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कुरान समीक्षा : कयामत का फैसला हजार साल में होगा

कयामत का फैसला हजार साल में होगा

फैसले के लिये हजार साल क्यों लगेंगे? खुदा के द्वारा ‘कुन’ कहकर फैसला पलभर में क्यों नहीं कर दिया जावेगा ताकि खुदा का वक्त बरबाद न हो? देखिये कुरान में कहा गया है कि-

युदब्बिरूल्-अम्-र मिलस्समाइ………..।।

(कुरान मजीद पारा २१ सूरा सज्दा रूकू १ आयत ५)

फिर तुम लोगों की गिनती के अनुसार हजार वर्ष की मुद्दत का एक दिन होगा। उस दिन तमाम इन्जाम उसके सामने गुजरेगा।

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खुदा की कचहरी एक साल तक लगी रहेगी और लोगों के वकील खुदा के मुबाहिसा अर्थात् वाद-विवाद करते रहा करेंगी। खुदा यदि सर्वशक्तिमान (कादिरे मुतलक) होता तो फैसला जल्दी भी कर सकता था

उसे हर आदमी का अलग-अलग कर्मों का हिसाब किताब देखना पड़ेगा, किताबें देखनी पड़ेगी, वकीलों की बहस सुननी पड़ेंगी तब कहीं जन्नत व दोजख में उन्हे भेज कर छुट्टी मिलेगी। हमारे यहां के मजिस्ट्रेट और अरबी खुदा में कोई ज्यादा अन्तर नहीं है।

कुरान समीक्षा : जमीन से एक जानवर निकलेगा

जमीन से एक जानवर निकलेगा

जमीन से जानवर निकाल कर खुदा कयामत के फैसले में उससे क्या मदद लेगा? वह जानवर नर होगा या मादा? उसके दाढ़ी होगी या नहीं?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व इजा व-क-अल्कौलु अलैहिम्………..।।

(कुरान मजीद पारा १९ सूरा नम्ल रूकू ६ आयत ८२)

और जब वादा (कयामत) इन लोगों पर पूरा होगा तो हम जमीन से इनके लिये एक जानवर निकालेंगे, वह इनसे बातें करेगा।

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वह जानवर किस भाषा में लोगों से बातें करेगा और क्या बात पूछेगा ? क्या वह लोगों को दूध भी पिलावेगा। उसकी शक्ल कैसी होगी। ? खुदा की और उसकी शक्ल में क्या फर्क होगा? वह सफेद होगा या काला? नर होगा या मादा ? वह अकेला होगा कि जोड़े के साथ होगा? उसके सींग होंगे या नहीं? वह मनहूस जानवर खुदा की किस बात में मदद करेगा? इत्यादि बातों का खुलासाकिया जाना भी जरूरी है, जो नहीं किया गया है।

कुरान समीक्षा : पहाड़ उड़ते फिरेंगे

पहाड़ उड़ते फिरेंगे

पहाड़ों का उड़ाना दलील से साबित करें? यदि पहाड़ उडेंगे तो अरबी मुसलमानों का क्या हाल होगा वे भी उड़ेंगे या नहीं? पहाड़ गिर पड़े तो कुरान उनका क्या हाल होगा?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व त-रल् जिब्बा-ल तह्-सबुहा…………

(कुरान मजीद पारा १९ सूरा नम्ल रूकू ७ आयत ८८)

और तू पहाड़ों को देखकर ख्याल करता है कि जमे हुए हैं। मगर यह (कयामत के दिन) बादल की तरह उड़ें -उड़ें फिरेंगे।

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पहाड़ जमीन के अन्दर मीलों गहरे घुसे हैं, वें अन्दर से ऊपर को उभरते रहते हैं। अरबों खबरों टन वजनी पहाड़ हवा में उड़मे फिरेंगे (जैसे रूई या पतंग उड़ती है) यह बात बच्चों को बहलाने जैसी है। कोई भी थोड़ी सी अक्ल रखने वाला व्यक्ति इसे नहीं मान सकता है। यदि पहाड़ हवा में उड़ेंगे तो फिर अरब के मुसलमान उनके बीबी बच्चे, बरतन मकान या उनकी मस्जिदें भी क्यों न उड़ जावेंगे? वे तो बहुत हल्के होते हैं।

