Category Archives: Islam

ट्रिपल तलाक: भड़कीं शाइस्ता अंबर बोलीं- एक रात की अय्याशी का सामान नहीं हैं मुस्लिम औरतें

ट्रिपल तलाक: भड़कीं शाइस्ता अंबर बोलीं- एक रात की अय्याशी का सामान नहीं हैं मुस्लिम औरतें

शाइस्ता ने मुस्लिम वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाते हुए कहा कि शाह बाने केस के बाद 1986 में शरियत ने ये कानून बनाया था कि हर तलाक पीड़िता को वक्फ बोर्ड पेंशन देगा लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ।

तस्वीर का इस्तेमाल आज तक के वीडियो से किया गया है।

ट्रिपल तलाक के मसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने बोलते हुए कहा है कि मुस्लिम महिलाएं सिर्फ एक रात की अय्यासी का सामान नहीं हैं कि रात में इस्तेमाल किया और सुबह तलाक बोल दिया। हिंदी न्यूज चैनल आज तक के कार्यक्रम में शाइस्ता ने कहा कि तलाक पीड़िता अगर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाएगी तो क्या करेगी। शाइस्ता ने मुस्लिम वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाते हुए कहा कि शाह बाने केस के बाद 1986 में शरियत ने ये कानून बनाया था कि हर तलाक पीड़िता को वक्फ बोर्ड पेंशन देगा लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ।

ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने शरियत के नाम पर ट्रिपल तलाक का विरोध कर रहे मौलानाओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आप लोग मुजरिमों को और अन्याय को बढ़ावा दे रहे हैं। शाइस्ता ने सवाल किया कि जब मुस्लिम औरतों पर अत्याचार हो रहा है तो वो कहां जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि वो दिन जरूर आएगा जब हिंदुस्तान का संविधान और सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम महिलाों के लिए एक दिन ऐसा कानून जरूर बनाएगा जो पूरी दुनिया में मिसाल साबित होगा।

 

पर जो शाइस्ता अम्बर ने कहा, उसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे
लाइव: http://aajtak.intoday.in 

आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से ट्रिपल तलाक पर बहस चल रही है। जहां सरकार इसे खत्म करना चाह रही है तो वहीं कुछ मुस्लिम संगठन इसे शरियत का हिस्सा बताकर इसका बचाव कर रहे हैं।

source : http://www.jansatta.com/rajya/uttar-pradesh/lucknow/aimplw-women-president-shaishta-ambars-statement-on-triple-talaq-issue/316219/

Muslim woman in Meerut gives triple talaq to her ‘abusive’ husband

Muslim woman in Meerut gives triple talaq to her ‘abusive’ husband

Accompanied by Hindu Mahasabha activists and her sister, Amreen told reporters and the zonal inspector general that her husband Sabir used to torture her for dowry.

triple talaq

Amreen, Nizamuddin of Narheda village of Kharkhauda, alleged that her husband Sabir had been torturing her for dowry, and has vowed to meet the Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath.(AP FILE PHOTO/REPRESENTATIVE PICTURE)

A Muslim woman in Meerut announced separation from her “abusive” husband using triple talaq, a provision reserved for men of the community to divorce their wives.

Accompanied by Hindu Mahasabha activists and her sister, Amreen made the announcement in front of mediapersons at the office of inspector general (IG), Meerut zone, Ajay Anand on Wednesday.

Among certain controversial religious practices among Muslims, triple talaq—a provision by which a Muslim man can divorce his wife by pronouncing the word talaq thrice—has been opposed by the BJP-led Centre, terming the practice unequal and discriminatory against women, and impacting their dignity and right to life, provided in the Constitution.

However, the All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) has criticised the move, saying the BJP was trying to impose a uniform civil code in the country, to which Prime Minister Narendra Modi had urged Muslims not to view the issue through a “political lens”.

A five-judge constitution bench of the Supreme Court will commence hearing from May 11 to decide on the constitutional validity of the practices of ‘triple talaq’, ‘nikah halala’ and polygamy among Muslims.

Amreen, daughter of Nizamuddin of Narheda village in Uttar Pradesh’s Kharkhauda, had married Sabir of Ladpura village on March 28, 2012. On the same day, her sister Farheen had married Sabir’s brother, Shakir.

Both the sisters claimed their husbands used to torture them for dowry. Farheen said she had gotten divorced in September last year. After that, Amreen said her husband started torturing her too.

“One day, they tried to burn me by throwing kerosene oil on me. I was saved by the neighbours,” she claimed.

She approached police but got no help. Left with no choice, she came to IG office with Hindu Mahasabha activists on Wednesday.

