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हम कब सुधरेंगे ?

हम कब सुधरेंगे ? हम so called सेक्युलर ईराक से सिमटते हुए आज भारत तक सिमित रह गए है धर्म के नाम पर बंटवारा हुआ पाकिस्तान बनाया पर सही मायनों में बंटवारा नहीं हो पाया भारत में आज वो अल्पसंख्यक हक़ के नाम पर फिर से भारत के टुकड़े करने पर आमादा है और हम सेक्युलर आज भी उन्हें *भटके* हुए *भाई* समझ कर अपनी रिस रिस कर आती मौत को बुला रहे है इस्लाम गैर इस्लामिक से दोस्ती कभी नहीं सिखाता यदि सिखाता हो तो बताओ वो आयत इस्लाम कहता है गैर इस्लामिक तुम्हारा दोस्त तभी हो सकता है जब वो इस्लाम समर्थक हो इस्लाम कभी नहीं कहता की तुम दूसरे की मान्यताओं को भी समर्थन करो गजवा ए हिन्द मिशन को सफल बनाने के लिए कौम दिन रात लगी हुई है पर हम सो रहे है किसी ने सही ही कहा है की हिन्दू सोता हुआ शेर है उसे मत जगा वरना वो कही और जाकर सो जाएगा यही तो हुआ ईराक से जगा हुआ सेक्युलर हिन्दू भारत में आकर सो गया पकिस्तान से हिन्दू को जगाया गया वो भी भारत आकर सो गया अब कुछ हिंदुओं को कश्मीर से जगाया गया वो भी इधर उधर जाकर सो गया कब तक सोते रहोगे इस *सेक्युलर नींद* में ? कोई माने या ना माने कश्मीर को भारत से तोड़ दिया गया है यहाँ बात तर्क करने की नहीं है की कैसे तोडा, हम कश्मीर नहीं छीनने देंगे तो ये आपके हाथ नहीं ये तो वहां की आवाम का मुद्दा रह गया है जो की यासीन मल्लिक जैसे टटुओं के कहने पर चलती है यासीन मल्लिल भी केजरीवाल के डीएनए से मिलता जुलता नमूना है जो कश्मीर को भारत से अलग करना चाहता है और पाक से भी नहीं मिलने की बात करता है पर यह सार्वभौमिक है की वो अलग होने के बाद(यदि हुआ तो) क्या करेगा उसके बाद इसी तरह की भारत को तोड़ने की नीतियां धीरे धीरे कश्मीर के नीचे दिल्ली में भी प्रारम्भ हो चुकी है जो की केजरीवाल, यासीन मल्लिक और कांग्रेस का मिक्सचर है *कन्हैया* कश्मीर में उठ रहे भारत को तोड़ने की आवाजे अब दिल्ली के jnu में भी सुनाई देने लगी है *भारत तेरे टुकड़े होंगे* जैसे नारे लगाना ये कोई भटका हुआ नहीं अपितु देशद्रोही लगा सकता है, इन्हें भटका हुआ मत कहो, क्योंकि जो ये भटकते तो अपनी अन्य गतिविधियों से तो नहीं भटके दरअसल हो यह रहा है की मुस्लमानों की किताब *क़ुरआन* आतंकवाद की जड़ है, ये जो तर्क दिए जाते है ना की जो आतंकवादी बना है उसने क़ुरआन को सही मायने में समझा ही नहीं ये तर्क वास्तव में खुद के वजूद को बनाये रखने कद लिए ही दिया जाता है ताकि भारत के अंदर उनका और उनकी किताब का विरोध प्रारम्भ नहीं हो जाए पर सच यही है की क़ुरआन पढ़ने के बाद व्यक्ति हिंसक, खूंखार और आपके शब्दों में भड़का हुआ मुसलमान बन जाता है यदि हम इसी तरह सेक्युलर रहे तो एक दिन पाकिस्तान की तरह कश्मीर भी जाएगा फिर हिमाचल फिर दिल्ली और धीरे धीरे आने वाली सदियों में ये इस्लाम नाम का घुन इस देश को खोखला कर