Category Archives: आचार्य श्रीराम आर्य जी

कुरान समीक्षा : मुश्रिक अर्थात् मूर्तिपूजक खुदा की मर्जी से बने थे

मुश्रिक अर्थात् मूर्तिपूजक खुदा की मर्जी से बने थे

जब खुदा मर्जी से ही मुश्रिक बने थे तो उनको कत्ल कराने के हुक्म कुरान पारा १० सूरे तोबा रूकू १ आयत ५ में कुरान के अन्दर अरबी ‘‘जालिम खुदा’’ ने क्यों दिये हैं? बतावें कि इस खुदा का दिमाक सही था या नहीं?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व लो शा- अल्लाह मा अश्रकू………………।।

(कुरापन मजीद पारा ८ सूरा अन्आम रूकू १३ आयत १०७)

अगर खुदा चाहता तो वे शरीक ने ठहराते और हमने तुमको इस पर निगाहवान नहीं किया और न तुम इन पर वकील हो।

समीक्षा

जब लोग खुदा के बनाने या उसकी मर्जी से ही मुश्रिक बने थे तो फिर उनको पारा १० सूरते तोबा आयत ५ में कुरान के अन्दर काफिर और कत्ल करने योग्य अरबी खुदा ने क्यों बताया है? ये कुरानी खुदा भी क्या अजीब खुदा था लोगों को गुमराह भी करता था और फिर उन्होने कत्ल भी करता था ।

कुरान समीक्षा : कुरान मक्का वालों को डराने के लिए उतारा था

कुरान मक्का वालों को डराने के लिए उतारा था

खुदा की अरबी लोगों से क्या दुश्मनी थी कि उसने उनको ही डराने को कुरान भेजा था? उसने डराने के बजाय अच्छी नसीहतों वाली प्रेम प्रचारक किताब क्यों नहीं भेजी जिससे सभी उससे प्रेम करने लगते?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व हाजा किताबुत् अन्जल्नाहु……….।।

(कुरान मजीद पारा ७ सूरा अन्आम रूकू ११ आयत ९२)

कुरान मक्का और उसके आसपास रहने वालों को डराने के लिए उतारा था, देखिये खुदा का बयान है कि-

….और यह किताब आसमानी है, जिसको हमने उतारा है बरकत वाली है और जो किताबें इससे पहले की हैं उनकी तफसील अर्थात् व्याख्या करती है और ऐ पैगम्बर हमने इसको इस वजह से उतारा है कि तुम मक्का वालों को और जो लोग उसके आस-पास रहते हैं उनको डराओ।

कुरान समीक्षा : खुदा ने बेशुमार पैगम्बर भेजे थे

खुदा ने बेशुमार पैगम्बर भेजे थे

क्या खुदा ने सारे पैगम्बर अरब में ही भेजे थे या दुनियाँ के और देशों में भी भेजे थे? भारत, चीन, अफ्रीका, अमेरीका में कौन-कौन से पैगम्बर आये थे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व ल-कद् अर्सल्ना इला उममिम्मिन्……….।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा अन्आम स्कू ५ आयत ४२)

…तुमसे पहले बहुत अम्मतों अर्थात् संगतों की तरफ पेगम्बर भेजे थे।

समीक्षा

कृपया बतावें कि भारतवर्ष-अफ्रीका-चीन-जापान अमरीका आदि देशों में खुदा ने कौन-कौन से पैगम्बर और खुदाई किताबें भेजी थी? यदि नहीं भेजी तो आखिर क्यों?

क्या खुदा का सारा प्यार अरब के रेगिस्तानी बाशिन्दों पर ही हमेशा उमड़ता रहा था?

