हिन्दू कोड बिल के सन्दर्भ में आर्यजगत् के एक शिरोमणि विद्वान् पं0 लक्ष्मीदत्तजी दीक्षित (स्वामी विद्यानन्दजी सरस्वती-1915-2003) डॉ0 अम्बेडकरजी के सम्पर्क में आये थे। उनकी माननीय डॉ0 अम्बेडकरजी से चार बार मुलाकात हुई थी। श्री लक्ष्मीदत्तजी उस समय दिल्ली के दरियागंज क्षेत्र में रहते थे, तो डॉ0 अम्बेडकरजी की कोठी तिलक मार्ग पर थी। जब पं0 दीक्षितजी की डॉ0 अम्बेडकरजी से सर्वप्रथम भेंट हुई, तब माननीय डॉ0 महोदय ने स्पष्ट किया, ’मेरा इस बात पर कोई आग्रह नहीं है कि हिन्दू समाज की एक आचार संहिता हो।‘
द्वितीय भेंट में माननीय डॉ0 अम्बेडकरजी ने पं0 दीक्षितजी से कहा-’सनातनधर्मियों के विरोध की मुझे चिन्ता नहीं, क्योंकि वे तो सदा से हर अच्छी बात का विरोध करते आये हैं और छह महीने से अधिक उनका विरोध चलता नहीं। आर्यसमाज से बात करने के लिए मैं हर समय तैयार हूँ, क्योंकि सब बातों में उससे सहमत न होते हुए भी इतना तो मानता ही हूँ कि उसकी बात बुद्धिपूर्वक होती है।
तीसरी बात जब पं0 लक्ष्मीदत्तजी डॉ0 अम्बेडकरजी से मिलने गए तो वे उन्हें एक बड़े कमरे में ले गये। जहाँ दूर-दूर तक मेजों पर बड़ी-बड़ी पुस्तकें फैली हुई थीं और अनेक विद्वान, जिनमें एक दो सन्यासी भी थे, उनका अध्ययन कर रहे थे। माननीय डॉ0 अम्बेडकर ने बतलाया कि जो लोग हिन्दू कोड बिल को हिन्दू धर्म का विरोधी कहते हैं, उनके सामने मैं इसकी एक-एक धारा के लिए हिन्दू शास्त्रों से दस-दस प्रमाण प्रस्तुत करूँगा, श्री दीक्षितजी के अनुसार ’डॉ0 अम्बेडकर के लिए ऐसा करना कुछ कठिन नहीं था।
पं0 लक्ष्मीदत्तजी ने हिन्दू कोड बिल के सम्बन्ध में देशभर के उच्च कोटि के 500 हिन्दू विद्वानों और धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक नेताओं को एक परिपत्र भेजा था, जो कि जवाबी पोस्टकार्ड के रूप में था, जिसमें उन्होंने लिखा था-हिन्दू कोड बिल के सम्बन्ध में तीन प्रकार के मत हैं-1. उसके एक-एक अक्षर का विरोध किया जाए। 2. उसके एक-एक अक्षर का समर्थन किया जाए। 3. उस पर विचार करके उसमें जो अच्छी बातें हैं, उनका समर्थन और जो अनुचित हो, उनका विरोध किया जाए। साथ में संलग्न जवाबी कार्ड में तीनों मत उद्धृत कर विद्वानों से कहा गया कि जिससे सहमत हैं, उसे छोड़कर शेष दोनों को काट दें और अपने हस्ताक्षर करके लौटा दें।
पाँच सौ में से लगभग तीन सौ व्यक्तियों ने उत्तर भेजे। उनमें से केवल एक केन्द्रीय मन्त्री श्री नरहर विष्णु गाडगिल ने बिल के एक-एक अक्षर का समर्थन किये जाने के पक्ष में अपना मत दिया, तो तत्कालीन हिन्दू महासभा के नेता श्री नारायण भास्कर खरे ने इसके एक-एक अक्षर का विरोध किये जाने के पक्ष में अपनी सम्मति दी। शेष सब ने विचारोपरान्त उचित बातों का समर्थन करने तथा अनुचित का विरोध करने के पक्ष में अपना मत दिया। पं0 लक्ष्मीदत्तजी ने उक्त समस्त विवरण डॉ0 अम्बेडकरजी को भेज दिया।
सम्भवतः दिसम्बर 1949 में हिन्दू कोड बिल लोकसभा में प्रस्तुत किया गया। उस दिन लोकसभा की दर्शक दीर्घा खचाखच भरी हुई थी। श्री दीक्षितजी को उस दिन लोकसभा के उपाध्यक्ष श्री अनन्त शयनम् आयंगर के प्रियजनों के लिए सुरक्षित कक्ष में स्थान मिल गया था। डॉ0 अम्बेडकरजी ने पं0 लक्ष्मीदत्त द्वारा संकलित उक्त विवरण ’हिन्दुस्तान टाइम्स‘ को यथास्थान प्रकाशनार्थ दे दिया। जिस दिन हिन्दू कोड बिल लोकसभा में प्रस्तुत हुआ। ठीक उसी दिन वह विवरण ’हिन्दुस्तान टाइम्स‘ में प्रकाशित हुआ। समाचार पत्र का तीसरा पृष्ठ पं0 लक्ष्मीदत्तजी के वक्तव्य से भरा पड़ा था। इस प्रकार विद्वानों के मत संकलन और उसके प्रकाशन-प्रसारण के सिलसिले में श्री लक्ष्मीदत्तजी की डॉ0 अम्बेडकरजी से चैथी मुलाकात हुई थी।