नोट : इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आर्यमंतव्य टीम या पंडित लेखराम वैदिक मिशन उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. |
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‘जय श्रीराम’ का नारा लगाने वाले नीतीश के मंत्री के खिलाफ फतवा जारी
मंत्री खुर्शीद अहमद
काजी ने फतवा जारी करते हुए मंत्री खुर्शीद को इस्लाम से खारिज और मुर्तद (विश्वास नहीं करने वाला) करार दिया है. मुफ्ती के मुताबिक जो शख्स जय श्री राम का नारा लगाये और कहे कि मैं रहीम के साथ-साथ राम की भी पूजा करता हूं और मैं हिन्दुस्तान के सभी धार्मिक स्थानों पर मत्था टेकता हूं. ऐसा शख्स इस्लाम से खारिज और मुर्तद है.
जदयू कोटे से मंत्री बने खुर्शीद ने इस फतवे के जवाब में कहा कि अगर बिहार के विकास और सामाजिक सौहार्द के लिये मुझे जय श्री राम के नारे लगाने पड़े तो मैं कभी इससे पीछे नहीं हटूंगा. खुर्शीद ने बिहार विधानसभा पोर्टिको के साथ-साथ मीडिया के कैमरे के सामने भी जय श्रीराम के नारे लगाए थे.
इस दौरान उन्होंने कैमरे के सामने हाथ में बंधे रक्षासूत्र भी दिखाये था. खुर्शीद विधानसभा के बाहर जब मीडिया से इस मामले पर बात कर रहे थे तो उस दौरान भी उन्होंने ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाया था. इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक भी कहा कि महागठबंधन से अलग होने के लिए उन्होंने मनोकामना मंदिर में मन्नत भी मांगी थी. मीडिया के कैमरे के सामने उन्होंने अपने हाथ में बंधा कलेवा भी दिखाया. नीतीश की नई कैबिनेट में खुर्शीद को अल्पसंख्यक मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है.
खुर्शीद उर्फ फिरोज पश्चिमी चंपारण जिले के सिकटा विधानसभा के विधायक हैं. उन्होंने कहा था कि तेजस्वी और लालू परिवार से बिहार को छुटकारा मिल गया है.
लाइव टीवी डिबेट में एंकर से बोले मौलाना, हिंदुओं के घर में भी पढ़ेंगे नमाज
VIDEO : लाइव टीवी डिबेट में एंकर से बोले मौलाना, हिंदुओं के घर में भी पढ़ेंगे नमाज
कार्यक्रम की एंकर लावनी विनीत ने मुस्लिमों द्वारा सार्वजिनक स्थल पर नमाज पढ़ने और हिंदुओं को सिर्फ मंदिरों में पूजा करने के लेकर सवाल उठाए थे।
सुदर्शन न्यूज चैनल ने ‘हिंदुओं को समानता कब?’ मुद्दे पर टीवी डिबेट कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें हिंदुओं की धार्मिक समानता और धार्मिक आजादी को लेकर तीखी बहस हुई। कार्यक्रम की एंकर लावनी विनीत ने मुस्लिमों द्वारा सार्वजिनक स्थल पर नमाज पढ़ने और हिंदुओं को सिर्फ मंदिरों में पूजा करने के लेकर सवाल उठाए। दरअसल डिबेट की शुरुआत एक वीडियो से हुई जिसमें मुंबई एयरपोर्ट पर कुछ मुस्लिम कथित तौर पर नमाज पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में तीन लोग है जो बीच में खड़े अधिकारियों और अन्य लोगों से बहस करते हुए नजर आ रहे हैं। इसी मुद्दे पर एंकर और डिबेट के पेनालिस्ट अशरफ जिलानी के बीच मुस्लिमों के इस व्यवहार को लेकर तीखी नोकझोंक हुई। गौरतलब है कि कार्यक्रम का मुख्य केंद्र बिंदु मुस्लिमों द्वारा मस्जिद के बाहर