Jo Dar Gaya Wo Mecca Gaya : Review of PK – A reality

  Jo Dar Gaya Wo Mecca Gaya : Review of PK – A reality Jo Dar Gaya Wo Mecca Gaya : Review of PK – A reality Amir Khan, well known actor and program host, now a days has deepened his interest in  social matters. Whether it is his famous show “Satyamev Jayte “ or his movie “PK”, his keen interest in  social reform is clearly visible. Being a civilized person its duty of us to be accountable to the society. People of such fame normally do not take part in such activities due to their busy schedule or lack of interest. For this matter Mr. Amir Khan should be praised for his interest to clean evils and bad customs … Continue reading Jo Dar Gaya Wo Mecca Gaya : Review of PK – A reality

आदर्श सन्यासी -स्वामी विवेकानन्द : प्रो धर्मवीर

दिनाक 23  अक्टूबर 2014   को रामलीला मैदान,न्यू दिल्ली में प्रतिवर्ष की भांति आर्यसमाज की और से महर्षि दयानन्द बलिदान समारोह मनाया गया.  इस अवसर पर भूतपूर्व सेनाध्यक्ष वी.के. सिंह मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थें1 उन्होंने श्रद्धांजलि  देते हुए जिन वाक्यों का प्रयोग किया वे श्रद्धांजलि कम उनकी अज्ञानता के प्रतिक अधिक थें.  वी.के. सिंह ने अपने भाषण में कहा-‘इस देश के महापुरषो में पहला स्थान स्वामी विवेकानंद का हैं1 तथा दूसरा स्थान स्वामी दयानन्द का हैं’ यह वाक्य वक्ता की अज्ञानता के साथ अशिष्टता का भी घोतक हैं.  सामान्य रूप से महापुरषो की तुलना नहीं की जाती.  विशेष रूप से जिस मंच पर आपको बुलाया गया हैं . उस मंच पर तुलना करने की आवश्यता पड़े भी तो … Continue reading आदर्श सन्यासी -स्वामी विवेकानन्द : प्रो धर्मवीर

‘गोरक्षा युक्ति प्रमाण सिद्ध मनुष्य धर्म है’ – मनमोहन कुमार आर्य

ओ३म् ‘गोरक्षा युक्ति प्रमाण सिद्ध मनुष्य धर्म है’   मनुष्य का धर्म क्या है व अधर्म किसे कहते हैं? आज का शिक्षित मनुष्य स्वयं को सभ्य कहता है परन्तु उसे यह पता ही नहीं की धर्म क्या है और अधर्म क्या है? हमें लगता है कि आजकल अनेक मतों में जिन बातों को धर्म माना जाता है उनमें से कुछ बातें धर्म न होकर अधर्म भी हैं। कारण यह है कि सभी धार्मिक लोग अपनी मत की पुस्तकों व पुराने विद्वानों की बातों को आंखें बन्द कर विश्वास करते हैं और इसे आस्था का नाम देते हैं। विचार करने पर प्रतीत होता है कि मनुष्य का धर्म उसकी असत्य में आस्था नहीं हो सकती अपितु अपनी बुद्धि से सत्य व … Continue reading ‘गोरक्षा युक्ति प्रमाण सिद्ध मनुष्य धर्म है’ – मनमोहन कुमार आर्य

‘सृष्टि के आदि राजपुरूष मनु का शूद्रादि वर्णों के ब्राह्मण वर्ण में वर्णोन्नति के लिए गुणवर्धन का प्रशंसनीय विधान’–मनमोहन कुमार आर्य

ओ३म् ‘सृष्टि के आदि राजपुरूष मनु का शूद्रादि वर्णों के ब्राह्मण वर्ण में वर्णोन्नति के लिए गुणवर्धन का प्रशंसनीय विधान’   हमारे अनेक क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र वर्ण के बन्धु प्रायः कहा करते हैं कि महाराज मनु ने ब्राह्मणेतर वर्णों के साथ अन्याय किया है। उनका यह आरोप समाज में प्रचलित जन्म पर आधारित जाति व्यवस्था के कारण होता है। आरोपकर्ता बन्धुओं के इस आरोप के पीछे की पीड़ा तो समझ में आती है परन्तु जैसे किसी आरोप में पुलिस कई बार असली आरोपी के स्थान पर अन्य निर्दोष व्यक्तियों को पकड़ लेती है, ऐसा ही हमारे आरोपकर्ता बन्धुओं का महाराज मनु पर आरोप है। मनु कौन थे? इसके उत्तर में हम यह बताना चाहते हैं कि सृष्टि के आरम्भ … Continue reading ‘सृष्टि के आदि राजपुरूष मनु का शूद्रादि वर्णों के ब्राह्मण वर्ण में वर्णोन्नति के लिए गुणवर्धन का प्रशंसनीय विधान’–मनमोहन कुमार आर्य

पूना प्रवचन में स्वयं कथित अपना जीवन वृत्तान्त पन्द्रहवां व्याख्यान (4 अगस्त 1875)