फ्र इन हाज्जू- क फ-कुल् अस्लम्तु………..।।

(कुरान मजीद पारा ३ सूरा आले इम्रान रूकू २ आयत २०)

नोट- जबकि उपरोक्त कुरान पारा ३ आलेइम्रान आयत २० में अरब वालों को खुदा ने अनपढ़ अर्थात् जाहिल घोषित किया है।

‘‘लाजपत राय अग्रवाल’’

कुरान समीक्षा : खुदा ही लोगों को भटकाता है

खुदा ही लोगों को भटकाता है

जब खुदा ही लोगों को बिना वजह भटकाता है तो डबल शैतान हुआ या नहीं? तब मुसलमान शैतान को हीं दोष क्यों देते हैं?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

वल्लजी-न कज्जबू बिआयातिना………….।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा अनआम रूकू ५ आयत ३९)

……खुदा जिसे चाहे उसें भटका दे और जिसे चाहे उसे सीधे रास्ते पर लगा दे।

समीक्षा

अरबी खुदा को लोग इसलिये जालिम और अन्यायी कहते हैं कि वह बिना वजह भोले भाले  लोगों को भटका देता है और इन्सान को गुमराह करने की वजह से वह उसका पक्का दुश्मन है।

कुरान समीक्षा : बिना खुदा की मर्जी के कोई सीधे रास्ते पर नहीं आ सकता

बिना खुदा की मर्जी के कोई सीधे रास्ते पर नहीं आ सकता

जब सब कुछ खुदा की मर्जी पर निर्भर ही करता है तो खुदा सबको सीधे रास्ते पर क्यो नहीं लगा देता ? क्या उसे किसी से डर लगता है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व इन का-न कबु-र अलै-क………….।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा अन्आम रूकू ४ आयत ३५)

और अगर खुदा को मन्जूर होता तो इनको सीधे रास्ते पर राजी कर देता तो देखो तुम कहीं मूर्खों में न हो जाना।

समीक्षा

मुसलमानों को चाहिए कि पहले खुदा की मर्जी मालूम कर लें उसके बाद लोगों को इस्लाम का उपदेश दिया करें। अगर खुदा चाहेगा तो लोग खुद ब खुद मुसलमान बनने को उसके पास चले आवेंगे! वरना उनकी मेहनत बेकार जावेगी।

कुरान समीक्षा : ईसा के बारे में गलत ब्यान

ईसा के बारे में गलत ब्यान

इन्जील के विरूद्ध होने से यह कुरान की बात अमान्य क्यों नहीं है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

इज् कालल्लाहु या अीसब्-न…………….।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू १४ आयत ११०)

उस दिन अल्लाह कहेगा कि ऐ मरियम के बेटे ईसा!……….जबकि तुम हमारे हुक्म से चिड़िया की सूरत मिट्टी से बनाते फिरे उसमें फूंक मार देते थे तो वह हमारे हुक्म से पक्षी बनकर उड़ जाती थी………।

समीक्षा

कुरानी खुदा का यह बयान सर्वथा मिथ्या है। ईसा ने कभी मिट्टी की चिड़िया बनाकर उसमें फूंक मार कर जिन्दा नहीं की थी। इन्जील में या इतिहास में इसकी कोई मिसाल नहीं दी है।

कुरान समीक्षा : शराब की निन्दा

शराब की निदा

कुरान पारा १४ सूरे नहल रूकू ९ आयत ६७ में खुदा ने शराब की प्रशंसा की है और यहां निन्दा की है। बतावें खुदा की परस्पर विरोधी बातें जिस किताब में हो उसे प्रमाणिक कैसे माना जा सकता है? परस्पर विरोधी बातें कहने वाले बुद्धिमान होंगे या ना समझ माने जावेंगे ?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अय्युहल्लजी-न आमनू………..।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू १२ आयत ६४)

मुसलमानों! शराब, जुआ, बुत और पासे (इनका प्रयोग) यह शैतानी काम हैं इनसे बचो, शायद इससे तुम्हारा भला हो।

समीक्षा

यह ठीक है कि शराब, जुआ, मूर्ति पूजा और पासे खेलेगा गन्दे काम हैं, सभी को इनसे बचना चाहिए। परन्तु जब कुरानी खुदा ही खुदा जन्नत में सोंठ व कपूर मिली हुई कस्तुरी की डाट लगी मजेदार शराब पिलावे में एक लालच दे तो उस भले आदमी को क्या कहा जावे? कुरान में एक जगह शराब की बुराई तथा दूसरी जगह उसकी तारीफ करना यह अरबी खुदा की अक्ल की विशेषता है। बुतपरस्ती अर्थात् मूर्तिपूजा जब पाप है तो हज्ज में ‘‘संगे असवद’’ पत्थर का बोसा लेने वाले काफिर क्यों न मानें जावें?

