एकोऽलुब्धस्तु साक्षी स्याद्बह्व्यः शुच्योऽपि न स्त्रियः । स्त्रीबुद्धेरस्थिरत्वात्तु दोषैश्चान्येऽपि ये वृताः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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