सच्ची रामायण का खंडन भाग-२० *अर्थात् पेरियार द्वारा रामायण पर किये आक्षेपों का मुंहतोड़ जवाब* *- कार्तिक अय्यर* नमस्ते मित्रों! पिछले लेख में हमने *भगवान श्रीराम* पर किये ६ आक्षेपों का खंडन किया।अब आगे के आक्षेपों में पेरियार साहब के आक्षेपों का स्पष्टीकरण और शब्द प्रमाण ललई सिंह यादव ने *”सच्ची रामायण की चाबी”*में दिया है।हम दोनों को साथ में उद्धृत करके उनकी आलोचना कर रहे हैं।पाठकगण हमारी समीक्षा पढ़कर आनंद उठायें।आगे- *आक्षेप-७-* उसने शोक प्रकट करते हुए अपनी माता से कहा था कि ऐसा प्रबंध किया गया है कि मुझे राज्य से हाथ धोना पडेंगा ।राजवंशीय भोग विलास एवं स्वादिष्ट मांस की थालियां छोड़कर मुझे वन में जाना होगा। मुझे वनवास जाना होगा और वन के कंद मूल खाने … Continue reading सच्ची रामायण का खंडन भाग-२०→
क़सामाह चौदहवीं किताब ”क़समों की किताब“ (अल-क़सामाह) है। क़सामाह का शब्दशः अर्थ है ”क़सम खाना।“ लेकिन शरीयाह की पदावली में इसका अर्थ है एक विशेष प्रकार की तथा विशेष परिस्थितियों में ली जाने वाली कसम। उदाहरण के लिए, कोई आदमी कहीं मार डाला गया पाया जाता है और उसको कत्ल करने वाले का पता नहीं चलता। ऐसी स्थिति में जिस जगह वह मृत व्यक्ति पाया जाता है उसके पास के क्षेत्र से पचास व्यक्ति बुलाये जाते हैं और उन्हें क़सम खानी पड़ती है कि उन्होंने उस आदमी को नहीं मारा और न ही वे उसके मारने वाले को जानते हैं। इस क़सम से उन लोगों को निर्दोषिता साबित हो जाती है।1 लगता है कि इस्लाम-पूर्व अरब में यह प्रथा … Continue reading हदीस : क़सामाह→
ओ३म्.. बलि प्रथा एक आसुरी प्रवृत्ति हो: प्रेम आर्य (दोहा, कतार बाट) आफ्नो स्वार्थ पूरा गर्नको लागि कसैको हत्या गर्नु ..! हजुर, यो यस्तो सत्य हो जसले सभ्य मानव समाजलाई कलंकित गरिरहेको छ। आफ्नो स्वार्थ सिद्धिको लागी देवी देवताको नाममा आजसम्म पनि ति निर्दोष पशु-पंक्षीहरुको बली दिइन्छ। अविद्याको कारणले पहिले देखि नै यहि धारणा रही आएको छ कि बलिको माध्यम बाट मात्र देवी-देवताहरुलाई प्रसन्न गर्न सकिन्छ। केहि रुढीवादी समूह द्वारा समाजमा यस प्रकारको भ्रांति फैलाइन्छ। तर अब सोंच्नु पर्ने बेला आएको छ कि एक निर्दोष मूक प्राणीको हत्याले कसरि ईश्वर प्रसन्न हुन सक्छ? किनकि धरतीका हरेक प्राणीहरु ईश्वर कै सन्तान हुन्। एकातिर प्राणि-हत्या महापाप हो भनेर पाठ सिकाइन्छ भने अर्को तिर आफ्नो पाप र दुष्कर्मको आडमा पाप माथि पाप गर्दै … Continue reading बलि प्रथा एक आसुरी प्रवृत्ति हो।→
टाँगा किस लिए लाये? आर्यसमाज नयाबाँस, दिल्ली-6 की आधारशिला पूज्य भाई परमानन्दजी ने रखी। भाईजी के प्रति इस समाज के सदस्यों को बहुत श्रद्धा थी। एक बार इसी समाज के किसी कार्यक्रम पर देवतास्वरूप भाई परमानन्दजी आमन्त्रित थे। श्री पन्नालाल आर्य उन्हें स्टेशन पर लेने के लिए गये। नयाबाँस का समाज-मन्दिर स्टेशन के समीप ही तो है। श्री पन्नालाल जी भाईजी के लिए टाँगा ले-आये। टाँगेवाले उन दिनों एक सवार का एक आना (आज के छह पैसे) लिया करते थे। आर्यसमाज की आर्थिक स्थिति से भाईजी परिचित ही थे। भाईजी को जब टाँगे पर बैठने के लिए कहा गया तो आप बोले, ‘‘पन्नालाल! टाँगा ज़्यों कर लिया? पास ही तो समाज-मन्दिर है। आर्यसमाजों में धन कहाँ है? कितने कार्य समाज … Continue reading टाँगा किस लिए लाये?→
ADULTERY AND FORNICATION Adultery is severely punished. �UbAda reports the Prophet as saying: �Receive teaching from me, receive teaching from me. Allah has ordained. . . . When an unmarried male commits adultery with an unmarried female, they should receive one hundred lashes and banishment for one year. And in case of a married male committing adultery with a married female, they shall receive one hundred lashes and be stoned to death� (4191). �Umar adds his own emphasis: �Verily Allah sent Muhammad with truth and He sent down the Book upon him, and the verse of stoning was included in what was sent down to him.� �Umar is emphatic because in the QurAn there is no punishment for adultery as … Continue reading HADEES : ADULTERY AND FORNICATION→
