वरुणेन यथा पाशैर्बद्ध एवाभिदृश्यते । तथा पापान्निगृह्णीयाद्व्रतं एतद्धि वारुणम् । ।

जिस प्रकार अपराधी मनुष्य वरुण के पाशों से मनुष्य बंधा हुआ दिखता है अर्थात् अवश्य बांधा जाता है (तथा) उसी प्रकार राजा भी पापियों = अपराधियों को सुधरने तक बन्धन में= कारागार में डाले रखे यही राजा का ’वारुणव्रत’ है ।

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