सड़कों, पार्कों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने के एतराज को लेकर था, जिसके जवाब में मुस्लिम धर्मगुरु अशरफ गिलानी ने एंकर से यहां तक कह डाला कि वो बाहर ही नहीं एंकर के घर में भी नमाज पढ़ेंगे। धर्म गुरु ऐसा कई बार कहा। जिसपर चैनल के सीएमडी और चीफ एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने कड़ा एतराज जताया है। मामले में उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘लाइव डिबेट में मौलाना ने सुदर्शन की एंकर को उसके घर में जबरन घुस कर नमाज पढ़ने की दी धमकी।’
सुरेश चव्हाणके के इस ट्वीट पर कई यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं भी दी हैं। कई यूजर्स ने चैनल के चीफ पर भी पर निशाना साधा है। एक यूजर अनुपम लिखते हैं, ‘गुरु जी आप ने तो मुस्लिमों का बायकॉट कर रखा है। फिर भी इन्हें लाइव टीवी डिबेट में बुलाते हो और जब ये कुछ बोले तो आप परेशान हो जाते हो।’ भूषण लिखते हैं, ‘ऐसा सिर्फ वहीं हो सकता है जहां हिंदू बहुसंख्यक हो। क्या कोई हिंदू पाकिस्तान में बोल सकता है कि वो मुस्लिमों के घर में पूजा करेगा।’ स्वामी लिखते हैं, ‘मौलाना भूल रहे है कि अब भारतीय लोकतंत्र इस्लामिक गुलामी से साल 2014 में आजाद हो गया है। अब कानून सब पर बराबर लागू होगा।’ एक यूजर लिखते हैं, ‘मुस्लिमों को थोड़ी ढील दोगे तो यही होने वाला है। यही उनकी सच्चाई है जो सामने आ गई।’ अशोक उपाध्याय लिखते हैं, ‘मुस्लिम सिर्फ धमकियों का सहारे जिंदा हैं।’ भोपाली लिखते हैं, ‘वाह क्या बात है। लोग घर में घुसकर मारने की धमकी देते हैं और ये साहब घर में घुसकर नमाज पढ़ने की धमकी दे रहे हैं।’ एके शुक्ला मौलाना के इस बयान को शर्मनाक करार देते हुए लिखते हैं, ‘ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।’
हरियाणा: हिन्दू लड़कों को नमाज पढ़ने के लिए किया मजबूर, मुस्लिम शिक्षकों पर गिरी गाज
हरियाणा: हिन्दू लड़कों को नमाज पढ़ने के लिए किया मजबूर, मुस्लिम शिक्षकों पर गिरी गाज
हरियाणा के मेवात में दो हिंदू बच्चों को जबरन नमाज पढ़वाने का आरोप है। यह आरोप वहां के एक स्कूल के तीन टीचरों पर लगा है।
हरियाणा के मेवात में दो हिंदू बच्चों को जबरन नमाज पढ़वाने का आरोप है। यह आरोप वहां के एक स्कूल के तीन टीचरों पर लगा है। जिसके बाद दो टीचरों को सस्पेंड कर दिया गया है और एक का ट्रांसफर हो गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, वहां मेवात विकास एजेंसी (एमडीए) कुछ सरकारी स्कूल चलाती है। उनमें से ही एक स्कूल में ऐसा हुआ। जिस स्कूल में ऐसा होने की बात कही जा रही है उसमें 207 बच्चे पढ़ते हैं। 22 जुलाई को हिंदू परिवार ने डिप्टी कमिश्नर मणि राम शर्मा के पास जाकर शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद उन तीन टीचरों पर स्कूल को एक्शन लेना पड़ा।
टीचर इंचार्ज नवीन शक्ति के मुताबिक, स्कूल के दूसरे बच्चों ने भी बताया कि टीचर दोनों हिंदू बच्चों को इस्लाम के तौर-तरीकों से रहने और नमाज पढ़ने का दबाव बनाते थे। स्कूल के बाकी बच्चों के मुताबिक, उन तीन टीचरों ने दोनों हिंदू बच्चों से धर्म परिवर्तन करने के लिए भी कहा था। जिन दो बच्चों द्वारा यह आरोप लगाया गया है उनमें से एक आठवीं और दूसरा नौंवी क्लास में है।
