कुरान समीक्षा : सजा या इनाम खुदा की मर्जी पर है

सजा या इनाम खुदा की मर्जी पर है

बिना वजह किसी को इनाम या सजा देने वाले मजिस्ट्रेट या खुदा को यदि लोग अत्याचारी या पागल कहें तो वे गलत क्योंकर होंगे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अह्लल्-किताबि कद् जा……..।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ३ आयत १८)

खुदा जिसको चाहे माफ करे और जिसको चाहे सजा दे और आसमान जमीन और कुछ जमीन और आसमान के बीच में है सब अल्लाह ही के अखितयार में है और उसी की तरफ लौटकर जाना है।

समीक्षा

बिना वजह किसी को सजा देने व किसी को भी माफ करने वाला मजिस्ट्रेट या अरबी खुदा, वह कोई भी हो? पागल और जालिम ही माना जावेगा, ‘‘मुन्सिफ’’ अर्थात् न्यायकत्र्ता नहीं।

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