यथा यमः प्रियद्वेष्यौ प्राप्ते काले नियच्छति । तथा राज्ञा नियन्तव्याः प्रजास्तद्धि यमव्रतम् ।

जिस प्रकार यम=मृत्यु समय आने पर प्रिय और शत्रु सबकगो मारता है राजा को उसी प्रकार अपराध करने पर प्रिय-शत्रु सभी प्रजाओं को न्यायपूर्वक दण्ड देना चाहिए यही राजा का ’यमव्रत’ है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *