने फरिश्तों को भेजने की बात पहले कही थी यहां अब इन्कार करता है। दोनों में से खुदा का कौन सा दावा गलत है और क्यों?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

लौ मा तअ्तीना बिल्मलाइकति…………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू १ आयत ७)

(लोगों ने कहा) ऐ शख्स अगर तू सच्चा है तो फरिश्तों को हमारे सामने क्यों नहीं बुलाता?

मा नुनज्जिलुल्-मलाई-क-त………….।।

(कुरान पारा १४ सूरा हिज्र रूकू १ आयत ८)

सो हम फरिश्तों को नहीं उतारा करते मगर फैसले के लिये………।

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मुहम्मद साहब कहते थे कि कुरान जिब्रील फरिश्ते के द्वारा खुदा उनके पास भेजता है तो लोगों ने चुनौती दी कि हमारे सामने फरिश्तों को बुलाओ क्योंकि फरिश्ते वाली बात गलत थी।

अतः बजाय मुहम्मद के खुदा ने उनकी वकालत करके जवाब दे दिया कि हम फरिश्ते नहीं भेजते हैं।

इससे जिब्रील द्वारा कुरान आने की बात स्वयं गलत साबित हो गई मुहम्मद का दावा खदा ने झूठा साबित कर दिया।

कुरान समीक्षा : इब्राहीम का नमाज पढ़ना (गलत है)

इब्राहीम का नमाज पढ़ना (गलत है)

इतिहास से साबित करें कि सूरतें फातिहा (नमाज) इब्राहीम के जमाने में मुहम्मद से हजारों साल पेश्तर अर्थात् पहले भी मौजूद थी व इब्राहीम मुसलमान था? देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व इज् का-ल इब्राहीमु रब्बिज्…………..।।

(कुरान मजीद पारा १३ सूरा इब्राहीम रूकू ६ आयत ३५)

……….और जब इब्राहीम ने दुआ की कि अय मेरे परवरदिगार!

रब्बिज-अल्नी मुकीमस्सलाति व……….।।

(कुरान मजीद पारा १३ सूरा इब्राहिम रूकू ६ आयत ४०)

ऐ मेरे परवर्दिगार! मुझको और मेरी सन्तान को ताकत दे कि मैं नमाज पढ़ता रहूँ और मेरे परवर्दिगार! मेरी दुआ कबूल कर।

समीक्षा

इब्राहीम यहूदी था जौ मौहम्मद से हजारों साल पहले हुआ था। नमाज सूरते फातिहा से पढ़ी जाती है जो कि कुरान की सर्व प्रथम सूरत है जो मुहम्मद के काल में कुरान बनते समय बनी थी देखो-

व ल-कद् आतेना-क सब्अम्मिनल्………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू ५ आयत ८७)

अतः नमाज का प्रचलन इब्राहीम से नहीं हुआ था बल्कि मौहम्मद के काल से प्रारम्भ हुआ।