The IG, Ajay Anand gave them a patient hearing and assured help, but they were not satisfied and declared that they would meet chief minister Yogi Adityanath and share their grief with him.

Amreen has also filed a case of dowry harassment against Sabir.

source: http://www.hindustantimes.com/lucknow/meerut-woman-gives-triple-talaq-to-her-abusive-husband/story-4e3Y4y1cEumkPht4lsP1ZJ.html

महिला ने कहा मैं देना चाहती हूं अपने शौहर को तीन तलाक, जो हक मर्द को है वो मुझे भी मिले

महिला ने कहा मैं देना चाहती हूं अपने शौहर को तीन तलाक, जो हक मर्द को है वो मुझे भी मिले

देशभर में गर्माया हुआ मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है।

पति को तीन तलाक देना चाहती है अमरीन (Source: ANI)

देशभर में तीन तलाक के मुद्दे को लेकर लंबे समय से काफी गर्म बहस चल रही है। वहीं यह मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। ताजा मामला मेरठ का है। हालांकि यहां पर महिला को तलाक नहीं दिया गया है बल्कि वह अपने पति को तलाक देना चाहती है। समाचार एजंसी एएनआई के मुताबिक यह जानकारी सामने आ रही है। मेरठ की अमरीन ने बातचीत में यह दावा किया है। एएनआई के मुताबिक अमरीन ने कहा कि वह अपने पति को तीन तलाक देना चाहती है, क्योंकि पति ने अमरीन और उसकी बच्चे को अपने साथ रखने से मना कर दिया है। इसके अलावा अमरीन ने यह दावा भी किया है कि उसके पति के भाई ने अमरीन और उसकी बहन के साथ पैसों के लिए मारपीट की थी।

अमरीन ने कहा कि अपने पति से छुटकारा पाना चाहती है। उसने कहा- “मैं तीन तलाक का इस्तेमाल कर अपने पति से ठीक वैसे ही छुटकारा पाना चाहती हूं जैसे मर्द हमेशा औरतों से छुटकारा पाते हैं। मैं उसे तीन तलाक देना चाहती हूं।” खबर के मुताबिक अमरीन ने अपने शौहर को तीन तलाक देने की बात कर जो हक किसी मर्द को मिलते हैं उनकी मांग की है।

Meerut:Want to give to my husband since he has denied to keep me&my child,after his brother beat me&my sister for money-Amreen

Meerut:Want to give to my husband since he has denied to keep me&my child,after his brother beat me&my sister for money-Amreen pic.twitter.com/obSmwI98iC

I want to give to my husband and get rid of him the same way as men do away with women using triple talaq: Amreen

बता दें तीन तलाक के मुद्दे को लेकर हाल ही में काफी सारी खबरें सामने आई हैं जिससे यह मुद्दा गरमा गया है। खुद पीएम मोदी ने भी बीते महीने कहा था कि तीन तलाक के मुद्दे का राजनैतिकरण नहीं होना चाहिए। उन्होंने मुस्लिम समाज से लोगों से आगे आकर महिलाओं के हक के लिए लड़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि हर महिला को अपनी बात कहने का हक है। इसके अलावा पीएम ने कहा था- “मुस्लिम समाज से प्रबुद्ध लोग आगे आएंगे। मुस्लिम बेटियों पर जो के साथ जो गुजर रहा है उसके खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। रास्ता निकालेंगे।”।

source :http://www.jansatta.com/rajya/meerut-women-wants-to-give-triple-talaq-to-her-husband-demands-same-rights-as-of-a-men/315085/

