Adhyay : 8 Mantra : 116 Back to listings वत्सस्य ह्यभिशस्तस्य पुरा भ्रात्रा यवीयसा । नाग्निर्ददाह रोमापि सत्येन जगतः स्पशः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related