हदीस : हजामत: मुहम्मद के केश
हजामत: मुहम्मद के केश
कुरबानी के बाद तीर्थयात्रा का अनुष्ठान पूरा हो जाता है, और हाजी हजामत बनवा लेता है और नाखून कटवा लेता है तथा तीर्थयात्रा के वस्त्र उतार देता है। हजामत दाहिनी तरफ से शुरू की जानी चाहिए। अनम बतलाते हैं कि रसूल-अल्लाह ”जमरा गये और उन्होंने उस पर कंकड़ फैंके। उसके बाद वे मीना में अपने डेरे पर गये और जानवर की कुरबानी दी। फिर उन्होंने एक नाई को बुलवाया और पना दाहिना बाजू उसकी तरफ करके हजामत करने दी। उसके बाद बायां बाजू घुमाया। फिर उन्होंने वे बाल लोगों को दे दिये“ (2291)। वे बाल इस्लाम के लिए गरिमामय आराध्य बन गये।
तीर्थयात्रा पूरी हो चुकी है। फिर भी तीर्थयात्री को मक्का में तीन दिन और बिताने चाहिए ताकि अनुष्ठान के हड़बड़ी भरे चार दिनों के बाद वह आराम कर सके। मक्का छोड़ने के पहले उसे एक बार फिर काबा के सात चक्कर लगाने चाहिए और मीना के शैतानी खंभों पर सात बार पत्थर फैंकने चाहिए। घर लौटने के पहले मुहम्मद के मकबरे पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उसे मदीना जाना चाहिए।
author : ram swarup
लोकैषणा से दूर
लोकैषणा से दूर
कीर्ति की चाहना कोई बुरी बात नहीं, परन्तु यश की चाहना और बात है और मान-प्रतिष्ठा की भूख दूसरी बात है। जब नेता लोग प्रतिष्ठा पाने के लिए व्याकुल हो जाते हैं तो सभा-संस्थाएँ पतनोन्मुख हो जाती हैं। नेताओं का व्यवहार कैसा होना चाहिए यह निम्न घटना से सीखना चाहिए।
पण्डित श्री गङ्गाप्रसादजी उपाध्याय वैदिक धर्म प्रचार के लिए केरल गये। चैंगन्नूर नगर में उनके जलूस के लिए लोग हाथी लाये।
पूज्य उपाध्यायजी ने हाथी पर बैठने से यह कहकर इन्कार कर दिया कि यहाँ तो लोग निर्धनता के कारण ईसाई बन रहे हैं और आप मुझे हाथी पर बिठकार यह दिखाना चाहते हैं कि मैं बड़ा
धनीमानी व्यक्ति हूँ या मेरा समाज बड़ा साधन-सज़्पन्न है। लोकैषणा से दूर उपाध्यायजी पैदल चलकर ही नगर में प्रविष्ट हुए।
मोसुल से भागने के लिए ISIS आतंकी ने धरा महिला का रूप, बस दाढ़ी-मूंछ साफ करना भूल गया
मोसुल से भागने के लिए ISIS आतंकी ने धरा महिला का रूप, बस दाढ़ी-मूंछ साफ करना भूल गया
मोसुल में इस्लामिक स्टेट (ISIS) की हार के बाद यहां छुपे आतंकवादी अब भागने की कोशिश कर रहे हैं। न पकड़े जाने के लिए ये आतंकवादी कई तरह की रणनीति बना रहे हैं। इनमें से कुछ तरीके तो काफी दिलचस्प हैं। अभी हाल ही में इराकी फौज ने एक ऐसे आतंकवादी को पकड़ा जो कि औरत का वेश बनाकर भागने की कोशिश कर रहा था। इराकी सेना की आंखों में धूल झोंकने के लिए इस जिहादी ने महिलाओं की तरह मेकअप किया। काजल-लिपस्टिक लगाई, पाउडर लगाया, लेकिन उससे बस एक चूक हो गई। वेश बदलने की इस मशक्कत में इस आतंकवादी ने कई तरह की चालाकियां दिखाई, लेकिन अपनी दाढ़ी और मूंछ को शेव करना भूल गया। इसी दाढ़ी और मूंछ ने उसे पकड़वा दिया।