हमसे बहुत से लोग पूछते हैं कि हम कैसे जानें कि आप ब्राह्मण हैं और कहते हैं कि आप अपने मित्रों तथा सम्बन्धियों की चिट्ठियाँ मगा दें या आपको जो पहचानता हो उसको बतलावें। इसलिए मैं अपना कुछ वृत्तान्त कहता हूँ। दूसरे देशों की अपेक्षा गुजरात में कुछ मोह अधिक है, यदि मैं अपने पूर्व मित्रों तथा सम्बन्धियों को अपना पता दूं या पत्र—व्यवहार करूँ तो मेरे पीछे एक ऐसी व्याधि लग जावेगी, जिससे कि मैं छूट चुका हूँ। इस भय से कि कहीं वह बला मेरे पीछे न लग जावे,पत्रादि मँगा देने की चेष्टा नहीं करता। धारंगधरा नाम का एक राज्य गुजरात देश में है। इसकी सीमा पर एक मौरवी नगर है, वहाँ मेरा जन्म हुआ था। मैं औदीच्य … Continue reading पूना प्रवचन में स्वयं कथित अपना जीवन वृत्तान्त पन्द्रहवां व्याख्यान (4 अगस्त 1875)

The Autobiography of Swami Dayanand Saraswati

It was in a Brahmin family of the Oudichya caste in a town belonging to the Raja of Morwee,in the province of kathiawar,that in the year of Samvat,1881,(1924 A. D.) I,now known as Dayanand Saraswati,was born.If I have from the first refrained from giving the names of my father and of the town in which my family resides, it is because I have been prevented from doing so by my duty. Had any of my relatives heard again of me, they would have sought me out. And then, once more fau to face with them, it would have become incumbent upon me to follow them home. I would have to touch money serve them, and attend to their winhea . … Continue reading The Autobiography of Swami Dayanand Saraswati

DAYANANDA AND ARYA SAMAJ – Romain Rolland

Indian religious thought raised a purely Indian Samaj against Keshab’s Brahmo Samaj and against all attempts at Westernization, even during his life-time, and at its head was a personality of the highest order, Dayananda Saraswati (1824-1883). This man with the nature of a lion is one of those, whom Europe is too apt to forget when she Judges India, but whom she will probably be forced to remember to her cost; for he was that rare combination, a thinker of action with a genius for leadership. While all the religious leaders of whom we have already spoken and shall speak in the future were and are from Bengal. Dayananda came from quite a different land, the one which half a … Continue reading DAYANANDA AND ARYA SAMAJ – Romain Rolland

रोगों का घर मांसाहार

हमारे भारतीय ऋषियों ने भोजन के विषय में बहुत की खोज तथा छानबीन की थी । इसीलिये घोर तमोगुणी भोजन सब रोगों का घर होता है । दुर्गन्धयुक्त सड़े हुए मांस से रोग ही उत्पन्न होंगे । मनुष्य का भोजन न होने से यह देर से पचता है, जठराग्नि पर व्यर्थ का भार डालता है । किस पदार्थ के पचने में कितना समय लगता है, इस की निम्न तालिका अनुभवी डाक्टरों ने दी है –     मांस पचने का समय बकरे का मांस ३ घण्टे में शोरबा ३ घण्टे में मुर्गी का मांस ४ घण्टे में मछली ४ घण्टे में सूवर का मांस ५ घण्टे में गोमांस ५ घण्टे में अन्न, फल, दूध आदि के पचने का समय इस … Continue reading रोगों का घर मांसाहार

मांस मनुष्य का भोजन नहीं – स्वामी ओमानन्द सरस्वती

पशु, पक्षी, कीट, पतंग आदि जितने भी संसार में प्राणी हैं, सब अपने-अपने स्वभाव भोजन को भली-भांति जानते तथा पहचानते हैं । अपने भोजन को छोड़कर दूसरे पदार्थों को सर्वथा अभक्ष्य समझते हैं, उनको न देखते हैं, न सूंघते हैं । अतः अपने आपको सब प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ समझने वाले इस मनुष्य से तो सभी अन्य प्राणी ही अच्छे हैं । जैसे जो पशु घास आदि चारा खाते हैं, वे मांस की ओर देखते भी नहीं और जो मांसाहारी पशु हैं, वे घासफूस की ओर खाने के लिये दृष्टिपात तक नहीं करते । उसी प्रकार कन्दमूल और फलफूल भक्षी प्राणी इन पदार्थों को छोड़कर घास-फूस नहीं खाते । इसी प्रकार पेय पदार्थों की वार्ता है । भयंकर से भयंकर प्यास … Continue reading मांस मनुष्य का भोजन नहीं – स्वामी ओमानन्द सरस्वती

Namaste Meaning – swargeeya pandit sukhdev vidya vachaspati

हमारी आर्य जाति का वेद ही एक मात्र स्वतः प्रमाण धर्म -पुस्तक है। यही हमारा ईश्वरीय ज्ञान है। अपने आपको आर्य हिन्दू कहनेवाला कोई भी व्यक्ति इस सिद्धान्त से इन्कार नहीं करेगा । वैदिकधर्मी तथा पौराणिकधर्मी, सभी के आचार- व्यवहार का मूलस्त्रोत वेद ही होना चाहिए। वैसे तो भारतवर्ष के अन्दर बहुत से धर्म प्रचलित है। परन्तु हमें इस लेख में उन धर्मो से कोई शिकायत नहीं करनी, जो वेद को स्वीकार नहीं करते, क्योंकि जब वे वेदों को श्रद्धा की दृष्टि से देखते ही नहीं तो उनके सामने वेदों का प्रमाण उपस्थित करके हम क्या कहेंगे ? अतः हे वेदानुयायी भाइयो! आओ, आज हम इस बात पर विचार करें कि वैदिक साहित्य के अनुसार हमारा परस्पर सत्कार एवम् आशीर्वादसूचक … Continue reading Namaste Meaning – swargeeya pandit sukhdev vidya vachaspati

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)