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पं. सुधाकर जी चतुर्वेदीः प्रा राजेन्द्र जिज्ञासु

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पं. सुधाकर जी चतुर्वेदीः-कर्नाटक के आर्य विद्वान् पं. सुधाकर जी इस समय आर्य समाज ही नहीं देश के सबसे वयोवृद्ध वैदिक विद्वान् हैं। आप इस समय 116-118 वर्ष के होंगे। आप बाल ब्रह्मचारी हैं। कर्नाटक की राजधानी बैंगलूर में रहते हैं। चारों वेदों का अंग्रेजी व कन्नड़ दो भाषाओं में अनुवाद किया है। कन्नड़ में गद्य-पद्य दोनों में लिखा है। अंग्रेजी, हिन्दी में भी लिखते चले  आ रहे हैं। इस विकलाङ्ग कृषकाय मेधावी आर्य विद्वान् ने स्वाधीनता संग्राम मेंाी भाग लिया। पेंशन लेना स्वीकार नहीं किया। सरदार पटेल भी स्वराज्य संग्राम में घायल होने पर अस्पताल में आपका पता करने पहुँचे थे।

आप श्रीमद्दयानन्द उपदेशक विद्यालय लाहौर तथा गुरुकुल काँगड़ी में भी कुछ वर्ष तक रहे। स्वामी श्रद्धानन्द जी, स्वामी स्वतन्त्रानन्द जी, स्वामी वेदानन्द जी आदि महापुरुषों के चरणों में बैठने का, कुछ पाने का आपको गौरव प्राप्त है। सत्यार्थप्रकाश का कन्नड़ भाषा में अनुवाद किया। बहुत कुछ लिखा है। एक बालक को गोद लिया। आर्यमित्र नाम का वह मेधावी बालक कर्नाटक राज्य में उच्च सरकारी पदों पर आसीन रहा। वह कर्नाटक आर्य प्रतिनिधि सभा का भी प्रधान रहा। अनेक बार आपका अभिनन्दन हो चुका है। आर्य समाज श्रद्धानन्द भवन बैंगलूर की हीरक जयन्ती पर आपका अविस्मरणीय अभिनन्दन इसी लेखक की अध्यक्षता में हुआ था। लाहौर में उपदेशक विद्यालय में रहते हुए गुण्डों के  आक्रमण में आप भी पं. नरेन्द्र जी के साथ घायल हुए थे। श्रवन शक्ति अब नहीं रही, तथापि धर्म प्रचार व साहित्य सृजन में सक्रिय हैं।