Category Archives: आचार्य श्रीराम आर्य जी

कुरान समीक्षा : जन्नत में दूध-शराब और शहद की नहरें हैं

जन्नत में दूध-शराब और शहद की नहरें हैं

बहिश्त के अन्दर नहरों में दूध ऊँटनी का होगा या बकरी, भेड़ या कुतिया का होगा अर्थात् किस जानवर का होगा? शराब जौ या अंगूर की होगी या महुए की?

शहद चाशनी का होगा या बड़ी शहद की मक्खी का होगा? और उन सबकों तैयार या इकट्ठा कौन करेगा? खुदा या फरिश्ते?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

म- सलुल् जन्नतिल्लती वुअिदल्………….।।

(कुरान मजीद पारा २६ सूरा मुहम्मद रूकू २ आयत १५)

जिस जन्नत (बहिश्त) का वायदा परहेजगारों से किया जाता है, उसकी कैफियत अर्थात् विशेषता यह है कि उसमें ऐसे पानी की नहरें हैं जिसमें बू नहीं और दूध की नहरें हैं जिनका स्वाद नहीं बदला और शराब की नहरें हैं जो पीने वालों को बहुत ही मजेदार मालूम होंगी और साफ शहद की नहरें हैं और उनके लिये वहां हर तरह के मेवे होंगे।

समीक्षा

यह दूध ऊटनी का होगा या भैंसों, गायों या बकरी का होगा? शराब अंगूरी होगी या जौ की बनी होगी? यह नहीं खोला गया। नहरें खेद कर बनाई जाती हैं जबकि नदियां कुदरती तौर पर बनती हैं। यह नहरें खुदा ने खोद कर बनाई थी या किसी और ने नहरों की मिट्टी कीचड़ मिलने से दूध शराब और शहद का जायका किरकिरा जरूर बन जावेगा तब पीने वालों केा उसमें मजा कैसे आवेगा?

कुरानी बहिश्त भी शराबखोरी का अड्डा ही होगा, यह ऊपर की आयत से स्पष्ट हो जाता है।

कुरान समीक्षा : कुरान को मुहम्मद ने खुद बनाना मान लिया

कुरान को मुहम्मद ने खुद बनाना मान लिया

क्या मुहम्मद साहब का यह बयान मजबूर होकर सत्य को स्वीकार करता नहीं है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

अम् यकूलून फ्तराहु कुल् इनिफ्………….।।

(कुरान मजीद पारा २६ सूरा अह्काफ रूकू १ आयत ८)

क्या यह कहते हैं कि इसको इसने (अपने दिल से) बना लिया है, तू कह कि अगर मैंने इसको अपने दिल से बनाया होगा तो तुम खुदा के मुकाबिले में मेरा कुछ नहीं कर सकते।

समीक्षा

आखिरकार मुहम्मद साहब ने कुरान को खुद बनाना मान ही लिया जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।

कुरान समीक्षा : खुदा का दफ्तर भी है

खुदा का दफ्तर भी है

खुदा का दफ्तर, मुहाफिजखाला, कचहरी किस स्थान पर है? पता लगाकर यह भी बतावें कि वह कहीं रूसी अमरीकी राकेटों से बिस्मार अर्थात् नष्ट तो नहीं हो गये?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

हाजा किताबुना यन्तिकु अलैकुम्…………।।

(कुरान मजीद पारा २५ सूरा जासिया रूकू ४ आयत २९)

यह हमारे दफ्तर की किताब है जो तुम्हारे काम ठीक-ठीक बतलाता है। जो कुछ तुम करते थे हम उनको लिखवाते जाते थे।

समीक्षा

खुदा के यहाँ दफ्तर भी हैं, उनमें क्लर्क रहते हैं, जो हिसाब किताब ठीक रखते हैं। शायद दफ्तरों (मुहाफिज खानों) की रक्षा के के लिए दरोगा सिपाही भी तैनात रहते होंगे। खुदा उनको सरकारी वर्दियाँ भी देता होगा। रक्षा के लिए ३०३ नं० की लम्बी मार की राइफल भी उनको दी जाती होगी। खुदा भी एक तहसीलदार साहब से किसी बात में कम नहीं था।

कुरान समीक्षा : खुदा ने गुमराह किया

खुदा ने गुमराह किया

बतावें कि गुमराह करने वाला खुदा मुल्जिम क्यों नहीं है और जिसे उसने गुमराह किया उसें दोषी मानना अन्याय क्यों नहीं है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

अ-फ-रऐ-त-मनित्त-ख-ज इलाहहू…………।।

(कुरान मजीद पारा २५ सूरा जासिया रूकू ३ आयज २३)

