यावतो बान्धवान्यस्मिन्हन्ति साक्ष्येऽनृतं वदन् । तावतः संख्यया तस्मिन्शृणु सौम्यानुपूर्वशः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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