हदीस : दुष्ट विचार एवं दुष्कर्म

दुष्ट विचार एवं दुष्कर्म

मुसलमान अपने अल्लाह का लाडला बेटा है, साथ ही बिगड़ैल बच्चा भी। उसका अतीत यदि अच्छा नहीं है तो भुला दिया जाता है और भविष्य के बारे में उसे निश्चित आश्वासन दिया जाता है। उसके लिए ऐसी अनेक बातों की इजाजत होती है, जिनकी इजाजत किसी बहुदेववादी को नहीं होती-यहां तक कि आसमानी किताब वाले यहूदी या ईसाई को भी नहीं होती। यीशु ने ”आंखों द्वारा व्यभिचार“ के बारे में कहा और उसे कामुकता के अधिक दृष्टिगोचर रूपों की ही भांति बुरा माना। लेकिन मुहम्मद ने अपने अनुयायियों के लिए बहुत ज्यादा गुंजाइश रखी है-”वास्तव में अल्लाह मेरे अनुयायियों के हृदय में उठने वाले बुरे भावों को तब तक माफ करता रहता है, जब तक कि वे वाणी या आचरण में प्रकट न हो“ (230)। भारत की आध्यात्मिक परम्परा में यही विचार अधिक सार्वभौम तथा कम पक्षपात वाली भाषा में अभिव्यक्त हुआ है। मानवीय दुर्बलताएं जानने के कारण ईश्वर मनुष्यों की चूकें तथा विफलताएं क्षमा कर देता है और उनकी शक्ति तथा सत्प्रवृत्तियों को बढ़ाता है। ईश्वरवाद के प्रति रोजे ज्यादा नहीं रख पाती कि पैगम्बर के हुक्म के अनुसार उनके लिए रोजे से ज्यादा सवाब का काम है अपने पतियों के प्रति अपना फर्ज अदा करना पैगम्बर की बीवी आयशा ने ”अल्लाह के रसूल का लिहाज रखते हुए“ कई बार रोजे नहीं रखे (2550)। पर ऐसा लगता है कि औरतों की खूबी ही उनकी खामी बन जाती है, उनके लिए लानत पूर्वनियत है।1

 

HADEES:BODILY FUNCTIONS

BODILY FUNCTIONS

Now Muhammad takes us to the toilet.  He forbids his followers �to face the qibla [i.e., toward the mosque at Mecca] at the time of excretion or urination, or cleansing with right hand or with less than three pebbles� (504).

Cleansing after excretion must be done an �odd number of times� (460), and one must not use �dung or bone� (505) for this purpose.  There is a story explaining why the use of bones and dung is forbidden.  Muhammad once spent a night with jinns (genii) reciting the QurAn to them.  When they asked him about their provision of food, he told them: �Every bone on which the name of Allah is recited is your provision.  The time it will fall in your hand it would be covered with flesh, and the dung of the camels is fodder for your animals.� He therefore told his followers: �Don�t perform istinjAwith these things for these are the food of your brothers� (903).

He also tells his followers: �When anyone amongst you enters the privy, he must not touch the penis with his right hand� (512).

�Aisha tells us that the �Messenger of Allah loved to start from the right-hand side in his every act, i.e., in wearing shoes, in combing, and in performing ablution� (515).

author : ram swarup

Pak hospital forces non-Muslim staffers to recite Quran verses

Pak hospital forces non-Muslim staffers to recite Quran verses

The staffers have to either recite verses from the Holy Quran or be marked absent for the day…

The administration of a government- run hospital here forces its non-Muslim staffers to either recite verses from the Holy Quran at morning assembly or be marked absent for the day, a Pakistan media report said today.

The issue came to light when Mian Mir Hospital, run by the City District Government Lahore, Medical Superintendent Dr Muhammad Sarfraz allegedly slapped a Christian paramedical staffer for not attending the assembly, the Express Tribune reported.

Following the incident, all paramedical staff protested against the superintendent and other hospital administration by shutting down all functions of the medical facility.

“This act of the MS is a violation of the Constitution of Pakistan,” a Christian paramedical staffer, Marshal, was quoted as saying by the paper.

He asked religious scholars to sort out the issue as the hospital administration was pressurising them to leave their jobs.

“It is professional workplace; I don’t know why the administration is forcing our Christian brothers to do this.

This is totally unacceptable,” said another staff Fahad Ahmed.

Meanwhile, City District Government Lahore Health CEO Dr Muhammad Saeed said a high-level committee had been formed to look into the matter and a strict departmental inquiry would be initiated against anyone found guilty.

The hospital was named after Sufi saint Hazrat Mian Mir who rose to prominence during the time of Mughal emperor Jehangir. The saint himself was a big proponent of interfaith harmony.

source: http://www.dnaindia.com/world/report-pak-hospital-forces-non-muslim-staffers-to-recite-quran-verses-2426533

हदीस : इस्लाम से पूर्व के अरब लोग

इस्लाम से पूर्व के अरब लोग

मुस्लिम मीमांसक और लेखक इस्लाम-पूर्व अरब-देश का एक गहन अंधकार मय चित्र प्रस्तुत करने के आदी हैं। वे उसे नैतिक दृष्टि से भ्रष्ट तथा उदारता एवं विशाल-हृदयता से सर्वथा वंचित बतलाते हैं तथा इतिहास के उस कालखंड को ”जाहिलीय्या“ अर्थात ”अज्ञान एवं बर्बरता की दशा“ कहते रहते हैं। उनके अनुसार, प्रत्येक अच्छी बात मुहम्मद के साथ शुरू हुई। परन्तु ऐसी कई हदीस हैं, जो इसके विपरीत स्थिति ही सिद्ध करती हैं। हमें बतलाया जाता है कि हकीम बिन हिज़ाम ने ”अज्ञान की दशा में ही …………….. धार्मिक शुद्धता वाले अनेक कार्य किये“ (222)। एक अन्य हदीस से हमें विदित होता है कि उन्होंने इसी दशा में एक-सौ गुलामों को ”मुक्त किया तथा एक सौ ऊँट दान में दिए“ (225)।

 

सामान्यतः ऐसे सत्कार्यों का पुण्य किसी बहुदेववादी व्यक्ति को नहीं मिलता। पर अगर वह इस्लम अपना लेता है, तब बात ही और हो जाती है। तब उसके कार्यों का सम्पूर्ण स्वरूप बदल जाता है। तब वे व्यर्थ नहीं जाते। वे सुफलदायक हो उठते हैं। उस व्यक्ति को उनका श्रेय मिलता है। मुहम्मद हकीम को भरोसा दिलाते हैं-”तुमने इस्लाम को अपनाया है। पहले के किये गये सभी सत्कार्य तुम्हारे साथ रहेंगे” (223)।

लेखक :  रामस्वरुप

पति के मुंह से तलाक सुन टूटा मुस्लिम महिला का सब्र, सड़क पर दौड़ाकर की जूती से पिटाई

पति के मुंह से तलाक सुन टूटा मुस्लिम महिला का सब्र, सड़क पर दौड़ाकर की जूती से पिटाई

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच मामले पर सहमति बनाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के प्रयासों के बाद भी वर पक्ष इस पर राजी नहीं हुआ। पति और उसके घरवाले तलाक की बात पर अड़े रहे।

मुस्लिम महिला ने पति की पिटाई। (Representative Image)

तीन तलाक का मुद्दा पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। तीन तलाक से परेशान मुस्लिम महिलाएं इस प्रथा को खत्म कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष भी कई बार अपनी आवाज उठा चुकी हैं। इस बीच एक मुस्लिम महिला ने पति के मुंह से तीन तलाक सुनकर उसे सबक सीखाया और जमकर सड़क पर पिटाई की। इस दौरान पति बचने के लिए भागने की कोशिश करता हुआ नजर आया, लेकिन पत्नी उसे छोड़ने के पक्ष में नहीं थी। यह मामला बिहार के दरभंगा जिले के बिरौल थाना क्षेत्र के एक गांव का है। यहां रहने वाले एक शख्स ने दहेज नहीं मिलने के कारण अपने पत्नी को तलाक दे दिया। तलाक देने के बाद यह पीड़िता मामले को लेकर थाने पहुंची। मामला थाने पहुंचने के बाद पुलिस ने पति और उसके घरवालों को थाने बुलाया ताकि मामले में सुलाह की कोशिश की जा सके।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच मामले पर सहमति बनाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के प्रयासों के बाद भी वर पक्ष इस पर राजी नहीं हुआ। पति और उसके घरवाले तलाक की बात पर अड़े रहे। थाने में बैठी महिला सारी बातें सुन रही थी, इसी दौरान पति के मुंह से ऊंची आवाज में तलाक की बात सुनकर उसका सब्र का बांध टूट गया। इससे गुस्साई महिला ने पति को थाने में पुलिस वालों के सामने ही जूते से पीटना शुरू कर दिया। महिला द्वारा इस तरह की प्रतिक्रिया सामने आने के बाद पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए। महिला की किसी तरह से थाने से बाहर आया तो पत्नी भी उसके पीछे सड़क पर आ गई। उसने सड़क पर भी पति की पिटाई की।

गौरतलब है कि तीन तलाक, निकाह हलाला जैसे मुद्दों को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 मई से सुनवाई शुरू करेगी। इन मामलों की सुनवाई को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने आपत्ति जताई थी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इन प्रथाओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये मसले न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र से बाहर के हैं।

source:

http://www.jansatta.com/rajya/bihar-muslim-woman-beats-husband-after-hear-tripple-talaq/314499/

hdees: THE FIVE ACTS (Fitra)

THE FIVE ACTS (Fitra)

There are nine ahAdIs (495-503) on five acts natural to man and proper to Islam: circumcision, shaving the pubes, cutting the nails, plucking the hair under the armpits, and clipping the moustache.

About the moustache and the beard, the Prophet said: �Act against the polytheists, trim closely the moustache and grow beard� (500).  The next hadIs substitutes the word �fire-worshippers� for �polytheists.� The translator provides the rationale for this injunction: �Islam created a new brotherhood on the basis of belief and good conduct. . . . For the identification of faces, the Muslims have been ordered to trim the moustache and wear the beard, so that they may be distinguished from the non-Muslims who grow a moustache and shave beard� (note 471).

author : ram swarup