मनुष्य की आयु निश्चित है या नहीं? है तो कितनी?

भारत में करोड़ों लोग ऐसा मानते हैं, कि हर व्यक्ति की मृत्यु कब, कहाँ, कैसे होगी, वो परमात्मा ने निश्चित कर रखी है। हम उसको बिलकुल घटा-बढ़ा नहीं सकते। जिस दिन हमारी मौत जहाँ लिखी है, वहीं पर होगी और उसी तरीके से होगी, जैसी भगवान ने निश्चित कर रखी है। यह बात गलत है। कारण किः- स वेदों में लिखा है कि आयु घटती है और बढ़ती है। वेदों में लिखा है कि मनुष्य की आयु फ्लेक्सिबल है। कोई मरने का दिन, समय, स्थान पहले से निर्धारित नहीं है। स संध्या का एक मंत्र आप रोज बोलते होंगे – ”जीवेम् शरदः शतम्, भूयश्च शरदः शतात्।” हे प्रभु ! हम सौ वर्ष तक, और सौ वर्ष से अधिक भी जिएं। … Continue reading मनुष्य की आयु निश्चित है या नहीं? है तो कितनी?

क्या सोचने में दोष होने से, व्यक्ति सुख से जीना चाहने पर भी, सुख से नहीं जी सकता?

हाँ, यह बिल्कुल ठीक बात है। अगर सोचने में दोष है, सोचना ठीक से नहीं आता तो आप कितना ही सुख से जीना चाहें, इच्छा आपकी कुछ भी हो, लेकिन सुख से नहीं जी सकते। सोचने को पहले ठीक करना पड़ेगा। स जिसका सोचने का ढंग ठीक है, वो सुखी है। और जिसका सोचने का ढंग गलत है, वो दुःखी है। स प्रश्न उठता है कि – सोचने का सही ढंग क्या है? उत्तर है- वही तीन शब्द “कोई बात नहीं”। आपने ‘गीता सार’ पढ़ा होगा कि- ”क्या हो गया, उसने तुम्हारा क्या छीन लिया, जो कुछ लिया, यहीं से लिया और जो कुछ दिया, यहीं पर दिया, तुम क्या लाये थे, जो तुम्हारा खो गया, तुम्हारा क्या चला गया, … Continue reading क्या सोचने में दोष होने से, व्यक्ति सुख से जीना चाहने पर भी, सुख से नहीं जी सकता?

परीक्षा में सफलता के 101 सूत्र : डॉ त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रिय

परीक्षा  पूर्व पढ़े चलो पढ़े चलो चलता हुआ सतयुग है। उठकर खड़ा हुआ त्रेता है। करवट बदलता द्वापर है। सोता हुआ कलयुग है। तुम सतयुग हो।।1।। परीक्षा कोर्स के विषयों में सर्वव्यापकता का नाम है। जो विषयों में जितना जितना सर्वव्यापक है वह उतने उतने अंक पाएगा। शत प्रतिशत अंक पाना असंभव नहीं है।।2।। शत प्रतिशत कोर्स से अधिक भी तुम पढ़ सकते हो। शत प्रतिशत से अधिक पढ़ने से अंक सहजतः अधिक मिलते हैं।।3।। पच्चीस पचहत्तर सिद्धान्त से पढ़ो। पहली बार पूरी पुस्तक पढ़ो। दूसरी बार पूरी पुस्तक पढ़ते समय सार सार पच्चीस प्रतिशत पेंसिल से रेखांकित कर लो। भविष्य में सार सार पढ़ो।।4।। सार सार का सार संक्षेप करीब पचास प्रतिशत निकालो जो पूरी पुस्तक का मात्र साढ़े बारह … Continue reading परीक्षा में सफलता के 101 सूत्र : डॉ त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रिय

