अल्लाह का इलाज

अल्लाह का इलाज बरेली में मुसलमान भाइयों का उत्सव था। धर्मवार्ता-शास्त्रार्थ के लिए देहलवीजी को भी बुला लिया गया। देहलवीजी ने वहाँ दर्शनों के नामी पण्डित स्वामी दर्शनानन्दजी की युक्ति दी कि अल्लाह तौरेत में कौन-सी बात भूल गया था, जो ज़बूर में ठीक कर दी? और फिर ज़बूर के बाद इंजील आई तो ज़बूर में कौन-सी चूक रह गई थी, जो कुरआन में ठीक की है? और यह क्रम कहाँ तक चलेगा? आगे अब कौन-सी पुस्तक आएगी, यदि कुरआन में भी कमी रह गई हो? पण्डितजी के इस प्रश्न पर एक मौलाना मुस्कराते हुए खड़े हुए और कहा कि पण्डितजी प्रतीत होता है आपको कभी किसी हकीम (वैद्य) से काम नहीं पड़ा। पण्डितजी ने कहा कि मेरा ज़्या काम … Continue reading अल्लाह का इलाज

HADEES : A MOSAIC PRACTICE REVIVED

A MOSAIC PRACTICE REVIVED The punishment of stoning to death (rajm) is Mosaic.  The Old Testament prescribes it for adultery and fornication (Deuteronomy 22:19-23), and also for those who �serve other gods� (Deuteronomy 13:10).  Muhammad retained it for adultery but prescribed death by other means for crimes like apostasy. Among the Jews themselves, by the time of Muhammad, stoning had fallen into disuse.  According to one tradition, a Jew and a Jewess who had committed adultery were brought to Muhammad.  He asked the Jews what their Torah prescribed for such offenses.  The Jews replied: �We darken their [the culprits�] faces and make them ride on a donkey with their faces turned to the opposite direction.� Muhammad said: �Bring the Torah.� The prescribed punishment … Continue reading HADEES : A MOSAIC PRACTICE REVIVED

हदीस : मुसलमान और मृत्युदंड

मुसलमान और मृत्युदंड एक मुसलमान को जो ”यह गवाही दे कि अल्लाह के सिवा अन्य आराध्य नहीं, और मैं (मुहम्मद) उस का रसूल हूँ“ सिर्फ़ तभी मृत्यु-दंड दिया जा सकता है, जब वह शादीशुदा होते हुए परस्त्री-गामी हो, अथवा जब उसने किसी को मार डाला हो (अनेक इस्लामी न्यायविदों के अनुसार किसी मुसलमान को मार डाला हो) अथवा यदि उसने इस्लाम का त्याग किया हो (4152-4155) अनुवादक हमें बतलाते हैं कि इस्लाम के न्यायविदों में इस बात पर लगभग सहमति है कि इस्लाम त्यागने की सजा मौत है। जो लोग ऐसी सजा को बर्बर मानते हैं, उन्हें इसके बारे में अनुवादक की मार्जना और युक्ति पढ़नी चाहिए (टि0 2132)। author : ram swarup

सत्यार्थ प्रकाश

ओ३म्.. सत्यार्थ प्रकाश:  सत्यार्थ प्रकाशको रचना आर्य समाजका संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वतीले गरेका थिए। यद्यपि उनको मातृभाषा गुजराती थियो र संस्कृतको यति ज्ञान थियो कि उनि संस्कृतमा धाराप्रवाह बोल्ने गर्दथे, तर पनि यस ग्रन्थलाई उनले हिन्दीमा रचे। भनिन्छ कि जब महर्षि दयानन्द सन् १८७२ मा कलकत्तामा केशवचन्द्र सेन संग भेट भए पछी उनकै सल्लाह वमोजिम संस्कृत छोडेर हिन्दी बोल्न आरम्भ गरे। त्यस पछी महर्षि दयानान्दका हरेक व्याख्यानहरु हिन्दीमा हुन थाले र शायद यसै कारणले होला महर्षि दयानन्दले सत्यार्थ प्रकाशको भाषा पनि हिन्दी नै राखे। महर्षि दयानन्द पुरै भारत देशमा घुमी-घुमी शास्त्रार्थ एवं व्याख्यान गरिरहेका थिए। यस्तैमा उनका अनुयायिहरुले अनुरोध गरे कि यदि यी शास्त्रार्थहरु एवं व्याख्यानहरुलाई लिपिबद्ध गर्ने हो भने त यी अमर हुने छन्। सत्यार्थ प्रकाशको रचना उनका अनुयायिहरुको अनुरोध कै कारण सम्भव … Continue reading सत्यार्थ प्रकाश