डेली मेल ने अपनी एक खबर में इस दिलचस्प वाकये की जानकारी दी है। यह ISIS आतंकवादी मोसुल से भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी योजना सफल नहीं हो सकी। महिलाओं के कपड़े पहनकर और पूरा मेकअप करने के बाद भी वह अपनी दाढ़ी-मूंछ साफ करने जैसी बुनियादी बात भूल गया और पकड़ा गया। इराकी फौज ने उसे गिरफ्तार करने के बाद उसकी तस्वीर जारी की है। तस्वीर में आप इस आतंकवादी के चेहरे पर पुता हुआ पाउडर, आंखों में काजल व आईशैडो और होंठों पर लगा लिपस्टिक देख सकते हैं। महिलाओं की तरह दिखने के लिए उसने अपने चेहरे पर कृत्रिम तिल बनाने की भी कोशिश की। इतना सब करने के बाद वह अपनी दाढ़ी और मूंछ हटाना भूल गया। उसकी यह गलती उसपर भारी पड़ी और इराकी सेना ने उसे पकड़ लिया।
इराकी सेना ने महिलाओं का वेश धरकर भागने की कोशिश कर रहे कई अन्य ISIS आतंकियों की भी तस्वीरें जारी की हैं। कुछ आतंकियों ने महिलाओं की तरह दिखने के चक्कर में पैडेड ब्रा भी पहनी हुई है। 2014 में मोसुल फतेह करने के बाद ही ISIS के आतंकी सरगना अबू-बकर बगदादी ने खुद को दुनियाभर के मुसलमानों का नया खलीफा घोषित किया था। उसने मोसुल को अपनी राजधानी बनाया। अक्टूबर 2016 में मोसुल पर दोबारा कब्जा करने के लिए इराकी फौज ने अमेरिकी सेना के नेतृत्व में यहां एक सैन्य अभियान शुरू किया। 6 महीने तक चले लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार इराकी सेना को मोसुल में जीत मिली। ISIS की तो हार हो चुकी है, लेकिन इसके कई आतंकवादी अब भी जिंदा हैं और आम लोगों के बीच मिलकर और अपनी पहचान छुपाकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। एक समय में बेहद खूबसूरत और संपन्न माना जाने वाला मोसुल अब मलबे के ढेर में तब्दील हो गया है।
हदीस : पीना (पान)
पीना (पान)
मजहबी अनुष्ठान के अंग के रूप में मुहम्मद ने जमजम के कुएं का पानी भी पिया था। अब्द अल-मुतालिब के कबीले (जो मुहम्मद का अपना कबीला भी था) में आकर वे बोले-”ऐ बनी अब्द-अल मुतालिब ! पानी खींचों। यदि मुझे आशंका न होती कि दूसरे लोग पानी पिलाने का यह हक तुम से छीन लेंगे, तो मैं भी तुम्हारे साथ मिलकर पानी खींचता। इस पर उन्होंने मुहम्मद को एक बाल्टी दी और मुहम्मद ने उससे पानी पिया“ (2803)। पैगम्बर के जीवनीकार कातिब अल-वाकिदी हमें आगे एक ऐसा ब्यौरा देते हैं, जो (पैगम्बर के प्रति) श्रद्धाविहीन लोगों द्वारा गंदा माना जायेगा। मुहम्मद ने कुछ पानी लिया, फिर पानी के बर्तन में अपना मुंह धोया और आदेश दिया कि उसमें जो पानी बचा हो, वह कुएं में वापस डाल दिया जाए। कुएं को आशीष देने का भी उनका एक तरीका था-कुएं में थूकना। अहादीस में कई ऐसे कुओं का उल्लेख है (तबकात किताब 2, पृष्ठ 241-244)।
वे अपने प्रिय पेय नवीज को जो एक सौम्य पेय था भूले नहीं थे। यद्यपि उन्हें जो नवीज दिया गया, वह अनेक हाथों द्वारा गंदला कर दिया गया था, तब भी उन्होंने साफ और शुद्ध नवीज पीने का प्रस्ताव रद्द करते हुए, उसे ही पी लिया। हर पीढ़ी के कट्टर तीर्थयात्रियों ने इस रिवाज को जारी रखा है।
author : ram swarup
आनन्दमुनि जी का सौजन्य
आनन्दमुनि जी का सौजन्य
