जैसे वायु सब प्राणियों में प्रविष्ट होकर विचरण करता है (तथा) उसी प्रकार राजा को गुप्तचरों द्वारा सर्वत्र प्रवेश करना चाहिए यही राजा का ’मारुतव्रत’ है ।
जैसे वायु सब प्राणियों में प्रविष्ट होकर विचरण करता है (तथा) उसी प्रकार राजा को गुप्तचरों द्वारा सर्वत्र प्रवेश करना चाहिए यही राजा का ’मारुतव्रत’ है ।