त्र्यंशं दायाद्धरेद्विप्रो द्वावंशौ क्षत्रियासुतः । वैश्याजः सार्धं एवांशं अंशं शूद्रासुतो हरेत् । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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