गांधी जी और शास्‍त्री जी में कुछ समानता, लेकिन ढेर सारी असमानता !

महात्‍मा गांधी व लालबहादुर शास्‍त्री- दोनों की जयंती एक ही दिन होती है। दोनों में कुछ बातें समान थीं, जैसे- दोनों बेहद सादगी से जीते थे और दोनों स्‍वयं के प्रति ईमानदार थे। दोनों में एक और बात कॉमन थी कि दोनों की मौत सामान्‍य नहीं हुई थी, बल्कि दोनों की हत्‍या हुई थी! इन समानताओं के अलावा उन दोनों में कई असमानताएं भी थीं, मसलन- 1) महात्‍मा गांधी खुद के लिए सत्‍ता नहीं चाहते थे, लेकिन लोकतांत्रिक निर्णय को नष्‍ट कर उन्‍होंने सरदार पटेल की जगह नेहरू को सत्‍ता दिलायी, लेकिन वहीं नेहरू की मौत के बाद कामराज योजना में शास्‍त्री जी को आगे बढ़ाया गया। अर्थात महात्‍मा गांधी किंग मेकर थे तो शास्‍त्री जी को दूसरों ने किंग … Continue reading गांधी जी और शास्‍त्री जी में कुछ समानता, लेकिन ढेर सारी असमानता !

#पेरियार के प्रश्नों का श्रृंखलाबद्ध #प्रश्न – उत्तर #संख्या (०१.) क्या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो, कभी किसी के सामने नहीं आते? उत्तर – आचार्य योगेश भारद्वाज

#पेरियार के प्रश्नों का श्रृंखलाबद्ध उत्तर।(प्रत्येक उत्तर के बाद मेरे हस्ताक्षर अंकित हैं, अर्थात् मैं अपने उत्तर का उत्तरदायित्व भी घोषणापूर्वक धारण करता हूं।) #प्रश्न#संख्या (०१.) क्या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो, कभी किसी के सामने नहीं आते? –ई वी रामासामी पेरियार#उत्तर:✓क्या कोई यह कह सकता है, कि मैंने ऐसे बालक को गोद में खिलाया, जो कभी पैदा ही नहीं हुआ …?✓क्या कोई यह कह सकता है, कि मैंने ऐसा भोजन किया, जो कभी संसार में था ही नहीं….?✓क्या कोई यह कह सकता है, कि मैं ऐसे वृक्ष पर बैठा रहा, जो कभी उत्पन्न नहीं हुआ…? उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर एक सामान्य से सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी #नहीं में ही देगा। यह पेरियार महोदय जो स्पष्ट … Continue reading #पेरियार के प्रश्नों का श्रृंखलाबद्ध #प्रश्न – उत्तर #संख्या (०१.) क्या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो, कभी किसी के सामने नहीं आते? उत्तर – आचार्य योगेश भारद्वाज

( शिखा ) चोटी क्यों रक्खें? धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

|| ओ३म् ॥ ( शिखा ) चोटी क्यों रक्खें? धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व वैदिक धर्म में सिर पर चोटी (शिखा ) धारण करने का असाधारण महत्व है। प्रत्येक बालक के जन्म के बाद मुण्डन संस्कार के नवजात बच्चे पश्चात् सिर के उस भाग पर गौ के के खुर के प्रमाण वाले आकार की चोटी रखने का विधान है। यह वही स्थान सिर पर होता है, जहां से सुषुम्ना नाड़ी पीठ के मध्य भाग में से होती हुई ऊपर की ओर आकर समाप्त होती है और उसमें से सिर के विभिन्न अंगों के वात संस्थान का संचालन करने के लिए अनेक सूक्ष्म वात नाड़ियों का प्रारम्भ होता है । सुषुम्ना नाड़ी सम्पूर्ण शरीर के वात संस्थान का संचालन करती है। दूसरे … Continue reading ( शिखा ) चोटी क्यों रक्खें? धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाशः

ओ३म् अथ स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाशः सर्वतन्त्र सिद्धान्त अर्थात् साम्राज्य सार्वजनिक धर्म जिस को सदा से सब मानते आये, मानते हैं और मानेंगे भी, इसीलिये इस को सनातन नित्यधर्म कहते हैं कि जिस का विरोधी कोई भी न हो सके। यदि अविद्यायुक्त जन अथवा किसी मत वाले के भ्रमाये हुए उस को अन्यथा जानें वा मानें, उस का स्वीकार कोई भी बुद्धिमान् नहीं करते, किन्तु जिस को आप्त अर्थात् सत्यमानी, सत्यवादी, सत्यकारी, परोपकारक पक्षपातरहित विद्वान् मानते हैं वही सब को मन्तव्य और जिस को नहीं मानते वह अमन्तव्य होने से उसका प्रमाण नहीं होता। अब जो वेदादि सत्यशास्त्र और ब्रह्मा से लेकर जैमिनिमुनि पर्य्यन्तों के माने हुए ईश्वरादि पदार्थ जिन को कि मैं मानता हूँ सब सज्जन महाशयों के सामने प्रकाशित करता हूँ। … Continue reading स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाशः

आर्य समाज और इस्लाम: पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय

आर्य समाज इस्लाम नही है और इस्लाम भी आर्य समाज नहीं है किन्तु फिर भी दोनों में काफी समानता है।  इस्लाम के आगमन के पूर्व लाखों वर्ष व्यतीत हो चुके थे | अरब ने भी मोहम्मद,जो इस्लाम के महान पैगम्बर थे, उनके वहाँ अवतार लेने के पूर्व मनुष्य की सहस्त्रों पीढियों को देखा था । कुरान का मनुष्य के पास अवतरण होने से पहले क्या ये दीर्घकाल बिना रौशनी के था ? कम से कम इस्लाम के समर्थक ऐसा कहते हैं। वे पूर्व इस्लामिक काल को जमाना-ए-जहालत अर्थात् अज्ञानता वाला काल कहते हैं । यह कल्पना से परे है कि सर्वशक्तिमान परमात्मा ने जो प्रकाशों का प्रकाश है संसार को इतने दीर्घकाल तक अंधकार में रहने दिया होगा । हमारी … Continue reading आर्य समाज और इस्लाम: पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय

क्या शिवलिंग सचमुच रेडियोएक्टिव है?

ओ३म् शिवलिंग में रेडियोएक्टिव तत्व होता ?? भ्रम -संशयी आत्मा विनश्यन्ति ।! !! !!! आजकल हिन्दु समाज के पोप जी ( हिन्दु पंडित ) और उनके चेलों ने यह कहना शुरू किया शिवलिंग में रेडियोएक्टिव तत्व होता है और इसलिए इस पर पानी चढ़ाया जाता है जिससे यह ठंडा रहे है बिस्फोट न हो । केवल यही नही इन पाखंडियो ने यह अफवाह भी फैला रखा है कि शिवलिंग पर चढ़ने वाला धतूरा, भांग आदि भी रेडियोएक्टिव तत्वों को अवशोषित करने वाला होता है !! पता नहीं इन हिन्दूओं को कब अक्ल आएगी कि ये जिसे भगवान कहकर पूजते है उसे नशीली चीजी खाने को देते है , ये कौन सी अक्लमन्दी का काम है | अगर नशीली चीजें भगवान … Continue reading क्या शिवलिंग सचमुच रेडियोएक्टिव है?

शिवलिंग उपासना की दारुवन कथा

अमरनाथ, केदारनाथ, काशी विश्वनाथ व उज्जैन महाकाल में शिवलिंग की पूजा होती है, परन्तु शिवलिंग पूजा कोरा अन्धविश्वास व पाखंड है| शिव पुराण की दारुवन कथा में शिवलिंग और पार्वतीभग की पूजा की उत्पत्ति- दारू नाम का एक वन था , वहां के निवासियों की स्त्रियां उस वन में लकड़ी लेने गईं , महादेव शंकर जी नंगे कामियों की भांति वहां उन स्त्रियों के पास पहुंच गये ।यह देखकर कुछ स्त्रियां व्याकुल हो अपने-अपने आश्रमों में वापिस लौट आईं , परन्तु कुछ स्त्रियां उन्हें आलिंगन करने लगीं ।उसी समय वहां ऋषि लोग आ गये , महादेव जी को नंगी स्थिति में देखकर कहने लगे कि -‘‘हे वेद मार्ग को लुप्त करने वाले तुम इस वेद विरूद्ध काम को क्यों करते … Continue reading शिवलिंग उपासना की दारुवन कथा