देगा और मेरा दावा है की सेक्युलर हिन्दू अंत तक चिर निंद्रा में सोया रहेगा और जब सोने को कही जगह नहीं मिलेगी तो वो भी इस घुन के रूप में खुद को ढाल देगा जो लोग कहते है की भारत के मुसलमान धर्म निरपेक्षता का समर्थन करते है वे तुर्की के मौजूदा हालात पर अपनी नजर दौड़ा ले तुर्की की आर्मी ने तुर्की को धर्म निरपेक्ष बनाने के लिए सता को हथियाने का प्रयास किया परन्तु भटकी हुई इस्लामिक आवाम ने उसे असफल कर दिया ये नमूने है इस्लाम के कॉन्सेप्ट को समझने के लिए ये शान्ति कभी नहीं चाहते इनका मन्तव्य केवल और केवल गजवा ए हिन्द ही रहा है और रहेगा भी भारत का भविष्य भी इसी तुर्की धटना जैसा होगा ऐसा लगता है हम अपनी तरक्की के चक्कर में धर्म और देश की रक्षा को किनारे किये जा रहे है पर मुसलमानों के दिमाग में केवल और केवल गजवा ए हिन्द है समय रहते नहीं सम्भले तो आने वाला समय हमें सम्भलने के लिए मौक़ा भी नहीं देगा भारत हो या कोई भी जगह मुसलमान एक जैसे ही है उनकी किताब एक है, उसका कॉन्सेप्ट भी एक है और उनका लक्ष्य भी है हमें सेक्युलरिज्म का चौला उतारना होगा, आर्थिक असहयोग को बढ़ाना होगा, *कट्टर* होना होगा, देश हित की बाते फेसबुक, whatsapp, ट्विटर पर करने से कुछ नहीं होगा देश के घुनों को पहचानों, औवेसी, जाकिर नाईक जैसे छद्म भेड़ियों को पहचानों और इनके सफाये के लिए कमर बाँध लो यही समय की मांग है हो सकता है, होगा भी की लोग इसे हेट स्पीच कहेंगे नकारात्मकता कहेंगे पर ये उज्जवल भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है हमारा तो इतिहास भी वीरता से भरा रहा है, समय समय पर मुगलों को हमने धूल चटाई है, तो हम आज सोये हुए क्यों है महाराणा प्रताप की जयंती मनाने मात्र से कुछ नहीं होगा हमें तो उनके रास्ते पर चलना होगा समय की मांग रही तो हिंसा को भी अपनाना पड़ेगा पर फिलहाल हमें इस *शान्ति के मजहब* का आर्थिक असहयोग करना होगा पढ़ने में ये बहुत मामूली और असफल सा अभियान लगता होगा या हम ये सोचते होंगे की हम अकेले के सोचने से क्या होगा तो आप म्यांमार के असीन विराथू को पढ़िए बौद्ध मत जो शान्ति और अहिंसा के लिए प्रसिद्ध रहा है उस मत के लोगों को हिंसा को अपनाया और रोहिंग्या मुसलमानों को चुन चुनकर अपने देश से भगाया जबकि वहां पर तो उनका प्रतिशत भी बहुत कम रहा है पर वे समय रहते सम्भले और एक व्यक्ति ने पुरे देश को बचा लिया बस वही आसीन विराथू हमें बनने की आवश्यकता है आर्थिक असहयोग के लिए तैयार होइए वरना अपनी घर की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ने के लिए तैयार रहिये पसन्द आपकी है मेरा उद्देश्य स्पष्ट है जो मेने अपने शब्दों में कहा है किसी को यदि ये ग्रुप की *so called शालीनता* के विरुद्ध लगता हो तो मुझे निकाल दे में सेक्युलर नहीं हूँ और मेने अपना आर्थिक असहयोग प्रारम्भ कर दिया है आप में से मेरे साथ कौन है ?
writer: gaurav arya