गोल-गोल बातों वाले पण्डितजी

गोल-गोल बातों वाले पण्डितजी श्रद्धेय पण्डित गणपति शर्मा शास्त्रार्थ-महारथी एक बार जगन्नाथपुरी देखने उत्कल प्रदेश पहुँचे। वहाँ के पण्डितों को किसी प्रकार पता चल गया कि पण्डित गणपति शर्मा आये हैं। जहाँ पण्डितजी ठहरे थे वहाँ बहुत-से लोग पहुँचे और कहने लगे- लोग-ज़्या आप आर्यसमाजी पण्डित हैं? पण्डिजी-हाँ, मैं आर्यपण्डित हूँ। लोग-आर्यपण्डित कैसे होते हैं? पण्डितजी-जैसा मैं हूँ! लोग-पण्डित के साथ आर्य शज़्द अच्छा नहीं लगता! पण्डितजी-ज़्यों? इस देश का प्रत्येक निवासी आर्य है। यह आर्यावर्ज़ देश है। इसमें रहनेवाला प्रत्येक व्यक्ति आर्य है। लोग-ज़्या आर्यावर्ज़ में रहनेवाला प्रत्येक व्यक्ति आर्य है? पण्डितजी-देश के कारण आर्य कहला सकते हैं। धर्म के कारण नहीं। लोग-आप किस धर्म को मानते हैं? पण्डितजी-वैदिक धर्म को मानता हूँ! लोग-ज़्या सत्य सनातन धर्म को नहीं … Continue reading गोल-गोल बातों वाले पण्डितजी

HADEES : MODEL PERSECUTION

MODEL PERSECUTION These cases provide a model for all future persecutions.  When a woman is to be stoned, a chest-deep hole is dug for her, just as was done in the case of GhamdIya (the woman of GhAmid), so that her nakedness is not exposed and the modesty of the watching multitude is not offended.  No such hole need be dug for a man, as no such hole was dug for MA�iz, the self-confessed adulterer whose case we have just narrated. The stoning is begun by the witnesses, followed by the imAm or qAzI, and then by the participating believers.  But in the case of a self-confessed criminal, the first stone is cast by the imAm or qAzI, following the example of the Prophet in the … Continue reading HADEES : MODEL PERSECUTION

सच्ची रामायण का खंडन भाग-२२

*सच्ची रामायण का खंडन भाग-२२* *अर्थात् पेरियार द्वारा रामायण पर किये आक्षेपों का मुंहतोड़ जवाब* *-कार्तिक अय्यर* नमस्ते मित्रों!हम एक बार फिर उपस्थित हुये हैं *भगवान श्रीराम पर किये आक्षेपों का खंडन* आगे २२ वें आक्षेप से समीक्षा प्रारंभ करते हैं:- *आक्षेप-२२-* इसका सार है कि अपने पास वन में आये हुये भरत से रामने कहा-” हे भरत! क्या तुम प्रजा द्वारा खदेड़ भगाए हुए हो? क्या तुम अनिच्छा से हमारे बाप की सेवा करने आये हो? (अयोध्याकांड १००)( पेरियार ने १०० की जगह १००० लिखा है।यदि ये मुद्रण दोष है तो भी चिंतनीय है) *समीक्षा-* हम चकित हैं कि इस प्रकार से बेधड़क झूठ बोलकर किसी लेखक की पुस्तक हाई कोर्ट से बाइज्जत बरी हो जाती है। इस सर्ग … Continue reading सच्ची रामायण का खंडन भाग-२२