नोट- भईयों! यह दुरंगी चाल खुदा को क्या साबित करती है? खुद ही सोचें।

कुरान समीक्षा : खुदा के दो हाथ हैं

खुदा के दो हाथ हैं

जब खुदा के दो हाथ हैं तो पैर सिर मुहं कितने-कितने हैं। क्या वह आदमी जैसी शक्ल का है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व कालातिल्-यहू दु यदुल्लाहि…………।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ९ आयत ६४)

…खुदा के दो हाथ फैले हुए हैं।

समीक्षा

रावण के बीस हाथ थे, सहस्त्रबाहु के हिन्दू हजार हाथ मानते है, विष्णु के चार हाथ तथा शक्ति के आठ हाथ माने जाते हैं, पर कुरान के अरबी खुदा के सिर्फ दो ही हाथ थे। इस कल्पना में  हिन्दू लोग अरबी मुसलमानों से बाजी मार ले गसे और जीत में रहे।

कुरान समीक्षा : यहूदी व ईसाई मुसलमानों के खुले दुश्मन हैं

यहूदी व ईसाई मुसलमानों के खुले दुश्मन हैं

यहूदी-ईसाई-मुशरिक-गैर मुस्लिम सभी को जब खुदा ने मुसलमानों का दुश्मन घोषित कर दिया और सभी से नफरत करने को कहा है तो उसका मतलब है कि खुदा मुसलमानों का दुनियाँ में बहिष्कार करना चाहता था। बतावें तब अरबी खुदा मुसलमानों को दुश्मन हुआ या दोस्त? यदि दोस्त हुआ तो कैसे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अय्युहल्लजी-न आमनू ला…………।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ७ आयत ५१)

मुसलमान! यहूद और ईसाइयों को मित्र न बनाओ।

या अय्युहल्लजी-न आमनू…………..।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा स्कू ८ आयत ५७)

…..और काफिरों को दोस्त मत बनाओ।

समीक्षा

अरबी खुदा चाहता है कि मुसलमान दुनियां में किसी को भी दोस्त न समझें। अर्थात् उनको भी संसार अपना दुश्मन समझकर उनसे घृणा करने लगे यदि संसार की सभी कौम, मुसलमानों का पूर्ण बहिष्कार सामाजिक आर्थिक व राजनैतिक तौर पर कर दें तो खुदा की पूरी ताकत लगाने पर भी मुसलमान दुनियां से मिट जावेंगे । अरबी खुदा मुसलमानों का साक्षात शत्रु था तो उन्हें ऐसा हुक्म उसने दिया।

कुरान समीक्षा : खुदा चाहता तो सबको एक ही दीन पर कर देता

खुदा चाहता तो सबको एक ही दीन पर कर देता

जब खुदा ने खुद ही सबको मुसलमान बनाना न चाहा तो फिर कुरान में लोगों को लड़-लड़कर मुसलमान बनाने का हुक्म क्यों दिया?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व अन्जल्ला इलैकल्-किताब-ब…………।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू ७ आयत ४८)

….और अगर अल्लाह चाहता तो तुम सबको एक ही दीन पर कर देता। लेकिन यह चाहा गया है कि अल्लाह ने जो तुम्हें हुक्म दिये हैं उनमें तुमको आजमाये! सो तुम ठीक कामों की तरफ चलो।

समीक्षा

खुदा अगर सभी को एक ही दीन पर कर देता तो दुनियां में मारकाट झगड़े फिसाद जो इस्लाम ने मजहबी प्रचार के लिए फैलाए, वह न फैलते और सब सुखी रहते, मगर खुदा ने जानबुझकर सबको आजमाया जाये। बिचारा अरबी खुदा बिना आमाये लोगों को जांच भी नहीं पाता था फिर कौन नेक है और कौन बद है? खुदा का ज्ञान बहुत थोड़ा था, आखिर इस स्थिति में वह करता भी क्या ?