उम्र से लड़ती आधुनिकायें
तरह-तरह से आयु छिपायें,
कभी-कभी इन की चेष्टायें
अति उपहास्यास्पद हो जायें।
मुझे बताया गया पड़ोसन
बेटे संग न बाहर जाये,
माँ बेटे को साथ देखवय,
का न कहीं अनुमान हो जाये।
यदि हो जाना बहुत जरूरी
पुत्र को देती हिदायत पूरी,
देखो पल्लू पकड़ न चलना,
रखना दस मीटर की दूरी।
एक बार सरकारी काम से
मैंने जन्मतिथि पुछवाई,
तो तारीख बताई केवल
वर्ष की संया नहीं बताई।
वर्ष जानने के आग्रह पर
बोली कुछ गुस्से में आ कर,
फॉर्म में कॉलम जन्मतिथि है,
जन्म वर्ष नहीं छपा वहाँ पर।
बिना वर्ष के कैसे जानूँ
आप हैं बालिग या नाबालिग?
तो बोली ‘मैं कुछ कामों में
बालिग हूँ कुछ में नाबालिग’।
उसने आयु छिपाई मानो,
देह अन्य है, प्राण अन्य हैं।
आखिर पिण्ड छुड़ाया उससे
कह कर ‘मैडम आप धन्य हैं’।
– 86, सैक्टर-46, फरीदाबाद,
हरियाणा-121003