शैतानी किसने कर दी? प्रा राजेन्द्र जिज्ञासु

शैतानी किसने कर दी?

एक बार कादियाँ (पंजाब) में अल्लाह मियाँ पहुँचा था। कादियाँ के नबी मिर्जा गुलाम अहमद के मरने पर अल्लाह शोक मनाने (पंजाब में मकानी बोलते हैं) आया था। यह नबी ने आप लिखा है। तब कादियाँ वालों को अल्लाह के आने का पता तक न चला। मैं कॉलेज का विद्यार्थी था। आर्य सभासदों के चन्दे मैं ही लाकर कोषाध्यक्ष को दिया करता था। जब ला. दाताराम का चन्दा लेने जाता था, तब उनके बहुत वृद्ध पिताजी ला. मलावामल की बैठकर बातें सुनने लग जाता था। आप मिर्जा के संगी साथी थे। आपने कभी अल्लाह के कादियाँ में आने की बात की पुष्टि नहीं की थी। आपने तब उसे  देखा ही नहीं था तो पुष्टि क्या करते?

टी.वी. देखते-देखते जब हज की दुर्घटना का दुखद दृश्य देखा तो अल्लाह के कादियाँ आने की घटना याद आ गई। इतने भोले-भाले हज यात्री स्त्रियाँ और वृद्ध मारे गये। दृश्य देाा नहीं गया। जैसे भारत में हिन्दू मन्दिरों व तीर्थों में भगदड़ मचने से आबाल वृद्ध मारे कुचले जाते हैं, वही कुछ वहाँ हुआ। परपरा से एक स्थान विशेष पर हाजी शैतान को पत्थर मारकर हज के कर्मकाण्ड को पूरा करते हैं। अंधविश्वास हिन्दू मुसलमान सब में फैले हुए हैं।

मक्का को मुसलमान ‘बैत अल्लाह’ (अल्लाह का घर) मानते हैं। अल्लाह के पास फरिश्तों की भारी सेना है-यह कुरान बताता है। न जाने फिर शैतान अल्लाह के घर में कैसे घुस जाता है? भगदड़ मचने का कारण क्या था? शैतानी वहाँ शैतान ने तो की नहीं। कहा जाता है कि किसी हाजी ने ही शैतानी की। अब वहाँ की सरकार यह जाँच करेगी कि शैतानी की किसने? शैतान को तो किसी ने वहाँ कभी देखा ही नहीं। जिसे अल्लाह इतने लबे समय से नहीं पकड़ पाया, उसका इन कंकरों से क्या बिगड़ेगा? हमारी हितकारी सीख बहुत कुछ तो मुसलमानों ने मान ली है, परन्तु जन-जन तक नहीं पहुँचाई। हम क्या कर सकते हैं?

शैतान विषयक हमारा न सही, सर सैयद की सीख ही सुन लेते तो इतने अभागे हाजी न मरते। सर सैयद ने लिखा है, ‘‘एक मौलाना ने सपने में शैतान को देख लिया। झट से कसकर एक हाथ से उसकी दाढ़ी पकड़कर खींची। दूसरे हाथ से शैतान के गाल पर पूरी शक्ति से थप्पड़ मारा। शैतान का गाल लाल-लाल हो गया। इतने में मौलाना की नींद टूट गई। देखा तो उसके हाथ में उसी की दाढ़ी थी और वह लाल-लाल गाल जिस पर थप्पड़ मारा गया था, वह भी मियाँ जी का अपना ही गाल था। सो पता चल गया कि शैतान कहीं बाहर नहीं है। आपके भीतर के आपके दुरित, दुर्गुण ही हैं।’’ आशा है इतनी बड़ी दुर्घटना से सब शिक्षा लेंगे।

हटावट का उदाहरण माँगा गया हैः- इतिहास में मिलावाट की तो बहुत चर्चा होती है। मैंने इतिहास प्रदूषण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *