. किन्तु जो पुरूष धर्म ही को प्रधान समझता जिसका धर्म के अनुष्ठान से कत्र्तव्य पाप दूर हो गया, उस को प्रकाशस्वरूप और आकाश जिसका शरीरवत् है उस परलोक अर्थात् परमदर्शनीय परमात्मा को धर्म ही शीघ्र प्राप्त कराता है ।
(स० प्र० चतुर्थ समु०)
. किन्तु जो पुरूष धर्म ही को प्रधान समझता जिसका धर्म के अनुष्ठान से कत्र्तव्य पाप दूर हो गया, उस को प्रकाशस्वरूप और आकाश जिसका शरीरवत् है उस परलोक अर्थात् परमदर्शनीय परमात्मा को धर्म ही शीघ्र प्राप्त कराता है ।
(स० प्र० चतुर्थ समु०)