सूरज चाँद को नहीं पकड़ सकता है
साबित करें कि सूरज चांद एक-दूसरें को पकड़ने के लिए दौड़ लगा रहे हैं?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
लश्शम्सु यम्बगी लगा अन् तुद्रिकल्………..।।
(कुरान मजीद पारा २२ सूरा यासीन रूकू ३ आयत ४०)
न तो सूरज से ही बन पड़ता है चाँद को जा पकड़े और न रात ही दिन से आगे आ सकती है और हर कोई एक-एक घेरे में फिरते हैं।
समीक्षा
सूरज जमीन से नौ करोड़ मील पर है है जब कि चाँद दो लाख छत्तीस हजार मील के फांसले पर है है सूरज अपनी ही कीली पर घूमता है जबकि चाँद जमीन के चारों ओर घूमता हुआ स्वंय भी घुमता है। तो सूरज चांद को नहीं पकड़ सकता यह कहना बड़ी बेतुकी सी बात है कुरान को समझदारी की बात कहनी चाहिये थी।
यदि सूरज और चाँद दोनों एक ही दूरी पर होते और दोनों घूमतें भी होते तब तो यह बात कहना बन भी सकता था। शायद अरबी खुदा को इस मामले की जानकारी नहीं थी।