ऐ पैगम्बर! भला देखो तो जिसने अपनी ख्वाहिशों को अपना पूजित ठहराया और इल्म होते हुए भी अल्लह ने उसें गुमराह कर दिया और उसके कानों पर और उसके दिल पर मुहर लगा दीं और उसकी आंखों पर पर्दा डाल दिया तो खुदा के (गुमराह किये) पीछे कौन उसको हिदायत दे? क्या तुम नहीं सोचते।

समीक्षा

अगर कोई आदमी अपनी पसन्द के अनुसार किसी की उपासना करे तो अरबी खुदा जल भुन कर उसके दिलो दिमाग पर मोहर कर देता है कि वह सही रास्ता न अपना सके। ऐसे बुरे खुदा को मानने वाले दया के पात्र हैं।

कुरान समीक्षा : हर आदमी का हाल दो-दो फरिश्ते लिखते रहते हैं

हर आदमी का हाल दो-दो फरिश्ते लिखते रहते हैं

इन दो फरिश्तो के हर व्यक्ति का हाल लिखते रहने ही मिथ्या कल्पना को सत्य साबित करें?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

अम् यह-सबू-न अन्ना ला नस्मअु ………..।।

(कुरान मजीद पारा २५ सूरा जुरूरूफ रूकू ७ आयत ८०)

क्या ये लोग यह ख्याल करते हैं कि हम इनके भेद और मशविरें नहीं जानते, हां-हां हम सब जानते है और हमारे फरिश्ते उनके पास सब बातों को लिख लेते हैं ।

समीक्षा

खुदा ने हर आदमी पर दो-दो फरिश्ते लगा रखे हैं जो उसके हर काम को लिखते रहते हैं और उसकी रिपोर्ट खुदा को देते रहते हैं ऐसा कुरान व इस्लाम मानता है

कुरान समीक्षा : खुदा का गुस्सा होना

खुदा का गुस्सा होना

गुस्सा होना, स्वभाव से क्रोधी होना यह दिमागी बीमारी होती है। क्या खुदा भी उस बीमारी का शिकार है? होम्योपैथिक में ‘‘कैमोमिला’’ नाम की दवा खिलाने से यह बीमारी मिट जाती है? क्या आलिमाने कुरान खुदावन्द को उस दिमागी रोग से इस दवा देकर रोग मुक्त करके उसका उपचार की कृपा करेंगे? इससे दुनियां का भी भला हो सकेगा। खुदा की दिमागी उत्तेजना शान्त हो जावेगी जिससे वह अपने फैसले ठंडे दिमाग से कर सकेगा।

फ-लम्मा आसफू-नन्-त-कम्ना………..।।

(कुरान मजीद पारा २५ सूरा जुरूरूफ रूकू ५ आयत ५५)

फिर जब उन लोगों ने हमको गुस्सा दिलाया, हमने इनसे बदला लिया, फिर इन सबको डूबो दिया।

समीक्षा

खुदा को भी गुस्सा आ जाता था, और बदला ले बैठता था, उसका दिमाग भी ठण्डा नहीं था, खुदा का अपने गुस्से पर भी काबू न था, हो सकता है खुदा को अय्याशी का शौक हो, शराब भी पीता हो, पर कुरान में इन बातों का जिकर नहीं है।

मुन्सिफ को तो शान्त दिमाग का होना चाहिए। क्रोधी, कामी लोभी, मोही होना तो बुराई की बात है।

कुरान समीक्षा : खुदा शैतान पीछे लगा देता है

खुदा शैतान पीछे लगा देता है

जब लोगों को गुमराह करने के लिए स्वयं खुदा उनके पीछे शैतान की तरह लगातार रहता है तो खुदा डबल शैतान हुआ या नहीं? गुनहगार दोनों में से कौन हुआ?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व मंय्यअ्-शु अन् जिक्रिर्-रह्मानि………..।।

(कुरान मजीद पारा २५ सूरा जुरूरूफ रूकू ४ आयत ३६)

और जो शख्स खुदा कृपालु की याद से बरगलाता है हम उस पर एक शैतान मुकर्रर कर दिया करते हैं और वह शैतान बरगलाने के लिए हमेशा उसके साथ रहता है।

व इन्नहुम् ल-य सुद्दूहुम्……….।।

(कुरान मजीद परा २५ सूरा जुरूरूफ रूकू ४ आयत ३७)

और शैतान पापियों को सीधी राह से रोकता है और वे समझते हैं कि हम सीधे रास्ते पर हैं। क्या तुमने नहीं देखा कि हमने शैतानों को काफिरों पर छोड़ रखा है कि वह उनको उकसाते रहें।