चतुर्भुज नारायण के दर्शन (एकादश समुल्लास)

चतुर्भुज नारायण के दर्शन एक सहजानंद नामा पुरूष अयोध्या के समीप एक ग्राम का जन्मा हुआ था वह ब्रह्मचारी होकर गुजरात, काठियावाड़, कच्छभुज, आदि देशो मे फिरता था उसने देखा कि यह देश मुर्ख और भोला-भाला है चाहे जैसे इनको अपने मत मे झुका ले वैसे ही यें लोग झुक सकते है वहा उन्होंने दो चार शिष्य बनाए उनमे आपस मे सम्मति कर यह प्रसिद्ध किया कि सहजानंद नारायण का अवतार और बड़ा सिध्द पुरूष है और भक्तो को साक्षात शंख, चक्र, गद्या, धारण किए हुए अपने चतुर्भुज रूप मे दर्शन भी देता है एक बार काठियावाड़ मे किसी काठी अर्थात् जिसका नाम दादाखाचर गढ़डे का भूमिया (जमीदार) था उसको शिष्यो ने कहा कि तुम चतुर्भुज नारायण का दर्शन करना … Continue reading चतुर्भुज नारायण के दर्शन (एकादश समुल्लास)

सांख्यकार कपिल मुनि अनिश्वरवादी नही

क्या सांख्यकार कपिल मुनि अनीश्वरवादी थे? लेखक- स्वामी धर्मानन्द प्रस्तुति- दीपक कुमार झा माननीय डॉ० अम्बेदकरजी से गत २७ फर्वरी को मेरी जब उनकी कोठी पर बातचीत हुई तो उन्होंने यह भी कहा कि सांख्यदर्शन में ईश्वरवाद का खण्डन किया गया है। यही बात अन्य भी अनेक लेखकों ने लिखी है किन्तु वस्तुतः यह अशुद्ध है। सांख्य दर्शन में ईश्वर के सृष्टि के उपादान कारणत्व का निम्न सूत्रों द्वारा खण्डन किया गया है उसका यह अर्थ समझ लेना कि यह ईश्वरवाद मात्र का खण्डन है, अशुद्ध है। उदाहरणार्थ निम्न सूत्रों को देखिए- तद्योगेऽपि न नित्य मुक्त:।। सांख्य ५/७ अर्थात् यदि ईश्वर को इस सृष्टि का उपादान कारण माना जाएगा तो ईश्वर नित्य मुक्त नहीं समझा जाएगा, क्योंकि उपादान कारण मानने … Continue reading सांख्यकार कपिल मुनि अनिश्वरवादी नही

वैदिक संध्योपासना

वैदिक संध्या पूर्णत वैज्ञानिक और प्राचीन काल से चली आ रही हैं। यह ऋषि-मुनियों के अनुभव पर आधारित हैं वैदिक संध्या की विधि से उसके प्रयोजन पर प्रकाश पड़ता है। मनुष्य में शरीर, इन्द्रिय, मन, बुद्धि, चित और अहंकार स्थित हैं। वैदिक संध्या में आचमन मंत्र से शरीर, इन्द्रिय स्पर्श और मार्जन मंत्र से इन्द्रियाँ, प्राणायाम मंत्र से मन, अघमर्षण मंत्र से बुद्धि, मनसा-परिक्रमा मंत्र से चित और उपस्थान मंत्र से अहंकार को सुस्थिति संपादन किया जाता है। फिर गायत्री मंत्र द्वारा ईश्वर की स्तुति-प्रार्थना और उपासना की जाती हैं। अंत में ईश्वर को नमस्कार किया जाता हैं। यह पूर्णत वैज्ञानिक विधि हैं जिससे व्यक्ति धार्मिक और सदाचारी बनता हैं, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध करता हैं। हमें … Continue reading वैदिक संध्योपासना

आर्य मंतव्य (कृण्वन्तो विश्वम आर्यम)