अगर कोई पहाड़ उड़ कर कहीं काबे पर गिर पड़ा तो वहाँ क्या हशर होगा? अरबी खुदा की किताब कुरान की बातें वास्तव में सच्चाई से दूर एवं मनोरंजक मात्र हैं।

कुरान समीक्षा : मुहम्मद साहब बे पढ़े लिखे थे

मुहम्मद साहब बे पढ़े लिखे थे

कुरान की भाषा बताती है कि मुहम्मद साहब उम्मी अर्थात् बे पढ़े लिखे नहीं थे क्योंकि उन्होंने कहा मैं है ‘‘मैं खुदा की आयतें तुम्हे पढ़कर सुनाता हूँ’’ (कुरान पारा ११ सूरे हूद आयत २) जबकि बे पढ़ा आदमी अरबी नहीं पढ़ सकता था अथवा घोषणा करें कि कुरान की यह आयत गलत है।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व मा कुन्त तत्लू मिन् कब्लिही……….।।

(कुरान मजीद पारा २० सूरा अंकबूत रूकू ५ आयत ४८)

और कुरान से पहले न तो तुम कोई किताब ही पढ़ते थे और न तुमकों अपने हाथ से लिखना ही आता था।

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यह ऊपर की बात स्वयं कुरान से ही गलत साबित हो जाती है। कुरान की पहले पारे की पहली सूरत की पहली आयत-

बिस्मिल्लार्रह्मानिर्रहीम……………।।

(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू १ आयत १)

शुरू करता हूं साथ नाम अल्लाह के जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है। इससे मुहम्मद साहब खुदा का नाम लेकर कुरान लिखना शुरू करते हैं। यह वाक्य बताता है कि वे पढ़े लिखें जरूर थे।

अल्ला तअ्-बुदू इल्लल्ला-ह इन्ननी………..।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ५ आयत २)

खुदा के सिवाय किसी की पूजा मत करो, मैं उसी की ओर से तुमको डराता और खुश खबरी सुनाता हूँ।

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इसमें खुदा की बहुत खुशखबरी सुनाने और डराने की बात मुहम्मद साहब ने की है।

तिल्-क आयातुल्लाहि नत्लू हा…………..।।

(कुरान मजीद पारा ३ सूरा बकर ३३ आयत २५२)

यह अल्लाह की आयतें हैं जो मैं तुमको पढ़-पढ़ कर सुनाता हूँ।

कुल् लो शा-अल्लाहु मा-तलौतुहू………..।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा यूनिस रूकू २ आयत १६)

कहो अगर खुदा ये चाहता है तो मैं न तुमको पढ़ कर सुनाता और न खुदा तुमकों इससे अगाह कराता।

व कालतिल्-यहूदु अुजैरूनिब्नु…………।।

(कुरान मजीद पारा १० सूरा तौबा रूकू ५ आयत ३०)

खुदा इनको गारत करे ये किधर को भटके चले जा रहे हैं?

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खुदा से गारत करने की प्रार्थना मुहम्मद साहब ने की थी। इन प्रमाणों से साफ जाहिर है कि कुरान को लिखने वाले मुहम्म्द साहब थे, वे पढ़े-लिखे भी थे, और कुरान का पढ़-पढ़ कर लोगों को सुनाया भी करते थे। यह उन्होंने खुद स्वीकार किया है। अतः कुरान का उक्त दावा भी गलत है।

कुरान समीक्षा : खुदा ने मकर किया अर्थात् खुदा मक्कार है

खुदा ने मकर किया अर्थात् खुदा मक्कार है

कुरान ने खुदा को मकर करने वाला अर्थात् मक्कार लिखकर खुदा की इज्जत बढ़ाई है या उसकी शान में बट्टा लगाया है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व म-करू मक-रंब्-व म-कर्ना……….।।

(कुरान मजीद पारा १९ सूरा नम्ल रूकू ४ आयत ५०)

और मकर किया उन्होंने एक मकर और मकर किया हमने एक मकर और वह नहीं जानते थे पर देख क्यों कर हुआ? आखिर काम मकर उनके का।

फन्जुर् कै-का-न आकिबतु………..।।

(कुरान मजीद पारा १९ सूरा नम्ल रूकू ४ आयत ५१)

