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‘पाठकों की प्रतिक्रिया’

‘पाठकों की प्रतिक्रिया’

– डॉ. रामवीर

कवि की तो इतनी ही अपेक्षा

बस मिल जाए सहृदय श्रोता,

श्रोता अगर सराहे तो फिर

स्वाभाविक है कवि खुश होता।

धन्यवाद आभार आपका

बढा प्रशंसा से उत्साह,

ईश करे पूरी कर पाऊँ

प्रकट आपने की जो चाह।

ईश कृपा ईश्वर ही जाने

कब होगी हम नहीं जानते,

हम उसकी सृष्टि में स्वयं को

इक छोटा-सा पूर्जा मानते।

किस से कितना काम है लेना

ईश्वर ही करता निर्धारित,

हम प्रस्ताव तो रख सकते हैं

उसकी इच्छा करे जो पारित।

आशा है आशीष आपका

यूँ ही मिलता रहे सर्वदा,

बड़े भाइयों का स्नेह है

मेरी सब से बड़ी सम्पदा।

– ८६, सै. ४६, फरीदाबाद-१२१०१०,

चलभाषः ९९११२६८१८६