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कुरान समीक्षा : शराब की निन्दा

शराब की निदा

कुरान पारा १४ सूरे नहल रूकू ९ आयत ६७ में खुदा ने शराब की प्रशंसा की है और यहां निन्दा की है। बतावें खुदा की परस्पर विरोधी बातें जिस किताब में हो उसे प्रमाणिक कैसे माना जा सकता है? परस्पर विरोधी बातें कहने वाले बुद्धिमान होंगे या ना समझ माने जावेंगे ?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

या अय्युहल्लजी-न आमनू………..।।

(कुरान मजीद पारा ६ सूरा मायदा रूकू १२ आयत ६४)

मुसलमानों! शराब, जुआ, बुत और पासे (इनका प्रयोग) यह शैतानी काम हैं इनसे बचो, शायद इससे तुम्हारा भला हो।

समीक्षा

यह ठीक है कि शराब, जुआ, मूर्ति पूजा और पासे खेलेगा गन्दे काम हैं, सभी को इनसे बचना चाहिए। परन्तु जब कुरानी खुदा ही खुदा जन्नत में सोंठ व कपूर मिली हुई कस्तुरी की डाट लगी मजेदार शराब पिलावे में एक लालच दे तो उस भले आदमी को क्या कहा जावे? कुरान में एक जगह शराब की बुराई तथा दूसरी जगह उसकी तारीफ करना यह अरबी खुदा की अक्ल की विशेषता है। बुतपरस्ती अर्थात् मूर्तिपूजा जब पाप है तो हज्ज में ‘‘संगे असवद’’ पत्थर का बोसा लेने वाले काफिर क्यों न मानें जावें?

नोट- भईयों! यह दुरंगी चाल खुदा को क्या साबित करती है? खुद ही सोचें।