हदीस : क़िसास

क़िसास क़िसास का शाब्दिक अर्थ है ”दुश्मन के पदचिन्हों का पीछा करना।“ लेकिन क़ानून में उसका पारिभाषिक अर्थ है, बदले की सज़ा। आंख के बदले में आंखें, यह मूसा के क़ानून का लेक्स टेलीआॅनिस अर्थात् बदला लेने का नियम है।   किसी यहूदी ने एक अंसार लड़की का सिर फोड़ दिया और वह मर गयी। मुहम्मद ने हुक्म दिया कि उस यहूदी के सिर को दो पत्थरों के बीच में दबाकर कुचल डाला जाये (4138)। पर एक दूसरे मामले में रक्तपात-शोध की व्यवस्था दी गयी। मुहम्मद के साथियों में से एक की बहन इस मामले में दोषी थी। उसने किसी के दांत तोड़ डाले थे। मामला मुहम्मद के पास पहुंचा। वे उस लड़की से बोले-”अल्लाह की किताब में इसकी सज़ा … Continue reading हदीस : क़िसास

वेद पाठ: ऋग्वेद- १/३/१० (अन्तिम भाग)

पूर्व प्रकाशित भाग (वेद पाठ: ऋग्वेद- १/३/१०) बाट क्रमशः… प्राचिन चिन्तन: ब्राह्मण-आरण्यक र उपनिषद्: पावकाः :- जो निश्चय नै कल्याणकारी र शान्त स्वभावि छ, त्यसलाई पावक अर्थात् पवित्र गर्ने वाला भनिन्छ।[(यद् वै शिवं शान्तं तत् पावकम् (माश: ९/१/२/३०)] वायु [वायुर् वै पावकः (जै: २/१३७)] र जल [आपो वै पवित्रम् (काठ: ८/८, जै: १/१२१)] को नाम निश्चय नै पावक हो किनकि यी सबैले मलिनतालाई धोएर परिष्कृत गर्दछन्। औषधिहरु पनि पवित्र गर्ने पावका नामले चिनिन्छन् [ओषधयः वै पावकाः (मै: ८/१/९)]। निष्कर्ष: शुद्ध-पूत, सौम्य-शान्त र सरस वस्तुको नाम पावक हो । वायु, अग्नि, जल र वनस्पति-औषधि आदि समस्त पदार्थ, मलिनतालाई परिशुद्ध गरेर तिनलाई नविनताले भरपूर गरिदिन्छन्। सरस्वती: कामनाहरुलाई दोहन गर्ने वाली देवी सरस्वती हुन् [दुहे कामान् सरस्वती (काठ: ३८/८)] । वाणी नै निश्चय … Continue reading वेद पाठ: ऋग्वेद- १/३/१० (अन्तिम भाग)

आप कैसे मिशनरी थे!

आप कैसे मिशनरी थे! जब स्वामी स्वतन्त्रानन्दजी उपदेशक विद्यालय, लाहौर के आचार्य थे तो शनिवार के दिन कहीं बाहर किसी समाज में प्रचारार्थ चले जाया करते थे। एक दिन वे रेलवे की टिकटवाली खिड़की पर जाकर खड़े हो गये और कुछ पैसे आगे करके बाबू से कहा- टिकट दीजिए। उसने कहा-कहाँ का टिकट दूँ? पैसे 4-6 आने ही पास थे। आपने कहा-इतने पैसे में जहाँ की टिकट बनती हो बना दो। बाबू ने आश्चर्य से फिर पूछा आपको जाना कहाँ है? आपने कहा प्रचार ही करना है, इतने पैसे में जहाँ भी पहुँच जाऊँगा, प्रचार कर लूँगा। ऐसी लगनवाले अद्वितीय मिशनरी थे हमारे पूज्य स्वामीजी।

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)