यह कि हलाक किया हमने उनको और कौम उनकी को।

व इज् यम्कुरू बिक्ल्लजी-न क…………।।

(कुरान मजीद पारा ९ सूरा अन्फाल रूकू ४ आयत ३०)

काफिर फरेब करते थे अल्लाह भी फरेब करता था । अल्लाह फरेब करने वालों में अच्छा फरेब करने वाला है।

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यदी किसी शख्स ने मक्कारी की तो खुदा ने भी मक्कारी की यह कुरान बताता है। पता नहीं खुदा को मक्कारी करने से उसकी बेइज्जती मुसलमान क्यों नहीं मानते हैं।

यह तो ठीक है कि खुदा अपनी मक्कारी में जीत गया पर मक्कार होना तो बुरी बात है, इससे अरबी खुदा की शान नहीं बढ़ती बल्कि गिरती है।

कुरान समीक्षा : क्या इगलामबाजी से चालू हुई?

क्या इगलामबाजी से चालू हुई?

बतावें कि झगलामबाजी अर्थात् लौंडेबाजी क्या सारे अरब में जारी थी? क्या अब भी यह बुराई वहां के मुसलमानों में जारी है? यह बुराई इस्लाम में जायज है या नहीं? हफवातुल्मुसलमीन अर्थात् मुसलमानों की बकवास नामक पुस्तक में (सफा ४० व ४१ पर) ‘‘वतीफीउल्दब्र’’ अर्थात् गुदा मैथुन के जायज होने की बात लिखी है, वह सही है या नहीं?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

अ-तअ् तूनज्जुक्रा-न मिनल………..।।

(कुरान मजीद पा १९ सूरा शुअरा रूकू ९ अगस्त १६५)

क्या तुम दुनियाँ के लोगों में से लड़कों पर दौड़ते हो ।

व त-ज-रू-न मा ख-ल-क…………….. । ।

(कुरान मजीद पा १९ सूरा शुअरा रूकू ९ अगस्त १६६)

और तुम्हारे पालन कत्र्ता ने तुम्हारे लिये बीबियां दी हैं उन्हे छोड़ देते हो बल्कि तुम सरकश कौम हो।

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कुरान के इस वर्णन से ज्ञात होता है कि अरब में इगलामबाजी का उस जमाने में खूब प्रचार था, सम्भवतः यह बुराई वहीं से स्थानों में भी फैली थी।

अरबी खुदा या मुहम्मद ने इगलामबाजी अर्थात् लौंडेबाजी पसन्द अरबी लोगों को अपने मजहब में फंसाने के लिए बहिश्त में खूबसूरत गोरे चिट्टे उम्र के नाबालिग लोंडों (गिलमों) का लालच कुरान में पेश किया था।

हम समझते हैं कि जिस किताब को खुदाई कहा जाता है उसमें ऐसी गन्दी बातों का जिक्र होना अफसोस की बात है, उस पर कलंक है।

कुरान समीक्षा : जन्नत में बालखाने मिलेंगे

जन्नत में बालखाने मिलेंगे

जन्नत में कई मंजिलें मकानता पत्थर, लकड़ी, सीमेट या कच्ची ईंटों के बने हुए हैं या फूंस के छप्परों जैसे हैं? क्या वहां सभी लोगों के लिये अलग-अलग कमरें अलाट (नियत्त) होंगे? उनमें क्या-क्या आरामदायक साधन होंगे? क्या वहां भी रंगीन टी.वी., फ्रिज तथा ए.सी. आदि मिलेंगे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

उलाइ-क युज्जौनल्-गुर-फ-त……….।।

(कुरान मजीद पारा १९ सूरा फुर्कान रूकू ६ आयत ७५)

यही लोग हैं जिनको उनके सब्र के बदले में (रहने को) ‘‘बालाखाने’’अर्थात् ऊंचे-ऊंचे महल मिलेंगे और दुआ और सलाम के साथ वहाँ उनकी अगावानी की जायेगी।

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जहाँ बालायें (औरतें) रहती हैं वे बालाखाने और जहाँ गुसल करते हैं वह गुसलखाने तथा ट्टटी करते हैं- वह पखाने, एंव मयखाने, जिमखाने, मुर्खीखाने, कबूतरखाने, कारखाने, रण्ड़ीखाने आदि-आदि। जन्नत में ऊपर की मन्जिलों में हूरें होंगी वहीं मियां लोग रखे जावेंगे शायद नीचे की मन्जिलों में गिलमें (लोंडे) रहते होंगे।

