सर्वं वा रिक्थजातं तद्दशधा परिकल्प्य च । धर्म्यं विभागं कुर्वीत विधिनानेन धर्मवित्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *