सबका एक गिरोह बनाना खुदा को मन्जूर न था
जब खुदा ही गुमराह करने वाला है तो जाँच-पड़ताल भी उसी से होगी भले आदमी तूने लागों को गुमराह करके जो गुनाह किया है उसकी तुझे क्यों न सजा दी जावे?
इन्सान से पूछना महज पागलपन होगा क्योंकि खुदा ने उसे गुमराह किया था इन्सान ने खुदा कोई गलती नहीं की थी?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व लौ शा-अल्लाहु ल-ज-अ……..।।
(कुरान मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू १३ आयत ९३)
खुदा चाहता तो तुम सभी का एक गिरोह बना देता, मगर वह जिसको चाहता है गुमराह करता है और जिसको चाहता है सुझाता है और जो कुछ तुम करते रहे हो उसकी तुमसे पूछताछ होगी।
समीक्षा
जब खुदा ने ही नेक व बदमाशों को हिन्दू, मुसलमानों और यहूदियों के गिरोह अलग-अलग बनाकर उनको आपस में लड़ाया है तो उनसे उनके कर्मों की पूछ करने का उसे क्या हक है? बदमाशों के गिरोह बदमाशी करेंगे ही, वे बनाये ही इसलिये गए हैं।