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कुरान समीक्षा : खुदा की शरारत

खुदा की शरारत

लोगों में बुराई पैदा करना शराफत का काम है या शैतानियत का? जो खुदाई किताब लोगों को बुरे रास्ते पर डाले उससे भलाई की आशा कैसे की जा सकती है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व मिनल्लजी-न कालू इन्ना नसारा……।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ३ आयत १४)

……और जो लोग अपने को ईसाई कहते हैं, हमने वचन लिया था, तो जो कुछ शिक्षा दी गई थी उससे फायदा उठाना भूल गये फिर हमने उनमें दुश्मनी और ईर्ष्या कयामत के दिन तक के लिये डाल दी और आखिरकार खुदा उनको उनके किये का बदला देगा, जो कुछ वे लोग करते थे।

समीक्षा

अरबी खुदा का काम हमेशा शैतानियत का ही रहा है उसे तो ईर्ष्या द्वेष मिटाकर लोगों को भलाई की और लगाना था न कि उनमें कयामत तक के लिए बुराई घुसेड़ दी। अरबी खुदा और शैतान में उनके कर्मों की दृष्टि से क्या फर्क रह गया?