Category Archives: आचार्य श्रीराम आर्य जी

कुरान समीक्षा : सजा या इनाम खुदा की मर्जी पर है

सजा या इनाम खुदा की मर्जी पर है

बिना वजह किसी को इनाम या सजा देने वाले मजिस्ट्रेट या खुदा को यदि लोग अत्याचारी या पागल कहें तो वे गलत क्योंकर होंगे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अह्लल्-किताबि कद् जा……..।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ३ आयत १८)

खुदा जिसको चाहे माफ करे और जिसको चाहे सजा दे और आसमान जमीन और कुछ जमीन और आसमान के बीच में है सब अल्लाह ही के अखितयार में है और उसी की तरफ लौटकर जाना है।

समीक्षा

बिना वजह किसी को सजा देने व किसी को भी माफ करने वाला मजिस्ट्रेट या अरबी खुदा, वह कोई भी हो? पागल और जालिम ही माना जावेगा, ‘‘मुन्सिफ’’ अर्थात् न्यायकत्र्ता नहीं।

कुरान समीक्षा : ईसाई काफिर हैं

ईसाई काफिर हैं

खुदाई किताब ‘‘इन्जील’’के हुक्म का पालन करने वाले काफिर हैं या किताब ‘‘कुरान’’ को मानने वाले काफिर हैं? जबकि कुरान ने दोनों किताबें खुदाई मानी हैं।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

ल-कद् क-फ-रल्लजी-न कालू………….।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ३ आयत १७)

जो लोग मरियम के बेटे मसीह को खुदा का बेटा कहते हैं, वे बेशक काफिर हैं……।।

समीक्षा

इंजील के अनुसार ‘‘मसीह खुदा का बेटा था’’ कुरान के अनुसार इंजील मानने वाले ‘‘काफिर’’ हैं। दोनों खुदाई किताबों अर्थात् इंजील व कुरान में से कौन सी झूठी है?

कुरान समीक्षा : खुदा की शरारत

खुदा की शरारत

लोगों में बुराई पैदा करना शराफत का काम है या शैतानियत का? जो खुदाई किताब लोगों को बुरे रास्ते पर डाले उससे भलाई की आशा कैसे की जा सकती है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व मिनल्लजी-न कालू इन्ना नसारा……।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ३ आयत १४)

……और जो लोग अपने को ईसाई कहते हैं, हमने वचन लिया था, तो जो कुछ शिक्षा दी गई थी उससे फायदा उठाना भूल गये फिर हमने उनमें दुश्मनी और ईर्ष्या कयामत के दिन तक के लिये डाल दी और आखिरकार खुदा उनको उनके किये का बदला देगा, जो कुछ वे लोग करते थे।

समीक्षा

अरबी खुदा का काम हमेशा शैतानियत का ही रहा है उसे तो ईर्ष्या द्वेष मिटाकर लोगों को भलाई की और लगाना था न कि उनमें कयामत तक के लिए बुराई घुसेड़ दी। अरबी खुदा और शैतान में उनके कर्मों की दृष्टि से क्या फर्क रह गया?

कुरान समीक्षा : खुदा को कर्ज दो तो गुनाह माफ हो जायेंगे

खुदा को कर्ज दो तो गुनाह माफ हो जायेंगे
बतावें खुदा को किस व्यापार या योजना के लिए कर्ज लेने की जरूरत आ पड़ी है और यदि कर्ज दिया भी जाये तो वह मारा नहीं जावेगा उसकी जमानत व गारन्टी कौन लेगा?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व ल-कद् अ-ख-जल्लाहु……….।।
(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायददा रूकू ३ आयत १२)
खुशदिली से खुदा को कर्ज देते रहो तो हम जरूर तुम्हारे गुनाह तुमसे दूर देंगे तथा तुम्हे बहिश्त में दाखिल कर देंगे।
समीक्षा
पैसे वालों को खुदा ने गुनाह माफी का आसान रास्ता बता दिया है, पर गरीबों की मौत है। न उन पर पैसा होगा न वे जन्न की हूरों गिलमों के मजे उड़ा सकेंगे। खुदा को भी कर्ज की जरूरत पड़ जाती है, अजीब बात है। शायद अरबी खुदा भी गरीब आदमी होगा! ऐसा खुदा के द्वारा कर्ज मांगने से प्रतीत होता है।

कुरान समीक्षा : ईसा मसीह खुदा का बेटा नहीं था

ईसा मसीह खुदा का बेटा नहीं था

खुदा की यह घोषणा अपनी बनाई किताब इन्जील १ यूहन्ना ४-९ की घोषणा के विरूद्ध है जिसमें लिखा है कि परमेश्वर ने अपने इकलौते पुत्र को जगत में भेजा कि हम उसके द्वारा जीवन पायें।