समीक्षा

गलत रास्ते पर चलने वालों को नेक रास्ता बताना खुदा को योग्य था। पर वह भला आदमी भूले भटके लोगों को गुमराह कराने के लिए उस बदमाश शैतान को उनके पीछे लगा देता है ताकि वह उन्हें हमेशा बुराई की ओर ही ले जाता रहे। अरबी खुदा इन्सान का पक्का दुश्मन था उसके काम सभी शरारत के ही रहे हैं कहीं खुदा लोगों को गुमराह बिना वजह करता है, कहीं शैतान से गुमराह कराता है। ऐसे खुदा को रक्षक मानना भी गलती की ही बात है।

कुरान समीक्षा : कुरान में झूठ का प्रवेश नहीं है

कुरान में झूठ का प्रवेश नहीं है

कुरान में झूठ का प्रवेश नहीं है यह दावा क्यों न गलत माना जावे? जबकि कुरान में-

आसमान में ओलों के पहाड़ जमे होने की बात

कागज की तरह आसमान का लपेटना

आसमान में बुर्ज है

आदि अनेक स्थल सर्वथा काल्पनिक लिखे हुए मिलते हैं?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

इन्नल्लजी-न क-फरू बिज्जिविर…….।।

(कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम अस-सज्दा रूकू ५ आयत ४१)

यह कुरान एक बुलन्द मर्तबा अर्थात क्या अजीब किताब (कुरान) है।

ला यअ्तीहिल्-बातिलु मिम्बैनि……….।।

(कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम अस-सज्दा रूकू ५ आयत ४२)

इसमें झूठ का न इसके आगे से और न इसके पीछे से दखल है । हिकमत वाले खुदा ने इसें सब खूबियों के सहारे से उतारी हुई है।

समीक्षा

इस किताब में पीछे जो भी अवैज्ञानिक बातों को कुरान से उल्लेख है उनसे कुरान की इस आयत के दावे का खण्डन स्वयं ही हो जाता हैं ।

कुरान समीक्षा : बुराई का बदला अच्छे बर्ताव से दो

बुराई का बदला अच्छे बर्ताव से दो

बुराई का बदला नेकी से देने की खुदा की बात, बुराई का बदला बुराई से देने के कुरान पारा ४ सूरे बकर रकू २२ आयत १७८ के आदेश के विरूद्ध क्यों है? दोनों में से कुरान की कौन सी बात सही व कौन सी गलत है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व ला तस्तविल्-ह-स-नतु व………….।।

(कुरान मजीद पारा २४ सूरा अस-सज्दा रूकू २२ आयत ३४)

नेकी और बदी बराबर नहीं हो सकती। बुराई का बदला अच्छे बर्ताव से दे तो तुझमें और जिस आदमी में दुश्मनी थी उसे तू पक्का दोस्त पावेगा।

नोट- यह उपदेश अति उत्तम है, किन्तु खुदा के हुक्म के बिल्कुल खिलाफ है जिसमें उसने कहा था-

या अय्युउल्लजी-न आमनू कुति-ब……….।।

(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू २२ आयत १७८)

ऐ ईमान वालों! जो लोग मारे जावे उनमें से तुमको जान के बदले जान का हुक्म दिया जाता है । आजाद के बदले आजाद, गुलाम के बदले गुलाम, औरत के बदले औरत आदि-आदि।

‘‘लाजपत राय अग्रवाल’’

समीक्षा

एक जगह बुराई के बदले बुराई करने का हुक्म देना और दूसरी जगह बुराई का बदला भलाई से देना, इन दोनों में परस्पर विरोधी उपदेशों में से कौन सा माननीय है? खुदा को तो एक ही अच्छी बात कहनी चाहिये थी।

कुरान समीक्षा : खुदा का जमीन और आसमान से बाते करना

खुदा का जमीन और आसमान से बाते करना

साबित करें कि क्या बेजान पदार्थों से बातें करना सम्भव हो सकता है? जो कुछ चीज ही नहीं है जैसे आसमान, उससे बातें कैसे की जा सकती हैं और वह जवाब कैसे दे सकता है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

सुम्मस्तवा इलस्समा-इ व हि-य…………।।

(कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम अस-सज्दा रूकू २ आयत ११)

जमीन और आसमान दोनों से कहा कि तुम दोनो आओ चाहे खुशी से या लाचारी से? दोनों ने कहा- हम खुशी से आये।

समीक्षा

खुदा का जमीन और आसमान से बातें करना और उनका जवाब देना असम्भव है?

अगर ठीक है तो भक्तों का अपनी बेजान मूर्तियों से बातें करना मनौती मांगना भी क्यों न ठीक माना जावेगा?