पंडित काशीनाथ शास्त्री

  ओ३म पण्डित काशीनाथ शास्त्री डा. आशोक आर्य पण्डित काशीनाथ शास्त्री आर्य समाज के उच्चकोटि के लेखकों व प्रचारकों में से एक थे । आप अपने जीवन का एक एक पल आर्य समाज के प्रचार व प्रसार के लिए ही लगाया करते थे । आप का जन्म गांव कोडा जहानाबाद जिला फ़तेहपुर में दिनांक १ मई १९११ इस्वी को हुआ था । आपके पिता श्री रघुनाथ जी थे । पण्डित जी के पिता जी अनुरूप ही द्रट सिधान्तवादी द्रट समाजी थे । पिता के विचारों का ही आप पर प्रभाव था , जिसके कारण आप न केवल आर्य हुए बल्कि सिद्धान्त वादी आर्य समाजी हुए तथा आर्य समाज के लिए कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहते थे । … Continue reading पंडित काशीनाथ शास्त्री

Destiny Improvement in Veda

Destiny Improvement in Veda Atharv Ved 19.43  सौभाग्य के लिए ऋषि: ब्रह्मा: , देवता: अग्न्यादयो: मंत्रोक्ता: In this Atharva Veda Sukt  consists of 8 mantras. The first line “यत्र ब्रह्मविदो यान्ति दीक्षया तपसा सह” is the common refrain line of all the 8 mantras.  This line makes a very unique statement “One who follows the right path and observes the correct disciplines in life and develops the right temperament in his consciousness, is blessed with all the physical bounties of health wealth and prosperity in the world.” This faith in power of prayers has been a very strong tradition in all the religions of the world. Modern science however has always been skeptic about such ‘blind’ faith in power of prayers and thoughts. … Continue reading Destiny Improvement in Veda

स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती

स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती  -डा. अशोक आर्य स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्ती जी आर्य समाज के तेजस्वी संन्यसी थे । आप उच्चकोटि के वक्ता थे तथा उतम विद्वान व विचारक थे । सन १८९० मे आप का जन्म एक क्रष्क परिवार में हुआ । आप आरम्भ से ही मेधावी होने के साथ ही साथ विरक्त व्रति के थे । आप उच्च शिक्शा न पा सके गांव में ही पाट्शाला की साधारण सी शिक्शा प्राप्त की । आरम्भ से ही विरक्ति की धुन के कारण आप शीघ्र ही घर छोड कर चल दिए तथा काशी जा पहुंचे । यहां पर आप ने स्वामी क्रष्णानन्द जी से संन्यास की दीक्शा  ली  । संन्यासी होने पर भी आप कुछ समय पौराणिक विचारों में रहते हुए इस … Continue reading स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती

पण्डित कालीचरण शर्मा

पण्डित कालीचरण शर्मा -डा. अशोक आर्य वैसे तो विश्व की विभिन्न भाषाओं का प्रचलन इस देश में बहुत पहले से ही रहा है किन्तु आर्य समाज के जन्म के साथ ही इस देश में विदेशी भाषाओं को सीखने के अभिलाषी , जानने के इच्छुक लोगों की संख्या में अत्यधिक व्रद्धि देखी गई । इस का कारण था विदेशी मत पन्थों की कमियां खोजना । इस समय आर्य समाज भारत की वह मजबूत सामाजिक संस्था बन चुकी थी , जो सामाजिक बुराईयों तथा कुरीतियों और अन्ध विश्वासों  को दूर करने का बीडा उटा चुकी थी । इस का लाभ विधर्मी , विदेशी उटाने का यत्न कर रहे थे । इस कारण इन के मतों को भी जनना आवश्यक हो गया था … Continue reading पण्डित कालीचरण शर्मा

भारत की बेटी

भारत की बेटी जननी नाम से पवित्र, दूसरा कौनसा है नाम | माँ नाम से निर्मल, कौनसा है दूसरा है नाम || आज की किशोरी ही भविष्य की आधारशिला है | संतान उत्पत्ति की अर्थात श्रेष्ट संतान उत्पत्ति की और राष्ट्र गौरव की, क्यों की जब कोई युवती स्वयं निर्णय लेने लग जाती है अर्थात यह आयु १६ से १८ की होती है और इसी आयु में वह निर्णय लेनी की क्षमता प्राप्त करती है | यही से उसके भावी संतान का भविष्य शुरू हो जाता है | यही संतान उत्पत्ति का विज्ञान है | इतिहास इस बात का साक्षी है – शिवाजी,श्री कृष्ण, श्री राम, प्रलहाद , रावण, पांडव, आदि की | ऐसी हजारो बेटियों ने राष्ट्र रक्षक, राष्ट्र निर्माण, … Continue reading भारत की बेटी