ईसा को इन्जील में ‘‘खुदा का इकलौता बेटा’’ बताया है और कुरान में इसका खण्डन किया है। बतावे दोनों में खुदा की कौन सी किताब झूठी है और क्यों?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अह्लल् किताबि ला तरलू………।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा निसा रूकू २३ आयत १७१)

मरियम के बेटे ‘‘ईसा’’ न खुदा थे और न खुदा के बेटे….. मान जाओ, तुम्हारा भला होगा। अल्लाह एक है वह इस लायक नहीं कि उसके कोई औलाद हो।

समीक्षा

पहली खुदाई किताब इंजील में ‘‘ईसा खुदा का इकलौता बेटा था।’’(देखो यून्ना ३-१६) में ऐसा लिखा है और इस अरबी खुदा की किसाब कुरान में उसका खण्डन किया गया है।

दोनों में सो कौन सच्चा है? पाठक निर्णय करें। खुदाई किताबों में भी परस्पर विरोध का घोटाला है।

कुरान समीक्षा : खुदा ने हलाल को हराम कर दिया

खुदा ने हलाल को हराम कर दिया
कुरान पारा २६ सूरे काफ रूकू २ आयत २८ मेंख्खुदा ने घोषण की है ‘‘मेरे यहाँ बात नहीं बदली जाती है।’’ और इस स्थल पर खुदा ने अपना हुक्म बदल डाला था इससे खुदा का झूंठा होना साबित नहीं होता है। खुदा जवान का पाबन्द क्यों नहीं था?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
फ बि.. जुल्मिम् मिनल्लजी………।।
(कुरान मजीद पारा ६ सूरा निसा रूकू २२ आयत १६०)
अन्त में यहूदियों की शरारत की वजह से हमने पाक चीजें उनके लिये हलाल थीं उन पर हराम कर दीं और इस वजह से कि वे अक्सर खुदा की राह से लोगों को रोकते थे।
समीक्षा
अरबी खुदा अपनी बात का भी पक्का नहीं था। वह चिड़ कर अपने कानून में जब चाहे तबदीली कर डालता था। दुनियां का कोई भी मजिस्ट्रेट अपने हुक्म को इस तरह नहीं बदलता है, पर अरबी खुदा तो निराला ही मजिस्ट्रेट था।

कुरान समीक्षा : ईसा को सूली नहीं लगी थी

ईसा को सूली नहीं लगी थी
(इन्जील का खण्डन)
खुदा ने अपनी किताब ‘‘इन्जील’’ का खण्डन करके गुनाह किया है या अपनी शान बढ़ाई है? यह परस्पर विरोध दोनों किताबों में क्यों है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व कौलिहिम् इन्ना क- तल्नल्-………….।।
(कुरान मजीद पारा ६ सूरा निसा रूकू २२ आयत १५७)
…..और उनके इस कहने की वजह से कि हमने मरियम के बेटे ईसा-मसीह को जो रसूल थे कत्ल कर डाला, और न तो उन्होंने उनको कत्ल किया और न उनको सूली पर ही चढ़ाया, मगर उनको ऐसा ही मालूम हुआ और वे लोग इस बारे में मतभेद डालते हैं, तो इस मामले में शक में पड़े हैं। उनको इस बात की खबर तो है नहीं सिर्फ अटकल के पीछे दौड़े चले जा रहे है। यकीनन् ईसा को लोगों ने कत्ल नहीं किया।
समीक्षा
इंजील को कुरान ने खुदाई किताब माना है और उसकी तस्दीक अनेकों स्थानों पर की है। उनमें मरकुस- युहन्ना आदि कई अध्यायों में ईसा को सूली देने का उल्लेख है। इन्जील की रचना ईसा के ही शिष्यों द्वारा मुहम्मद से लगभग कई सौ वर्ष पूर्व की गई थी। उसकी बात ईसा के मामले में कुरान की अपेक्षा अधिक माननीय है कुरान की कल्पना गलत है।