Can India ignore the Rohingya crisis? Rohingya refugees stretch their hands to receive food distributed in Kutupalong, Bangladesh . | Photo Credit: DANISH SIDDIQUI LEFT | NEHGINPAO KIPGEN Since the refugees have no home to return to right now, New Delhi must show some magnanimity Nehginpao Kipgen Over 379,000 Rohingyas have fled Myanmar to neighbouring Bangladesh. India should come forward to help the refugees. The reasons are threefold: maintaining a tradition of generosity, and economic and strategic factors. A welcoming nation First, not only as a major power in the region but also as the largest democracy in the world, there are expectations that India should extend help to the fleeing Rohingya, at least on humanitarian grounds, and contribute … Continue reading Can India ignore the Rohingya crisis?→
ओ३म् …. व्यक्तित्व विकास र राष्ट्र निर्माणको कुञ्जी – गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति: प्रेम आर्य (दोहा, कतार बाट) कमि कमजोरी एउटा व्यक्ति मा पनि हुन्छ, र कुनै संस्था मा पनि हुन सक्छ। तर हाम्रा ऋषि-मुनिहरुले भनेको र अवलम्बन गरिएको गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति मा कुनै कमि कमजोरीहरु हुनै सक्दैनन्। यो पद्धतिले व्यक्तिमा मानवीय गुण समावेश गरेर उसको निर्माण गर्दछ। जसबाट परिवार, समाज, राष्ट्र एवं अखिल जगतको नै सहि निर्माण हुन्छ। आजको शिक्षा पद्धति जो केवल धन कमाउने सम्म मात्र सिमित भएको छ। अक्षर-ज्ञान जसको ध्यय हुन्छ, त्यसबाट नैतिकताको बिकास हुन सक्दैन। फलतः व्यक्ति तथा समाजको सर्वांग विकास गर्नमा त्यो सक्षम हुँदैन। भौतिक एवं अध्यात्मिक दुवै प्रकारको समानान्तर बिकासले नै उच्चादर्श-युक्त समाजको निर्माण गर्न सक्छ जो गुरुकुलीय शिक्षा पद्धतिको उज्वल पक्ष अङ्गीकार गरेर … Continue reading व्यक्तित्व विकास र राष्ट्र निर्माणको कुञ्जी – गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति:→
. अपराध और दंड विधान (क़सामाह, किसास, हदूद) चौदहवीं, पन्द्रहवीं और सोलहवीं किताबें अपराध के विषय में हैं। अपराधों के प्रकार और उनकी कोटियां, उनकी छानबीन की प्रक्रिया और अपराध करने पर दिये जाने वाले दंडों की व्यवस्था इनमें वर्णित है। मुस्लिम फिक़ह (क़ानून) दंड को तीन शीर्षकों में बांटता है-हद्द, क़िसास और ताज़ीर। हद्द (बहुवचन हदूद) में उन अपराधों के दंड शामिल हैं, जो कुरान और हदीस में निर्णीत और निरूपित किये गये हैं। ये दण्ड है-पथराव करके मारना (रज्म) जो कि परस्त्रीगमन (ज़िना) के लिए दिया जाता है: कुमारी-गमन के लिए एक-सौ कोड़े (क़ुरान 24/2-5); किसी “इज्जतदार“ स्त्री (हुसुन) के खि़लाफ मिथ्यापवाद अर्थात् उस पर व्यभिचार का आरोप लगाने पर 80 कोड़े, इस्लाम छोड़ने (इर्तिदाद) पर मौत; … Continue reading हदीस : अपराध और दंड विधान (क़सामाह, किसास, हदूद)→
ओ३म्.. नपढेकाहरुको कुरो त के गरौँ र, आजभोली आँफूलाई निक्कै आधुनिक शिक्षा पढेलेखेको सम्झनेहरुको जिब्रोमा पनि ‘राधे-राधे’ शब्द झुण्डिएको हुन्छ। नगर तथा गाउँमा पनि राधा-कृष्णको मन्दिर देख्न पाइन्छ। तर कसैको मुखबाट योगिराज श्रीकृष्णकी प्राण प्रिय धर्म पत्नी रुक्मिणीको नाउ उच्चारण हुँदैन र उनको कहीं कुनै एउटा पनि मन्दिर देख्न सकिएको छैन। राधा को थिई भनेर कसैलाई सोध्यो भने पनि सिधा उत्तर पाइन्न कसैबाट। यस्तो घुमाउरो पाराले उत्तर दिने गर्दछन कि ति स्वयं पनि अन्तिममा अक्क-बक्क मै पर्छन्, मैले के भनें भनेर। किनकि तिनलाई पनि थाहा छैन वास्तवमा राधा एक काल्पनिक पात्र हो भनेर। बस्, सुगा रटाइ र भेडा-चाल मात्र छ…! हजुर, राधालाई यसकारणले काल्पनिक पात्र भन्न सकिन्छ कि श्रीकृष्ण आफ्नो समयका एक महान आदर्शवान चरित्रले भरिएका महामानव थिए। महाभारतका सबै … Continue reading राधा को थिइन् ?→