Adhyay : 9 Mantra : 153 Back to listings चतुरोऽंशान्हरेद्विप्रस्त्रीनंशान्क्षत्रियासुतः । वैश्यापुत्रो हरेद्द्व्यंशं अंशं शूद्रासुतो हरेत् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related