कुरान समीक्षा : काफिरों को दोस्त मत बनाओ

काफिरों को दोस्त मत बनाओ
क्या संसार में अशान्ति कुरान की इसी शिक्षा का परिणाम नहीं है? क्या प्रजा में घृणा फैलाने वाली किताब भी खुदाई हो सकती है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
या अय्युहल्लजी-न आमून ला………..।।
(कुरान मजीद पारा ५ सूरा निसा रूकू १८ आयत १४४)
अय ईमान वालो! तुम ईमान वालों को छोड़कर काफिरों का दोस्त मत बनाओ। क्या तुम जाहिर खुदा का अपराध अपने ऊपर लेना चाहते हो।
समीक्षा
मुसलमान यदि काफिरों अर्थात् गैर मुस्लिमों से इतनी घृणा करने लगेंगे और वे उनका विश्वास नहीं करेंगे, तो इसका परिणाम यह होगा कि उसकी प्रतिक्रिया वश दूसरे लोग भी मुसलमानों से घृणा करने लगेंगे और वे उनका विश्वास नहीं करेंगे।
कुरान हिन्दू मुसलमानों में हमेशा घृणा व दोष के बीज बोता रहा है। सावधान! मुसलमानों और हिन्दुओं ! कुरान की इस जहरीली आयज से होशियार रहो, कुरान की शिक्षा मुल्क के अनम ओ-चैन में जबर्दस्त बाधक है।

कुरान समीक्षा : खुदा सच्चा है या धोखेबाज?

खुदा सच्चा है या धोखेबाज?

बतावें कि खुदा को सच्चा मानें या धोखेबाज मानें और कुरान में परस्पर विरूद्ध बातें क्यों लिखी हैं? क्या इससे कुरान की इज्जत में बट्टा नहीं लगता और वह अविश्वसनीय साबित नहीं हो जाता है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

वल्लजी-न आमनू व……..।।

(कुरान मजीद पारा सूरा निसा रूकू २७आयत १२२)

…..और अल्लाह से बढ़कर बात का सच्चा कौन है?

इन्नल् मुनाफिकी-न युखादि………।।

(कुरान मजीद पारा ५ सूरा निसा रूकू २० आयत १४२)

काफिर खुदा को धोखा देते हैं हालांकि खुदा उन्हीं को धोखा दे रहा है।

समीक्षा

ऊपर दो आयतों में से एक में खुदा को ‘‘सच्चा’’ और दूसरी में उसें ‘‘धोखेबाज’’ बताया है। दोनों बातें एक दूसरे के खिलाफ हैं। खुदा का कौन सा गुण ठीक माना जावे?

कुरान समीक्षा : कल्मा पढ़ने वाले सब गुनहगार हैं

कल्मा पढ़ने वाले सब गुनहगार हैं

जब कलमा कुरान में नहीं है और मौजूदा कलमा मुहम्मद की शिरकत वाला होने से कुरान के विरूद्ध है तो उसे पढ़ने वाले क्यों काफिर नहीं माने जाने चाहिए। क्या बता सकते हैं कि कुरान में खुदा ने कलमा क्यों नहीं दिया है जबकि बेकार की सैकड़ों आयतें उसमें लिख दी हैं?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

इन्नल्ला-ह ला यरिफरू अंय्युश……….।।

(कुरान मजीद पारा ५ निसा रूकू १७ आयत ११६)

यह गुनाह तो अल्लाह माफ नहीं करता कि उसके साथ कोई शरीक ठहराया जाये और इससे कम जिसको चाहे माफ करे, और जिसने अल्लाह का साझी ठहराया वह दूर भटक गया।

व अन्नल्- मसाजि-द लिल्लाहि………।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा जिन्न रूकू १ आयत १८)

…..और मस्जिदें सब खुदा की हैं खुदा के साथ किसी को न पुकारो।

समीक्षा

मुसलमानों को कल्मा ‘लाइलाह इल्लिल्लाह मुहम्मद रसूलिल्लाह’ सारे कुरान में कहीं भी एक स्थान पर इस शक्ल में नहीं दिया गया है। एक स्थान से ‘‘लाइलाह इल्लिल्लाह’’ और दूसरें स्थान से ‘‘मुहम्मद रसूलिल्लाह’’को लेकर अर्थात् उसे जोड़कर कल्मा बना लिया गया है यदि खुदा को यह कल्मा अर्थात मुहम्मद की खुदा के साथ शिरकत अर्थात् शामिल करना मंजूर होती तो वह पूरा कल्मा कुरान में एक ही जगह पर लिखा देता। बल्कि खुदा ने तो साफ-साफ ऊपर ऐलान किया है कि खुदा हर्गिज माफ नहीं करेगा।

खुदा ऐसे लोगों को अर्थात् मुसलमानों को घोर पापी मानता है। अतः मौजूदा कल्मा नहीं बोलना चाहिए, वह कुरान के खिलाफ है। उपरोद्र कुरान पारा ५ सूरा निसा रूकू १७ आयत ११६ में ही लिखा है कि- ‘‘खुदा के साथ शरीफ ठहराने वाला हरगिज माफ नहीं किया जावेगा।’’