सन् 1983 ई0 को आर्यसमाज काकड़वाड़ी में आर्यसमाज स्थापना दिवस मनाया गया। हमें भी आमन्त्रित किया गया। महात्मा श्री आनन्दमुनिजी ही प्रधान थे। वे स्वंय एक प्रभावशाली वक्ता
और विचारक थे। उन्हें सभा में बोलना ही था, परन्तु आपने थोड़ेसे समय में बहुत मार्मिक बातें कहते हुए यह कहा कि ‘‘आज हमारे मुज़्य वक्ता तो प्राध्यापक राजेन्द्रजी जिज्ञासु हैं। मैं अपना शेष समय उन्हीं को देता हूँ ताकि हम सबका अधिक लाभ हो।’’
यह ठीक है कि वहाँ कुछ सज्जनों ने सभा का संचालन करनेवालों की व्यवस्था में गड़बड़ी कर दी। हमें तो अपना समय ही पूरा न मिल पाया। आनन्दमुनिजी का बचा हुआ समय भी और लोग ले- गये, परन्तु आनन्दमुनिजी की पवित्र भावना हम सबके लिए अनुकरणीय है कि समाज के हित में नये-नये लोगों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
‘जन्नत की कुंवारी हूरों के लिए’ जेब में अंडरगार्मेंट्स रख आत्मघाती हमला करने जाते हैं ISIS जिहादी
‘जन्नत की कुंवारी हूरों के लिए’ जेब में अंडरगार्मेंट्स रख आत्मघाती हमला करने जाते हैं ISIS जिहादी
सीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ चल रही जंग से जुड़ी एक खबर आपको हैरान कर देगी। सेना के अधिकारियों ने यहां ISIS के लिए लड़ रहे आतंकवादियों से जुड़ी एक ऐसी बात का खुलासा किया, जिसे जानकर आपको ताज्जुब होगा। मिलिटरी अधिकारियों ने बताया कि कई आत्मघाती हमलावरों के कपड़ों के अंदर बनी जेबों में महिलाओं के अंतर्वस्त्र मिले। सीरियाई सेना द्वारा गिरफ्तार किए गए ऐसे कई जिहादियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे इन अंडरगारमेंट्स को उन कुंवारी हूरों के लिए ले जा रहे हैं, जो उन्हें जन्नत में मिलेंगी। इससे मालूम चलता है कि इन आतंकवादियों का इस तरह ब्रेनवॉश किया जाता है कि वे ‘जन्नत में हूरों’ से मिलने की कल्पना करते हुए आत्मघाती हमला करने जैसे दुस्साहस को अंजाम देते हैं।
सीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ जारी जंग में लड़ रहे कई सीरियाई कमांडर्स और जनरल्स का कहना है कि 30 दिन के अंदर इस जंग का फैसला हो जाएगा। उनके मुताबिक, ISIS को यहां हराने के लिए अब केवल 30 दिन और चाहिए। इन जनरल्स का कहना है कि यहां ISIS की हालत उस पके हुए केले की तरह हो गई है, जो कि अपने छिलके से बाहर आ गया है। इनके मुताबिक, अब केवल ISIS का बाहरी छिलका ही बचा है, बाकी जो था वह सब खत्म हो गया।
सीरिया की सेना यहां रूस के साथ मिलकर ISIS के खिलाफ मोर्चा संभाल रही है। इराक के मोसुल में हारने के बाद यहां ISIS के पास रक्का आखिरी मजबूत गढ़ बचा है। ISIS के ऊपर जैसे-जैसे हार हावी हो रही है, वैसे-वैसे उसकी ओर से किए जाने वाले आत्मघाती हमलों में तेजी आई है। अल-नुसरा ISIS का ही एक धड़ा है, लेकिन सेना का मानना है कि अल-नुसरा और अल-कायदा के आतंकवादी ज्यादा बेहतर तरीके से प्रशिक्षित होते हैं। साथ ही, उन्हें आधुनिक हथियार और ऐंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल चलाना भी काफी अच्छे से आता है। अल-नुसरा और ISIS को लेकर सेना की भावना अलग-अलग है। इदलिब में लड़ रहे अल-नुसरा के लिए उनके मन में एक तरह की जिज्ञासा है, जबकि ISIS के प्रति उनके मन में घृणा है।