अरबी मुसलमानों को मूर्ख बनाने के लिये जन्नत (बहिश्त) की यह रसीली कल्पना कुरान बनाने वालों ने पेश की थी। वरना ज्यादा औरतों व लोडों से ऐश करना कोई बड़ाप्पन की बात नहीं है। भाइयां अगर सच पूछा जायें तो हमारे हिसाब से तो ये सब चण्डूखाने की गप्प के अलावा और कुछ भी नहीं है।

कुरान समीक्षा : आसमान में ओलों के पहाड़ हैं

आसमान में ओलों के पहाड़ हैं

आसमान में ओलों के पहाड़ जमें हुए हैं यह बात विज्ञान से साबित की जावे? अन्यथा ऐसी बात कहना खुदा की अज्ञानता को प्रगट करता है।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

अ-लम् त-र अन्नल्ला-ह युज्जी………..।।

(कुरान मजीद पारा १८ सूरा नूर रूकू ६ आयत ४३)

और आसमान में ओलों के पहाड़ जमे हुए हैं खुदा जिस पर चाहता है ओले बरसाता है और जिसे चाहता है बचा देता है।

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आसमान में ओलों क पहाड़ जमे हुए हैं ऐसी बेतुकी बात जिस कुरान में लिखी हुई हो तो उसे कौन पढ़ा लिखा आदमी खुदाई कलाम मान सकेगा? यह खुदा की इल्मी काब्लियत की मिसाल है।

कुरान समीक्षा : लोंडियों से व्यभिचार जायज

लोंडियों से व्यभिचार जायज

जब जिना अर्थात् बलात्कार करने की खुली छूट इस्लाम में मौजूद है तो उसें व्यभिचार प्रधान मजहब  यदि माना जावे तो क्योंकर गलत होगा?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

वल्-यस्तअ्‘फिफिल्-न………….।।

(कुरान मजीद पारा १८ सूरा नूर रूकू ४ आयत ३३)

तुम्हारी लोंडियाँ जो पाक रहना चाहती हैं उनको दुनियाँ की जिन्दगी के फायदे की गरज से हरामकारी पर मजबूर न करो और जो उनको मजबूर करेगा तो अल्लाह उनके मजबूर किये गये पीछे क्षमा करना वाला मेहरबान हैं

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बांदियों से जबर्दस्ती जब हरामखोरी करने के बाद खुदा क्षमा कर देगा तो यह आयत बिल्कुल बेकार लिखी गई है।

हरामखोरी करना कुरान में जुर्म नहीं माना गया है यह इसी आयत से स्पष्ट हो गया है।

कुरान समीक्षा : शरीर के अंग गवाही देंगे

शरीर के अंग गवाही देंगे

व्यभिचारि स्त्री पुरूषों की गुप्तेन्द्रियाँ किस भाषा में बोलेंगी? इस आयत को खुलासा किया जावे? क्या वे अरबी भाषा की शायरी में बोलेंगी?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

यौ-म तश्हदु अलैहिम् अल्सि………..।।

(कुरान मजीद पारा १८ सूरा नूर रूकू ३ आयत २४)

जब इनकी जुबानें और इनके हाथ और इनके पाँव इनके कामों की जो कुछ वे करते थे गवाही देंगे।

हत्ता इजा मा जा-ऊहा शहि-द…………..।।

(कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम अस-सज्दा रूकू ३ आयत २०)

यहाँ तक कि नरक के पास जमा होंगे तो जैसे-जैसे काम यह लोग करते रहे हैं उनके कान और उनकी आँखें और उनके चमड़े उनके मुकाबिले में गवाही देंगे।

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शरीर के अंग अलग-अलग अपने कर्मों की गवाही देंगे यह भी मजेदार बात होगी। व्यभिचारी लोगो व औरतों के अंग भी गवाही देंगे। खुदा के पास कर्मों का रजिस्टर भी मौजूद होगा, मुल्जिमों के वकील भी वहाँ पर पैरवी कर रहे होंगे, किसी तहसीलदार की कचहरी से कम ठाटबाट की अदालत खुदा की न होगी।